छत्तीसगढ़

लांकडाउन की अफवाह से जमाखोरी शुरू 80-90 रुपए बिकने वाली अरहर दाल 110 रुपए किलो मिल रही

 प्रदेशभर में कोरोना संक्रमित मरीज अचानक से बढ़े है। ऐसे में लाॅकडाउन की आशंका से लाेग चिंतित हैं। जमाखाेर इस आपदा काे अवसर बनाने की तैयारी कर रहे हैं। राशन सहित अन्य सामान की कालाबाजारी व जमाखोरी शुरू हो गई है। बाहर से सामान नहीं आने की बात कहकर जमाखोरी कर रहे हैं और लगातार जरूरी सामान के भाव बढ़ाते जा रहे हैं। 80-90 रुपए प्रति किलो की अरहर दाल 110 रुपए किलो तक बिक रही है।

आलू, प्याज सहित दाल, तेल, आटे की कीमतों में बढ़ोतरी कर दी है। 5 से 8 रुपए तक प्रति किलो दाम बढ़ा दिए हैं। थोक में आलू 12 रुपए मिल रहा, जबकि चिल्हर में 25 रुपए तक बेच रहे है। प्याज 28 रुपए थोक में बिक रहा, जबकि चिल्हर व्यापारी 35 से 38 रुपए में ग्राहकों को बेच रहे है। गुटखा व गुड़ाखू तो बाजार से गायब ही हो गए हैं। लोग खाद्य विभाग के अफसरों को शिकायत भी कर रहे हैं, लेकिन अफसर न तो जांच कर रहे और न ही किराना सामान के भाव नियंत्रित कर पा रहे हैं।

प्रशासन ने तय नहीं किए भाव, इसलिए दाम बढ़े 
किराना के चिल्हर व्यापारी गणेश साहू, मोहनिश नामदेव ने बताया कि आलू, प्याज, दाल और खाने का तेल थोक व्यापारियों के पास पर्याप्त है, लेकिन बाहर से सामान नहीं आने का हवाला देकर जमाखोरी व कालाबाजारी कर रहे हैं। इसका मुख्य वजह प्रशासन ने भाव तय नहीं किए है।

अफवाह के चलते तीन गुने रेट में बिका गुड़ाखू व गुटखा
बड़गांव में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के चलते शासन ने एहतियात बरतना शुरू कर दिया है। पूरे जिले में धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं लॉकडाउन की आशंका के चलते जमाखोरों ने कालाबाजारी भी शुरू कर दी। इसका नजारा शनिवार को बड़गांव साप्ताहिक बाजार में भी देखने को मिला। लॉकडाउन की अफवाह के चलते 6 रुपए में बिकने वाला गुड़ाखु 15 रुपए तक बिका। वहीं 220 रुपए में एक पुड़ा की जगह 500 रुपए तक लोगों ने खरीदा। वहीं गुटका भी दो से तीन गुने रेट में बिका। शनिवार को बड़गांव बाजार में गुड़ाखु की जमाखोरी साफ दिखाई दी। विक्रेता ग्राहक देखकर रेट तय कर गुड़ाखु बेचते रहे। बाजार आए हरबंश, जगदीश, पुनऊ राम, रजबति ने बताया हमें गुड़ाखु करने की आदत है।

छत्तरसिंग पटेल

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