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चिटफंड कम्पनियों की खैर नही.. पुलिस अधीक्षक ने चिटफंड कंपनियों पर नकेल कसने तैयारी शुरू की.

आईजी जीपी सिंह ने पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव, कबीरधाम एवं जिले के विवेचकों की बैठक लेकर चिटफण्ड कंपनियों पर नकेल कसने की कार्ययोजना बनाया

चिटफण्ड कंपनियों के खिलाफ 10 दिन में कार्यवाही पूर्ण कर लें, अन्यथा संबंधित विवेचको सहित सीएसपी/एसडीओपी एवं थाना प्रभारी जिम्मेदार होगें

काकाखबरीलाल/रायपुर: छत्तीसगढ़ के गरीब मजदूर किसानों के साथ प्रदेश में मल्टीलेवल मार्केटिंग, नाॅन बैंकिंग फायनेंस कंपनियों एवं चिटफण्ड कंपनियों द्वारा आकर्षक जमा योजना, अधिक ब्याजदर एवं आकर्षक गृह निर्माण के नाम पर लोक लुभावने तरीके से झूठे प्रचार प्रसार के माध्यम से धनराशि एकत्र कर उनके साथ ठगी, जालसाजी एवं धोखाधडी करने की शिकायतें लगातार प्राप्त हो रही है। जिसे देखते हुए ऐसे अपराधों पर नियंत्रण, रोकथाम एवं उनके खिलाफ प्रभावी कार्यवाही करने के उद्देश्य से श्री जीपी सिंह, पुलिस महानिरीक्षक, दुर्ग रेंज द्वारा आज दिनांक 18/08/2018 को मीटिंग ली गई। मीटिंग में पुलिस अधीक्षक राजनांदगांव, कबीरधाम एवं जिले के विवेचकगण उपस्थित रहे। बैठक के दौरान निम्नानुसार निर्देश दिए गए:-

 प्रकरणों के त्वरित निराकरण के लिए लाईन-आॅफ-इन्वेस्टिगेशन तय कर लें, विवेचक, थाना प्रभारी एवं राजपत्रित अधिकारी एक साथ बैठकर प्रत्येक प्रकरण में गंभरता पूर्वक कार्यवाही करें।

 चिटफण्ड कंपनियों के फरार आरोपियों के विरूद्ध तत्काल लुक-आॅउट नोटिस एवं रेड-काॅर्नर नोटिस जारी किया जावे। फरार आरोपियों को पकडने के लिए ईनाम की घोषणा संबंधी कार्यवाही करें तथा प्रापर्टी की सूची बनाकर धारा-10 के अंतर्गत कलेक्टर को पत्र लिखते हुए सम्पत्ति कूर्की के लिए कार्यवाही सुनिश्चित करें।

 चिट फण्ड के कुछ अपराधी पहले से ही दीगर जिले के जेल में हैं ऐसे प्रकरणों में थाना प्रभारी एवं संबंधित राजपत्रित अधिकारी संबंधित थाना से जानकारी साझा करते हुए कार्यवाही पूर्ण करें।

 राज्य के बाहर घुम रहे फरार आरोपियों को पकडने के लिए जिला स्तर पर विशेष टीम का गठन कर तत्काल गिरफ्तारी सुनिश्चित करें।

 मनी लाॅन्डरिंग के प्रकरणों की विवेचना में विशेषज्ञ का भी सहयोग लें।

 पर्यवेक्षणीय अधिकारी प्रकरणों में सतत् मार्गदर्शन देकर निश्चित समय-सीमा में निराकरण सुनिश्चित करें।

 जिले के अंतर्गंत संचालित समस्त गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सूचीबद्ध करते हुए निदेशक मण्डल के बारे में जानकारी हासिल करते हुए मान्यता, कार्यक्षेत्र, पंजीकृत उद्देश्यों एवं कार्यप्रणाली पर लगातार नजर रखें। इस संबंध में रजिस्ट्रार आॅफ कंपनीज, भारतीय रिजर्व बैंक, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड, एवं राष्ट्रीय आवास बैंक से विस्तृत जानकारी हासिल किया जावे।
 क्षेत्राधिकार से बाहर के ऐसे कंपनियों जिनकी संभाग में ब्रांच संचालित है ऐसे कंपनियों को भी सूचीबद्ध करते हुए विस्तृत जानकारी एकत्रित किया जाए।

 ऐसे कंपनियों में पदस्थ अधिकारी/कर्मचारियों (विशेषकर रिजनल मैनेजर, ब्रांच मैजेनर एवं प्रदेश में कार्यरत् एजेंट) का नाम, पता, आईडी प्रुफ एवं पेनकार्ड एवं मोबाईल नंबर लिया जावे।

 चिटफण्ड कंपनियों के खिलाफ करने के लिए ईनामी चिट और धन परिचालन स्कीम (पाबंदी अधिनियम) 1978, चिटफण्ड अधिनियम 1982 एवं भादवि की धारा 419 एवं 420 सहित अन्य नियमों के तहत् कठोर कार्यवाही का प्रावधान है।

 बंद हो चूकी फ्रॉड कंपनियों की संपत्ति का ब्यौरा हासिल करते हुए सम्पत्ति को सीज कर लिया जावे तथा अदालत के निर्देश पर संपत्ति को बेचकर मिली रकम निवेशकों को लौटाने के संबंध में कार्यवाही किया जावे।

श्री सिंह ने बताया कि चिटफण्ड के प्रकरणों में शासन गंभीर है। धारा-91 सीआरपीसी के अंतर्गत सभी संस्थाएं, समितियां एवं विभाग पुलिस को वांछित जानकारी देने के लिए बाध्य हैं, यदि कोई संस्था पुलिस को चाही गई जानकारी उपलब्ध नही कराती है, तो संस्था के जिम्मेदार पदाधिकारियों के खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जाएगी।

काका खबरीलाल

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