पिथौरा तहसील में रिश्वतखोरी का खेल! नायब तहसीलदार के खिलाफ कार्यवाही हेतु पीड़ित ने लगाया गुहार
महासमुंद(काकाखबरीलाल)।महासमुंद जिला के पिथौरा तहसील कार्यालय में भोले-भाले ग्रामीण प्रशासनिक आतंकवाद का शिकार हो रहे है. जमीन के सीमांकन, नामांतरण, बंटवारा और जाति प्रमाण पत्र जैसे कार्यो के ऐवज में नायाब तहसीलदार पर भ्रष्टाचार का आरोप है बता दें कि जिले में जमीन के सीमांकन, नामांतरण और बंटवारा जैसे काम समय पर नहीं हो पा रहे हैं जिससे लोगों को महीनों व साल भर चक्कर लगाने पड़ते हैं। दूसरे विभागों की तरह राजस्व विभाग में भी सिटीजन चार्टर बना है यानि किस काम के लिए कितना वक्त लगेगा यह तय है लेकिन तय समय पर काम नहीं हो रहे हैं। आरआई, पटवारी, तहसीलदार व एसडीएम समय पर काम नहीं कर रहे हैं। जमीन संबंधी कार्य के लिए जिम्मेदार राजस्व विभाग में हजारों मामले महीनों, सालों से लंबित हैं। ज्यादातर मामले नामांतरण और सीमांकन के मामले हैं। जिस पर राजस्व के छोटे अधिकारी से लेकर बड़े अधिकारी लोगो से पैसों की मांग करते है, और किसान, गरीब मजबूर होकर भ्रष्टाचार का शिकार हो जाता है ऐसा ही मामला पिथौरा तहसील कार्यालय से उजागर हो रहा है जहाँ पिथौरा तहसील क्षेत्र के ग्राम छुवालीपतेरा के आश्रित गांव चैनडीपा के किसान पुरुषोत्तम जांगड़े जिनका उम्र लगभग 60 वर्ष के करीब है जो अपने पिता की मृत्यु के बाद फौती काटने के लिए तहसील कार्यालय में आवेदन किया, जहां सभी आवश्यक दस्तावेज जमा करने के पश्चात एवं सभी आवश्यक कार्यवाही होने के बाद भी कार्य न होने पर ग्रामीण हार मान कर तहसीलदार से अनुरोध किया कि मेरा कार्य कर दिया जाए, तत्पश्चात नायाब तहसीलदार सतीश कुमार रामटेके ने कहा कि तुम अपने गांव के कोटवार से मिल लो बाकी जानकारी वहीं से मिल जाएगी, कोटवार से संपर्क करने पे उसने बताया कि आपको भ्रष्टाचार के शिष्टाचार का पालन करना पड़ेगा नायाब तहसीलदार साहब ने बोला है, कि 5 एकड़ जमीन की फौती काटने का प्रति एकड़ 8 हजार के हिसाब से 40 हजार रुपये देने होंगे तभी काम होगा।
बुजुर्ग किसान होने की वजह से उसने अपने गांव के मुखिया द्वारका प्रसाद पटेल से संपर्क कर कहा कि आप चलिये और नायाब तहसीलदार साहब से बात कर दीजिए, ग्राम के मुखिया पटेल और जांगड़े द्वारा जब तहसीलदार से बात की और अनुरोध किया तो तहसीलदार ने कहा कि ठीक है 40 हजार कि जगह 20 हजार में काम हो जाएगा। बुजुर्ग द्वारा पैसों का इंतज़ाम करके नायाब तहसीलदार को 20 हजार दे दिया गया, तहसीलदार के बाबू ने कहा मुझे पैसा नही देने पर तुम्हारा काम नही होगा। फिर तहसीलदार के बाबू ने 14 हजार की मांग किया, ग्रामीण ने बाबू को भी 14 हजार दे दिया उसके बाद काम तो नही हुआ लेकिन महीनों तहसील कार्यालय का चक्कर लगाते रहे, जब उसने न्याय मांगा तो उसे जा जो करना है कर ले कह दिया गया। अब प्रार्थी ने न्याय के लिए एसडीएम पिथौरा, तहसीलदार पिथौरा और जिला कलेक्टर को शिकायत कर कार्यवाई की मांग की है।