बसना

बुजुर्ग हिरा के समान हैं जिनकी न तो चमक कम होती है न किम्मत : सम्पत

सेवा समर्पण यात्रा में सम्पत को मिला पिता का साथ एवं आशीर्वाद

शुकदेव वैष्णव, काकाखबरीलाल: 1 जुलाई गढ़फुलझर के श्रीश्रीश्री रणेश्वरराम चंडी मंदिर से प्रारंभ यह सेवा सम्मान की यह यात्रा आज बसना अंचल के सैकड़ो गांव में भ्रमण कर अंचल के बड़े बुजुर्गों, प्रतिभावान छात्र- छात्राओं एवं 20 मई को बसना मे शामिल हुए हजारो कीर्तन मंडली के सदस्यों का गांव गांव जाकर सम्मान किया जा रहा है।

सेवा समर्पण यात्रा के दौरान सभी गांवों में श्री सम्पत अग्रवाल जी का सदैव कहना होता है कि बसना मेरी जन्म भूमि है। और अंचल के सभी बड़े बुजुर्ग मेरे माता एवं पिता हैं। इस जन्म भूमि में अंचल के प्रतिभा को उभारने एवं उत्कृष्ट कार्य कर अंचल के नाम रौशन करने वाले लोगो का सम्मान करने और आप सभी का आशीर्वाद पाने आप के गांव में आया हु, तथा उसी के अनुसार सभी गांवों में सम्मान किया जाता है। लेकिन आज के इस यात्रा में कुछ अलग देखने को मिला कि माता एवं पिता एक बर्गद के विशाल वृक्ष है जिसके शाखा के रूप में हम फैले हुए है, और शाखा में फले हुए फल हमारे घर के आंगन में खेल रहे नन्हे-मुन्ने बच्चे हैं, जो हमे याद दिलाते है, कि हम किस विशाल पेड़ के शाखा और फल है.

उन्होंने आज के परिपेक्ष में अपने माता पिता को अनाथ आश्रम में भेजने वाले बाल बच्चों को समझाते हुए कहा कि जिस तरह बर्गद का विशाल पेड़ जिस दिन जमीन से धराशायी होकर गिर जाता है। उसके शाखा फल फूल बिखर कर खत्म हो जाते हैं उसी प्रकार माता पिता के घर छोड़ कर चले जाने से माता पिता की शीतल छाया आशीर्वाद से वंचित होकर हम स्वयं अनाथ हो जाते हैं। हमें गंभीरता से सोचने की जरूरत है कि वृक्ष के जड़ ही नहीं रहेंगे तो फल की उत्पत्ति कैसी होगी और अगर उत्पत्ति हुई तो उसमें कैसा मिठास और कैसा कड़वापन होगा।

आज सेवा समर्पण यात्रा के दौरान श्री सम्पत अग्रवाल ने सिद्ध कर दिया कि अंचल के समस्त बुजुर्ग उनके माता पिता तुल्य है आज के सेवा समर्पण यात्रा में उनके पिता श्री जगदीशचंद्र अग्रवाल जी कार्यक्रम में शामिल हुए। सामान्य तौर पर गांव के कार्यक्रम में स्थानीय लोगों का सम्मान किया जाता है लेकिन आज की इस कार्यक्रम में सम्पत अग्रवाल ने गांव के बुजुर्गों के बीच अपने पिता का भी सम्मान किया एवं चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लिया जिसे देख कर गांव के बुजुर्ग पिता माताओं के आंखों में आंसू आने लगे सभी ने उनको गले से लगाकर अपना आशीर्वाद प्रदान किया।

काका खबरीलाल

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