महासुमंदसरायपाली

खेतों मेंं लगातार सिंचाई के चलते सूख गए नाले एवं तालाब..गर्मी में पेयजल के लिए भटकेंगे मवेशी

काकखबरीलाल,सरायपाली । इस वर्ष नदी नालों एवं खेतों में स्थित डबरी तालाबों से लगातार सिंचाई किए जाने के बाद एक बूंद भी पानी नहीं बचा है. जिसके चलते गर्मी के दिनों में मवेशियों को पेयजल के लिए भटकना पडेगा. इस वर्ष भादों महीना के बाद से ही इस क्षेत्र में बारिश बंद हो गया. यहां के कुछ बडेÞ नालों को छोड़कर तमाम छोटे-छोटे नालों में पानी का नामो निशान नहीं है. अभी धान कटाई का काम अंतिम चरण में है. पुसपूर्णिमा के बाद इस अंचल में मवेशियों को खुले में चरने के लिए छोड़ा जाता है. इसके बाद से ही मवेशियों को नदी नालों, डबरी से अपनी प्यास बुझानी पड़ती है. परंतु इस वर्ष निस्तारी तालाब को छोड़कर शेष नदी नालों, डबरी तालाबों में पक्षियों के पीने के लिए भी पानी नहीं बचा है. यहां के सुरंगी नाला, लांत नाला, बहंगर नाला सहित क्षेत्र के कुछ बडेÞ नालों में जगह-जगह पानी मौजूद है.

इस वर्ष क्षेत्र के सैकड़ों गांव में अंतिम समय में फसल बचाने की भारी जद्दोजहद करनी पड़ी. इसके लिए लोग 3-4 किमी से भी पानी लाकर अपने खेतों तक पहुंचाकर फसल बचाने में लगे रहे. दरअसल गणेश सीजन तथा दुर्गोत्सव के समय बारिश हो जाने से फसल बचाने की चिंता किसानों को नहीं रहती. लेकिन इस वर्ष ठीक समय में पानी की कमी हो जाने से धान की फसल को नुकसान हुआ है. जहां भी पानी उपलब्ध रहा वहां से सिंचाई लगातार की गई है. जिसके चलते नालों, तालाबों में मवेशियों के पीने लायक पानी नहीं बचा है. गांव में केवल निस्तारी तालाबों को छोड़कर ही खेत खलिहानों में स्थित सभी डबरी, तालाब सूखे पडे हुए हैं. स्थिति यहां तक रही कि कई तालाबों के मेढ़ भी काटकर पूरा पानी सिंचाई के लिए निकाला गया.

नदी नालों खेतों में स्थित तालाबों से सिंचाई की आवश्यकता नहीं पड़ने पर गर्मी के दो महीने तक पानी उसमें मौजूद रहता है. परंतु इस वर्ष लगातार सिंचाई किए जाने से उन स्त्रोतों से पानी नहीं मिल पाएगा. इसके लिए गर्मी महीने में दूर-दूर तक जाकर अपने पेट भरने के बाद मवेशियों को पानी के लिए भटकना पड़ सकता है. इसके लिए केवल गांव का निस्तारी तालाब ही बचा रहेगा. पानी उपलब्ध रहने से नाला किनारे इन दिनों थोड़ा बहुत सब्जी भाजी भी लगाया जाता है. परंतु इस वर्ष पानी न होने से ऐसे किसान चुपचाप बैठे हुए हैं. जिन गांव ट्यूबवेल की अधिकता है वहां के अधिकांश तालाब अभी से सूखे पडे हुए हैं. वहां पेयजल एवं निस्तारी के लिए केवल ट्यूबवेल ही सहारा बना हुआ है.

काका खबरीलाल

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