सम्राट अशोक विजयादशमी महोत्सव मनाया गया
-डिग्रीलाल जगत
खरसिया (काकाखबरीलाल)। सम्राट अशोक विजयादशमी धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस का भारतीय बौद्धों के इतिहास में एक अलग ही महत्व है। बौद्ध अनुयायी इस दिन को एक प्रमुख त्यौहार के रूप में मनाते हैं। दुनिया भर से लाखों बौद्ध अनुयायी इस दिन एकट्ठे होकर हर साल पवित्र दीक्षाभूमि, महाराष्ट्र की यात्रा करते हैं।
भारतीय संविधान के निर्माता, महान बोधिसत्व डॉ॰ बाबासाहेब भीम राव अंबेडकर ने अशोक विजयादशमी के दिन अर्थात 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर में बौद्ध धर्म अपनाया था। प्राचीन भारत में विश्व विख्यात सम्राट अशोक कलिंग युद्ध नरसंहार से व्यथित हो शस्त्र त्याग कर मानवता की राह पर अग्रसर हुए थे। विश्व शांति के पथ पर चलने बौद्ध धर्म को अंगीकार किए थे। उस दिन की याद में विश्व के कई देशों में सम्राट अशोक विजयादशमी महोत्सव के रूप में मनाया जाता है और बाबा साहब डॉ अंबेडकर के बौद्ध धर्म ग्रहण करने को धम्म चक्र परिवर्तन दिवस के रूप में याद किया जाता है।
सम्राट अशोक विजयादशमी महोत्सव के अवसर पर डॉ अंबेडकर व्यवसायिक परिसर खरसिया में बाबा साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए उत्सव मनाया गया। इस अवसर पर प्रगतिशील छत्तीसगढ सतनामी समाज संगठन खरसिया के अध्यक्ष इंद्रा बघेल, युवा प्रकोष्ठ अध्यक्ष राकेश घृतलहरे, वरिष्ठ सलाहकार दिलीप कुर्रे, सचिव केशव खंडेल, संरक्षक मनी राम जांगड़े, सुंदर कुर्रे, श्याम कुमार बंजारे, खोज राम रत्नाकर, कु. मुस्कान, कु. दामिनी, रजनी कांत रात्रे, युवा प्रकोष्ठ संरक्षक राकेश नारायण बंजारे एवं अन्य उपस्थित रहे।
इस अवसर पर गुरु घासीदास बाबा नर्सरी के श्याम कुमार बंजारे की ओर से स्वल्पाहार की व्यवस्था की गई थी।