कोरोना वायरस की वेक्सीन बनकर तैयार पढ़े पुरी खबर
(देशदुनिया काकाखबरीलाल).
कोरोनावायरस की वजह से पूरी दुनिया में 108,610 लोग संक्रमित हैं। 3825 लोगों की मौत हो चुकी है। यूरोपियन यूनियन और अमेरिका भी चीन से निकली बीमारी से परेशान है। अब एक बड़ी खुशखबरी आई है। अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम (यूके) के वैज्ञानिक अगले माह से इंसानों पर कोरोनावायरस के वैक्सीन का परीक्षण यानी ह्यूमन ट्रायल करेंगे। यानी इन्होंने मिलकर कोरोना का दवा यानी वैक्सीन बना लिया है। अगले माह यानी अप्रैल से यूके और अमेरिका में कोरोना वायरस के वैक्सीन यानी टीके के जो इंसानी परीक्षण शुरु होंगे, उसे यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन और अमेरिकी दवा कंपनी मॉडर्ना और इनवोइओ ने मिलकर बनाया है। डेली मेल में प्रकाशित खबर के अनुसार अगर इंसानों पर कोरोना के वैक्सीन का परीक्षण सफल होता है तो उस टीके से दुनिया भर के कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों का इलाज किया जाएगा। यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से संबंधित इंपीरियल कॉलेज के वैज्ञानिक और अमेरिकी दवा कंपनी दोनों अप्रैल से इंसानी परीक्षण के लिए तैयार है। अमेरिकी दवा कंपनियों ने कहा है कि इस संयुक्त ह्यूमन ट्रायल के अलावा अपनी तरफ से भी इंसानों पर परीक्षण करेंगे। इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिक प्रोफेसर रॉबिन शैटॉक ने कहा कि कोई भी वैक्सीन शुरुआती दौर में वायरस को सिर्फ रोक सकती है। ताकि बीमारी ज्यादा फैले न। इंसानी शरीर में ही बेहद कमजोर हो जाए। इसके बाद ऐसी वैक्सीन खोजी जाती है जो इंसान के शरीर में मौजूद वायरस को खत्म कर दे। या इंसानी कोशिकाओं को वायरस से लड़ने और हराने के लायक बना दे
प्रो. रॉबिन शैटॉक ने बताया कि अगर इंसानों पर शुरुआती परीक्षण सफल रहे तो हम उन देशों में दवाइयां भेजेंगे जहां सच में लोग कोरोना से संक्रमित है। ताकि लोगों का इलाज हो सके। अमेरिकी दवा कंपनी इनवोइओ ने कहा है अगर कोरोना के वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल सफल होता है तो हम इस साल के अंत तक 10 लाख दवाएं बनाकर पूरी दुनिया बांट देंगे।
प्रो. रॉबिन शैटॉक ने बताया कि सामान्य तौर पर किसी भी बीमारी का वैक्सीन बनने में 5 साल तक का समय लगता है। लेकिन इस बार हमने रिकॉर्ड तोड़ समय पर कोरोना का वैक्सीन बनाया
हमने इतनी लंबी प्रक्रिया को बेहद जल्द पूरा कर लिया है। वैक्सीन बनाने में हमें सिर्फ 4 महीने लगे। अब उम्मीद बस ह्यूमन ट्रायल के सफल होने से लगाई जा सकती है।
जो वैक्सीन बनाई गई है उसमें 2003 में फैली महामारी सार्स की दवा को भी मिलाया गया है। ताकि ये भी पता चल सके कि नए कोरोनावायरस पर इस वैक्सीन का क्या असर होता है।