बस्तर से भी बदत्तर है बसना अँचल की सडकें दलदल में तब्दील हुई सड़क,लोगों का चलना मुश्किल

शुकदेव वैष्णव,बसना(अरेकेल) –विभागीय लापरवाही एवं निष्क्रियता के चलते बसना अँचल की सडकें बस्तर से भी बदत्तर स्थिति में है। क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा के कारण अँचल के लोगों को दलदल एवं कीचड़ भरी मार्गों पर पैदल चलने मजबूर होना पड रहा है। इन दिनों सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है तो वह है स्कूलों को अध्ययन करने जाने वाले छात्र छात्राओं को।
●बसना अँचल के बंसुला -अरेकेल मार्ग हो या अरेकेल -कुडेकेल मार्ग ,चाहे वह बसना -गढपटनी मार्ग हो या फिर बसना खेमडा मार्ग हो। या फिर बरगांव सराईपतेरा- रसोडा मार्ग क्यों न हो , विद्यालयीन छात्र छात्राओं को पैदल भी चल पाना मुश्किल हो जाता है।
●बसना नगर के सीमा पर ही स्थित खेमडा की मुख्य गली दलदल व कीचड से भरा हुआ है। संतचार्ल्स विद्यालय में अध्ययनरत ग्राम खेमडा ,गेर्राभाँठा ,रसोडा ,जीराडबरी के छात्र छात्राओं को इसी कीचड़ एवं दलदल मार्ग मे चलने की मजबूरी है। छात्र छात्राओँ को बिना चप्पल जूते के खाली पैर पैदल दलदल मार्ग पर चलते देखा जा सकता है।
●रसोड़ा,सराईपतेरा,बरगांव बसना मुख्यालय से लगे 2 किमी दूरी पर लगे ग्राम पंचायत बरगांव पीडब्ल्यूडी सड़क किचड़ से सराबोर है जिसकी लम्बाई करीब तीन किमी है जब कि 2.5 किमी में डामरीकरण हो चुकी है। ग्रामीणों ने बताया की जब से बरगांव ग्राम बसा है। यह मार्ग बरसात में कीचड़ से सराबोर रहता है।बरसात के दिनों गांव में बरसात का पानी जाम होने के कारण वाहनों का चलना तो दूर ग्रामीण जनों को आवाजाही में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।ग्राम बरगांव के गली के प्रारम्भ से लेकर आखिरी हिस्सा पूरी तरह से दलदल में तब्दील हो गया है । गली की हालत इस कदर बदतर हो चुकी है कि वाहन चलाना तो दूर पैदल चलना भी मुश्किल हो गया है।जब कि इस मार्ग से गुजर कर स्कूलीय बच्चे स्कूल पढने जाते है।ग्रामीण जनो का कहना है कि लोक सुराज अभियान के तहत अनेक बार आवेदन दिया गया था, कि न्तु आज पर्यन्त तक लोकनिर्माण विभाग द्वारा इस समस्या का निराकरण नहीं किया गया है।
●ग्राम पंचायत रसोड़ा के ग्राम वासी का भी कहना है की बरसात के दिनों में स्कूल में बच्चों को आने जाने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। बरगांव से रसड़ा मार्ग कीचड़ से सराबोर है। गांव वालों ने ग्राम पंचायत बरगांव के सरपंच के पास जाकर गली कांक्रीटीकरण की मांग वर्षों से स्थानीय जनप्रतिनिधियों से लेकर शासन प्रशासन तक की जा चुकी है । परंतु अभी तक किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा है । इस से बरगांव,रसोड़ा, सराईपतेरा खास करके रसोड़ा और बरगांव मोहल्लेवासी कीचड़ की वजह से बहुत परेशान है।
●ज्ञात हो कि उक्त गली से होकर रोजाना किसानों का खेत एवं छात्रों को स्कूल आना -जाना होता है। सूखे में तो किसी तरह लोग आना-जाना कर लेते हैं। मगर बरसात में लोगों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पढ़ रहा है ।साइकिल ,मोटरसाइकिल कीचड़ में फंसने से उसे पार करना मुश्किल हो जाता है। बारिश के दिनों लोग इस गली से होकर पैदल गुजरने से भी कतराते हैं।
●इसी तरह अरेकेल -कुडेकेल मार्ग की स्थिति भी काफी जर्जर है।लोकनिर्माण विभाग के इस मार्ग पर कीचड़ एवं बडे बडे खाईनुमा गढ्ढों से आवागमन कर पाना काफी मुश्किल हो रहा है।इस जर्जर हालत के मार्ग पर ग्रामीणों को आवागमन करने मे काफी परेशानी हो रही हैं।साथ ही हमेशा दुर्घटना का भय बना रहता है।
● बंसुला -अरेकेल मार्ग की स्थिति को देख ग्रामीणों को क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों एवं सम्बन्धित विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों को हमेशा ही कोसते देखा जा सकता है।क्यों कि इसी मार्ग से ही कस्तूरबा विद्यालय ,आई.टी.आई., कन्या छात्रावास ,बालक छात्र वास ,महिला एवं बाल विकास विभाग, वन काष्ठागार ,रेशम प्लाट के लिए छात्र छात्राओं ,महिलाओं एवं ग्रामीण जनो को आवागमन करना पडता है।बारिस के दिनो यह मार्ग दलदल एवं कीचड़ से भरा रहता है ।जिसके कारण पैदल चलना भी मुश्किल हो जाता है।
●बसना मुख्यालय से लगे हुए गांव में जब सडकों व गलियों की यह स्थिति देखने को मिल रहा है तो दूरस्थ ग्रामीण क्षेत्रों की क्या स्थिति होगी ? यह अनुमान लगाया जा सकता है।