रायपुर

लंबी रूट की ट्रेनों में कोरोना महामारी के गाइड़लाइन की उड़ रही धज्जियां… जनरल बोगी में गमछे का झूला बनाकर सफर… फिर भी नहीं जोड़ रहे एक्सट्रा कोच

रायपुर (काकाखबरीलाल).रायपुर से गुजरने वाली ज्यादातर लंबी रूट की ट्रेनों में भीड़ बढ़ने के साथ ही कोरोना गाइडलाइन ध्वस्त हो रही है। जनरल बोगी में गमछे और चादर का झूला बनाकर यात्री उसमें सफर कर रहे हैं, जबकि आरक्षित डिब्बों की तरह जनरल बाेगी में जितनी सीटें हैं उतनी ही टिकट देना है। इसके बावजूद कमाई के चक्कर में टीटीई बिना टिकट बोगी में सवार होने वाले यात्रियों से जुर्माना वसूलकर उन्हें यात्रा की छूट दे रहे हैं।

टिकट किराये के अलावा ढाई सौ जुर्माना देकर यात्रा करने का जैसे ट्रेंड बनता जा रहा है। लगभग सभी ट्रेनों की लोकल बोगी में 90 की क्षमता से दोगुने यात्री सफर कर रहे हैं। बाेगी के गेट और बाथरुम के सामने वाली छोटी सी जगह में भी लोग खड़े होकर सफर करने लगे हैं।

दो बर्थ के बीच के फर्श की खाली जगह को भी नहीं छोड़ा जा रहा है। जिन्हें वहां जगह मिल रही है वे वहीं चादर बिछाकर लेट जा रहे हैं। जबकि कोरोना काल में इस तरह से सफर करने की सख्ती से मनाही है। इसके बावजूद ट्रेनों में जनरल बोगी का अतिरिक्त कोच नहीं बढ़ाया जा रहा है।

केवल स्लीपर व एसी क्लास के कोच जोड़े जा रहे हैं। सभी लंबी दूरी की ट्रेनें अभी केवल दो-दो जनरल बोगी के साथ चलायी जा रही है। हालांकि इनमें दो से तीन कोच अभी जोड़े जा सकते हैं। कोरोनाकाल के पहले तक ट्रेनें में पांच-छह जनरल बोगी के साथ चलायीं जाती थीं। रेलवे के ही कुछ अफसर मान रहे हैं कि कोच की संख्या बढ़ायी जा सकती है।

इन ट्रेनों में जोड़े स्लीपर व एसी, लेकिन जनरल नहीं
बढ़ती वेटिंग को देखते हुए रेलवे ने वलसाड-पुरी स्पेशल में स्लीपर का अतिरिक्त कोच वलसाड-पुरी के बीच बढ़ाया गया। ओखा-हावड़ा स्पेशल में भी एक अतिरिक्त स्लीपर कोच की सुविधा ओखा एवं हावड़ा के बीच बढ़ाने का फैसला हुआ है।

इसी तरह पोरबंदर-हावड़ा स्पेशल में एक अतिरिक्त स्लीपर कोच की सुविधा दी गई है, लेकिन इन ट्रेनों के जनरल डिब्बे में भीड़ के बावजूद एक्सट्रा कोच की सुविधा नहीं दी गई है। दुर्ग-अजमेर व दुर्ग-नौतनवा स्पेशल के जनरल कोच में पैर रखने की जगह नहीं रहती।

भीड़ को देखते हुए एसी व स्लीपर कोच ही जोड़ने का फैसला हुआ है। दुर्ग-नौतनवा स्पेशल में एक अतिरिक्त एसी-I सह एसी-II कोच की सुविधा दी गई। जनरल बोगी बढ़ाने पर विचार ही नहीं किया जा रहा है। इसी तरह दुर्ग-अजमेर स्पेशल में केवल एक अतिरिक्त स्लीपर कोच बढ़ायी गई है, जबकि जनरल बोगी में भी जबरदस्त भीड़ रहती है।

सीट फुल फिर भी सफर की मजबूरी
रायपुर से गुजरने वाली दस से अधिक ट्रेनों के जनरल कोच में जबरदस्त भीड़ बढ़ी है। मुंबई-हावड़ा रूट की अधिकतर ट्रेनों के अलावा, सिकंदराबाद-दरभंगा, दुर्ग-भोपाल अमरकंटक, दुर्ग-निजामुद्दीन संपर्कक्रांति, पुरी-अजमेर के जनरल डिब्बे में पैर रखने की जगह नहीं रहती। 90 सीट की क्षमता वाली जनरल बोगी में ढाई से साढ़े तीन सौ तक यात्री सफर कर रहे हैं। यात्रियों ने बताया कि मजबूरी में किसी तरह अधिक पैसा देकर डिब्बे में सवार हुए हैं।

खुद नियम बनाकर आंखें मूंदी, जुर्माना लेकर तोड़ रहे नियम
रेलवे बोर्ड अब अपने ही बनाए नियमों को तोड़ रहा है। जुर्माना लेकर जनरल बोगी में यात्रियों को ठंसा जा रहा है जबकि अनलॉक के बाद जब धीरे-धीरे ट्रेनों का परिचालन शुरू किया गया तब सख्त गाइडलाइन जारी की गई थी। एसी व स्लीपर के साथ-साथ जनरल बोगी में जितनी सीटें है, उतने ही यात्रियों को सफर की अनुमति दी गई।

शुरुआती दिनों में गाइडलाइन का सख्ती से पालन कराया गया, लेकिन अब स्टेशन में जुर्माना वसूलकर चालानी टिकट थमाकर हर यात्री को सफर की अनुमति दी जा रही है। चालानी टिकट लेकर यात्री बेखौफ यात्रा कर रहे हैं। केवल कमाई बढ़ाने के लिए रेलवे जनरल डिब्बों में ना तो सोशल डिस्पेंसिंग का ख्याल कर रहा है और ना ही तय प्रोटोकॉल का पालन करवा रहा है।

छत्तरसिंग पटेल

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