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छग के बाद मप्र में भी किसानों ने धान रोका, 10% भी खरीदी नहीं

काकाखबरीलाल,भोपाल ।बोनस और समर्थन मूल्य बढ़ने की चुनावी घोषणाओं के प्रभाव में छत्तीसगढ़ की तरह मप्र का किसान भी आ गया है। मंडियों में किसानों की न केवल संख्या घट गई है, बल्कि उन्होंने धान भी रोक लिया है। खरीदी की समीक्षा बैठक में जब मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यह बात पूछी तो अफसरों ने उन्हें लिखित में तो तीन कारण बताए, लेकिन बाद में सफाई देते हुए तर्क रखा कि जनवरी में किसान बिक्री के लिए आते हैं। हालांकि ताजा आंकड़े कहते हैं कि पिछले साल इसी दिन तक दो लाख टन तक धान की खरीदी हो गई थी, जो अभी सिर्फ 17 हजार टन के करीब है। यह दस फीसदी भी नहीं हैं।

इधर, कांग्रेस ने मुख्यमंत्री द्वारा बैठक बुलाने की शिकायत मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से की है। कांग्रेस ने कहा कि ऐसी कौन सी आपात स्थिति थी, जो सीएम ने आचार संहिता लगी होने के बावजूद बैठक बुलाई। इससे पहले सीएम के समक्ष बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त व कार्यवाहक मुख्य सचिव पीसी मीणा, मुख्यमंत्री सचिवालय के अधिकारी समेत कृषि महकमे के तमाम अधिकारी मौजूद रहे। अधिकारियों ने बताया कि एकाध महीने बाद खरीदी बढ़ेगी तो मुख्यमंत्री ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।

आंध्र-महाराष्ट्र में हो गई आधी खरीदी : पिछले साल की तुलना में आंध्रप्रदेश में करीब 65 फीसदी और महाराष्ट्र में 40 फीसदी तक खरीदी हो चुकी है। मप्र में यह आंकड़ा कुल खरीदी के एक फीसदी तक भी नहीं पहुंचा। हर साल मप्र में 20 से 20 लाख टन धान की खरीदी होती है। अभी तक 17 हजार 244 टन खरीदी हुई है।

अफसरों ने कम खरीदी के ये तीन कारण गिनाए

1. मध्यप्रदेश में सिर्फ छह कार्य दिवस पर ही खरीदी हुई।
2. सहकारी संस्थाएं जिन्हें खरीदी करना है, उनके कर्मचारी चुनाव ड्यूटी में संलग्न थे।
3. छत्तीसगढ़ में चुनाव संपन्न होने के बाद खरीदी में वृद्धि हुई।

28 नवंबर को वोटिंग के बाद से किसान मंडी से गायब : इससे पहले कम खरीदी को लेकर अफसरों ने कहा कि छत्तीसगढ़ में चुनाव संपन्न (12 व 20 नवंबर को मतदान) होने के बाद खरीदी में वृद्धि हुई। जबकि, आंकड़े कहते हैं कि 15 नवंबर तक सिर्फ एक मीट्रिक टन धान ही मंडियों में बिक पाया।

ताजा स्थिति के मुताबिक 1 दिसंबर तक मंडियों में सिर्फ 17 हजार 244 मीट्रिक टन धान पहुंचा। मप्र में 28 नवंबर को वोटिंग के बाद किसानों ने मंडियों की तरफ रुख करना बंद कर दिया। बहरहाल, मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा है कि वे इस बात का ध्यान रखें कि किसानों को उपज का सही मूल्य मिल जाए। बताया जा रहा है कि इस बार पिछले साल के मुकाबले खरीदी केंद्र भी कम किए गए हैं।

खरीदी का हाल : 15 नवंबर तक सिर्फ एक मीट्रिक टन ही धान बिका

पिछले एक पखवाड़े में धान की बिक्री (मीट्रिक टन में)

दिन 2018-19 2016-17 2017-18 2015-16
15 नवं. तक 1 299 618 7525
20 नवं. तक 559 17268 20182 34378
25 नवं. तक 4817 69008 70698 68051

(28 नवंबर को वोटिंग के बाद खरीदी के आंकड़ों में बदलाव नहीं)

30 नवं. तक 17244 167820 153817 122972
1 दिसं. तक 17244 198813 177291 139222

काका खबरीलाल

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