कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा कीटनाशकों के उपयोग पर प्रतिबंध
शुकदेव वैष्णव,काकाखबरीलाल/महासमुंद: कृषि एवं सहकारिता विभाग द्वारा नीयो-निकोटीनोईड कीटनाशियों के उपयोग पर प्रतिबंध लगाया गया है। कृषि विभाग के उपसंचालक व्ही.पी चौबे ने बताया कि इन कीटनाशकों को मानव एवं पशुओं के जोखिम के संभावना के कारण कीटनाशी अधिनियम की धारा 1968 की धारा 27 की उपधारा (2) के साथ पठित उपधारा 28 और धारा 36 की उपधारा (1) के तहत प्रदत्त शक्ति का प्रयोग करते हुए कीटनाशियो का विक्रय करने पर प्रतिबंध लगाया गया है। इनमें बेनोमाइल, कार्बराइल, डायजीनोन, फेनारिमोल, फेथिंआन, लिनुरोन, मेथाक्सी इथाइल मरकरी क्लोराइड, मिथाइल पैराथियान, सोडियम सायनाईड, थियोमिटोन, ट्राइडेमोर्फ को 09 अगस्त 2018 से पंजीयन, आयात, विनिर्माण सुत्रीकरण, परिवहन, विक्रय प्रतिबंधित उपयोग पूर्णतः निषिद्ध है।
इसी प्रकार ट्राईफ्लूरेलिन को 09 अगस्त 2018 से पंजीयन आयात निर्यात, विनिर्माण सूत्रीकरण, परिवहन, विक्रय निषिद्ध, गेहूं पर उपयोग को छोड़कर अन्य उपयोग निषेध लेबल और पत्रक पर चेतावनी कथन समाविष्ट होगा कि यह उत्पाद जलीय जीव के लिये विषैला है अतः जल निकाय, जलीय कृषि मछली खेती मे निषेध किया गया है। अलाक्लोर के लिए 09 अगस्त 2018 से विनिर्माता को नया पंजीयन प्रमाण निषेध, जनवरी 2019 से अलाक्लोर का आयात विनिर्माण या सूत्रीकरण निषेध, लेबल पर चेतावनी कथन समाविष्ट होगा कि यह उत्पाद जलीय जीव के लिये विषैला इसलिये जल निकाय जलीय कृषि, मछली कृषि के लिये उपयोग निषिद्ध।
डायक्लोरोवास को 9 अगस्त 2018 के पश्चात विनिर्माता को नवीन पंजीयन निषेध, 01 जनवरी 2019 से आयात निर्यात या सूत्रीकरण निषेध, 31 दिसंबर 2020 से पूर्व प्रतिबंधित लेबल पर चेतावनी कथन समाविष्ट होगा कि यह उत्पाद जलीय जीव के लिये विषैला है इसलिये जल निकाय जलीय खेती, मछली खेती के लिये उपयोग प्रतिबंधित। केन्द्र शासन का निर्णय – यह उत्पाद मधुमक्खियों के लिये विषैला है, अतः सक्रिय मधुक्खियों के फोरेजिंग के दौरान छिड़काव प्रतिबंधित। फोरेट, फास्फोमिडान, ट्राइजोफास, ट्राईक्लोरोफोर्न के लिए 09 अगस्त 2018 से विनिर्माता को नया पंजीयन निषेध, 01 जनवरी 2019 से आयात, निर्यात विनिर्माण, सूत्रीकरण प्रतिबंधित, 31 दिसम्बर 2020 से पूर्व निषेध, लेबल पर चेतावनी कथन समाविष्ट होगा कि यह उत्पाद जलीय कृषि, जल निकाय, मछली पालन में उपयोग हेतु प्रतिबंधित, मधुमक्खी के लिये विषैला। अतः सक्रिय मधुमक्खी फोरेजिंग अवधि के दौरान छिड़काव प्रतिबंधित, पक्षियों के लिए विषैला हैं इसलिए पूर्ण प्रतिबंधित है।
कृषि विभाग द्वारा किसानों को दी जा रही है धान की फसल में तनाछेदक रोग के रोकथाम के लिए सलाह-
कृषि विभाग द्वारा जिले के किसानों को धान की फसल में कीट- व्याधि एवं तनाछेदक रोग के रोकथाम के लिए आवश्यक सलाह दी गई है। कृषि विभाग के उप संचालक व्ही.पी चौबे ने बताया कि जिले में लगातार वर्षा एवं बादल होने के कारण कही-कही धान में तनाछेदक की शिकायत देखी जा रही है। विशेष तौर पर उन खेतों में जहां लंबे समय से पानी भराव की स्थिति बनी हुई है एवं विलंब से धान रोपाई का कार्य हुआ है।
धूप न होने से यह शिकायत बढ़ सकती है, अतः कृषक गण लगातार फसल निरीक्षण करते रहे, जहां यह शिकायत प्रारंभिक अवस्था है, वहां प्रभावित पौधों को उखाड़कर जला देवें। उन्होंने बताया कि 25-50 दिवस की रोपाई वाली फसल में कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4 जी 7.5 कि.ग्रा. प्रति एकड़, 50 से 60 दिन की रोपाई वाली फसल में कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 50 प्रतिशत एसपी 300-400 ग्राम प्रति एकड़ की दर से उपयोग कर सकते है। खेत में 3.5 सें.मी पानी भरकर रखें कृषक अजाडिरेक्टिन 0.03 1 ली/हे. या कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 50 एस.पी. 1 कि.ग्रा./हे.या क्लोरोपायरीफॉस 20 प्रतिशत ई.सी. 1.25 ली./हे. या फिप्रोनिल 5 प्रतिशत ई.सी. 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से क्षेत्र के कृषि अधिकारी से सलाह लेकर उपयोग कर सकते है।