शादी में ना तो बैंड बजा और नहीं कोई बारात निकली
छतीसगढ़ के जशपुर जिले के पत्थलगांव में हुई एक शादी इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई है। इस शादी ने ना तो बैंड बजा और नहीं कोई बारात निकली। शादी की किसी रस्म को भी पूरा नहीं किया गया। पत्थलगांव के ग्राम पंचायत कापू में हुई इस शादी को लेकर बाते कर रहे हैं। यहां दुल्हन और दूल्हे ने परिवार और समाज के सामने भारत के संविधान को हाथों में लेकर शादी के बंधन में बंधने का फैसला किया। इस फैसले का दोनों के परिवार और समाज ने भी साथ दिया।
इस अनोखी शादी में सात फेरे, बैंड बाजा यहां तक की शादी के दौरान निभाई जाने वाली किसी भी रस्म को पूरा नहीं किया गया। समाज के सामने दूल्हा और दुल्हन ने संविधान की प्रस्तावना पढ़कर शपथ ली। इस अनोखी शादी को दूल्हे और दुल्हन के माता-पिता के साथ समाज के लोगों ने भी प्रसन्नता से स्वीकार किया। आशीर्वाद देने के लिए दोनों ही पक्ष के लोग शामिल हुए।
गुरु घासीदास जयंती पर हुई शादी
कापू गांव में दूल्हा और दुल्हन ने गुरु घासीदास जी की जयंती के अवसर पर शादी की। अब इस शादी की सभी लोग सराहना कर रहे हैं। यह शादी क्षेत्र में चर्चा का विषय बन गई है। दोनों ने सात फेरे लेने की जगह संविधान की शपथ लेकर शादी की। न फेरे, न मंगलसूत्र, न मांग में सिंदूर किसी भी रस्म को नहीं निभाया गया। वर-वधु ने बाबा साहेब अंबेडकर की फोटो के सामने संविधान की शपथ लेकर जीवनभर के लिए एक-दूसरे का हाथ थामा लिया।
मंत्र की डगह पढ़ी गई संविधान की स्थापना
शादी में वैदिक मंत्रोच्चार नहीं हुआ सिर्फ संविधान की प्रस्तावना की शपथ ली गई और एक दूसरे को वरमाला पहनाकर बेहद सादगी के साथ शादी हुई। दूल्हा और दुल्हन के परिजनों का मानना है कि इस तरह शादी से खर्चों में कमी तो आएगी और लोगों में संविधान के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी। कापू जनपद पंचायत के पूर्व सदस्य विजय शर्मा का कहना है कि अनुसूचित जाति के लोग भारत का संविधान को हमेशा सर्वोच्च स्थान दिया गया है। इसी भावना से प्रेरित होकर इस युगल ने भी गुरु घासीदास जयंती के मौके पर इस अनोखी शादी का निर्णय लिया है। इसमें फिजुल खर्ची से दूर रहकर सादगी से विवाह का संदेश दिया गया है।