जिले में कम बारिश और खाद की किल्लत से बढ़ी किसानों दिक्कत

जगदलपुर (काकाखबरीलाल). बस्तर जिले में शुरूआती मॉनसून के औसत से कम बारिश होने से बस्तर में सबसे अधिक की जाने वाली धान की खेती करने वाले किसानों की परेशानी(problems of farmers) बढ़ गई है। किसानों ने खेत में धान की बुआई करने के बाद अच्छी बारिश का इंतजार कर रहे हैं।(problems of farmers)
मानसून के दगा देने से अब खेत सूखने लगे हैं। वहीं दूसरी ओर बस्तर में किसान खाद की किल्लत से जूझ रहे हैं। सोसायटी में यूरिया की कमी चलते जिले के किसान के आगे खाद संकट खड़ा हो गया है। खाद का पर्याप्त भंडारण नहीं होने से धान की खेती पर निर्भर बस्तर का किसान संघर्ष कर रहा है।
बस्तर जिले में मानसून के दगा देने के साथ खाद की कमी से परेशान किसान खुदरा बाजार में महंगे दामों में खाद खरीदने के लिए मजबूर हो रहे हैं। सहकारी समितियों में यूरिया किसानों को 45 किलो की प्रति बोरी 266 रुपए में मिलता है , तो यही खाद खुदरा बाजार में किसान 300 रुपए से 350 रुपए तक खरीद रहे हैं।इस स्थिति को देख किसानों में बैचेनी बढ़ गई है। बिना बारिश उनके खेत इसी तरह सूखते रहे तो पूरी फसल खराब हो जाएगी और उनका भारी नुकसान हो जाएगा। वहीं दूसरी तरफ कई किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने खेतों में धान नहीं लगाए हैं, धान के रोपा के लिए उन्हें अच्छी बारिश का इंतजार हैं।
कृषि वैज्ञानिक डॉ. आविकांत प्रधान का कहना है कि धान की फसल लगाने का सही समय 15 जुलाई के मध्य तक रहता है, अभी समय है। लोगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है। फसल लगाने के पहले कृषि विशेषज्ञों की सलाह जरूर ले लेना चाहिए। समस्या जुलाई के आखिरी तक बारिश नहीं होने से बनेगी। धान बोने और काटने का जो चक्र है उसमें ज्यादा तब्दीली होगी तो नुकसान हो सकता है।
जिला विपणन अधिकारी आरबी सिंह का कहना है कि डबल लॉक में यूरिया के साथ ही अन्य खाद की कमी है। खाद आपूर्ति के लिए लगातार रैक लगवाया जा रहा है। खाद का स्टॉक पहुंचते ही किसानों को उपलब्ध कराने की पूरी कोशिश है।