मातृशक्ति एवं समाज सेवा की सर्वोत्तम उदाहरण देवी अहिल्याबाई – डॉ. टोपलाल वर्मा
रायपुर। बाबू पंढरी राव कृदत्त, शासकीय महाविद्यालय सिलौटी की ओर से आयोजित, अमर वीरांगना देवी अहिल्याबाई होलकर जी की त्रीशताब्दी समारोह के अवसर पर छात्र-छात्राओं के व्यक्तित्व निर्माण हेतु विस्तार व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। 27 सितम्बर 2024 को महाविद्यालय में आयोजित इस व्याख्यानमाला से छात्र- छात्राओं को पूण्य श्लोका देवी अहिल्याबाई होलकर की सादगी, कर्तव्य निष्ठा, धर्म के प्रति प्रतिबद्धता, प्रशासनिक कौशल एवं दूरदर्शिता से रूबरू होने का एक शानदार अवसर प्राप्त हुआ। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. टी. एल. वर्मा, सेवानिवृत्त प्राध्यापक, शासकीय जे. योगानंदम छत्तीसगढ़ महाविद्यालय रायपुर थे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. के. के. साहू, प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष, बायोटेक्नोलॉजी अध्ययनशाला, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर एवं डॉ. कमलेश कुमार शुक्ला, सह-प्राध्यापक, बायोटेक्नोलॉजी अध्ययनशाला, पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय रायपुर रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं महाविद्यालय की प्राचार्य एवं संरक्षिका डॉ. भावना कमाने द्वारा विशिष्ट अतिथियों का सम्मान एवं स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ. टी. एल. वर्मा ने अपने वक्तव्य में कहा कि देवी अहिल्याबाई होलकर सहीं अर्थों में मातृशक्ति थीं। उन्होंने दशकों पूर्व राष्ट्रीय, सांस्कृतिक एवं भावात्मक एकीकरण का अविस्मरणीय प्रयास किया। उन्होंने देवालयों एवं सांस्कृतिक प्रतीकों के जीर्णोद्धार एवं नव निर्माण का अत्यंत साहसिक कार्य किया। उनका योगदान ऐतिहासिक है। उन्होंने प्रभावी राज्यशैली, धर्मपरायणता एवं बुद्धिमत्ता की मिसाल पेश की। उनके अवदान मात्र होलकर राज्य तक सीमित नहीं है, वरन संपूर्ण भारत और विश्व में एक सशक्त नारी शक्ति के रूप में उनका स्मरण किया जाता है। डॉ. वर्मा ने कहा कि देवी अहिल्याबाई होलकर जी को याद करना भारतीय संस्कृति के उदात्त पक्षों को याद करना है, जिनका उन्होंने आजीवन संरक्षण किया। देवी अहिल्याबाई होलकर अपनी कर्तव्य परायणता एवं समाजसेवा से लोकमाता बनीं। डॉ वर्मा ने यह भी उल्लेख किया कि अहिल्याबाई न केवल समाज सेविका थी बल्कि एक पर्यावरण संरक्षिका भी थी, जिन्होंने अपने होलकर राज्य में वृक्षारोपण को बढ़ावा दिया। उन्होंने सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों को भी समाप्त करने का प्रयत्न किया। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. के. के. साहू एवं डॉ. कमलेश कुमार शुक्ला ने भी छात्र-छात्राओं को देवी अहिल्याबाई के जीवन से प्रेरणा लेने तथा उनके सामाजिक सेवा के मार्ग पर चलने हेतु प्रोत्साहित किया। आयोजित व्याख्यान कार्यक्रम का संचालन भूगोल विभाग के डॉ. शिवेंद्र बहादुर द्वारा किया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डॉ. नरेन्द्र कुमार ध्रुव, भारती मंडावी ओम प्रकाश साहू, हितेश नेताम, भावना दीवान, त्रिभुवन साहू, राकेश कुमार कौशिक, दानेश्वर वर्मा, पद्मराज क्यूट एवं पवन साकेत की गरिमामय उपस्थिति रही।