सरायपाली: विद्यालय परिवार सिरबोड़ा द्वारा किया गया शैक्षणिक भ्रमण
सरायपाली( काकाखबरीलाल).शैक्षिक भ्रमण में हम परोक्ष नहीं बल्कि प्रत्यक्ष रूप से देखते हैं, जिससे ज्ञान स्थायी होते हैं, साथ ही रासानुभूति की प्राप्ति होती है और नयन सुख की प्राप्ति होती है । यह मनोरंजन के माध्यम से सीखना शिक्षा का सबसे अच्छा माध्यम है। इसी तारतम्य में
विद्यालय परिवार सिरबोड़ा द्वारा शैक्षणिक भ्रमण के अंतर्गत कोडार डैम,चम्पारण, राजिम और ऐतिहासिक नगरी सिरपुर का भ्रमण किया गया । जिसके अंतर्गत प्राथमिक ,उच्च प्राथमिक एवं हाई स्कूल के समस्त बच्चे एवं शिक्षकों के अलावा स्वीपर, रसोइया,एसएमसी सदस्य ,पालकगण सम्मिलित हुए । प्रातःकाल सभी बस में सवार होकर सर्वप्रथम कोडार बांध पहुँचे । जहाँ सभी के द्वारा स्वल्पाहार करने के पश्चात कोडार की खूबसूरती का सभी ने दर्शन किया और उसके महत्व को जाना ।
*शैक्षणिक भ्रमण के दौरान धर्मेंद्रनाथ राणा ने बच्चों को तीनों स्थल के धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के बारे में विस्तार पूर्वक बच्चों के साथ साझा किया जिसमें चंपारण में बच्चों की जिज्ञासाओं को शांत करते हुए उन्होंने बताया कि चंपारण एक धार्मिक महत्व का गांव है चंपारण छत्तीसगढ का बहुत ही रमणीय स्थल है। यहां चम्पेश्वर महादेव का मंदिर तथा महाप्रभु वल्लभाचार्य का प्राकट्य स्थल होने से यहां प्रतिदिन दूर-दूर से सैलानी आते हैं। महाप्रभु वल्लभाचार्य के अनुयायी वैसे तो पूरे देश में फैले हैं। वल्लभाचार्य जी की जन्म से लेकर के समाज में उनके महत्व को बच्चों के सामने विस्तार पूर्वक रखा जिससे बच्चों ने ध्यान से सुना और समझा।ऐतिहासिक नगरी राजिम में भी भगवान राम के प्राचीन मंदिर एवं भव्य श्री राजीव लोचन मंदिर तथा कुलेश्वर महादेव के बारे में बताया गया। माघ पूर्णिमा में लगने वाले मेला के बारे में भी विस्तृत रूप से बताया गया।*
अंतिम पड़ाव में सिरपुर पहुंचे जहां पर लक्ष्मण जी का मंदिर एवं पुरातत्व विभाग के म्यूजियम में छठवीं शताब्दी के शीला अवशेषों को बच्चों ने देखा जिससे उनके बारे में बहुत से प्रश्न बच्चों द्वारा किया गया इनके विभिन्न जिज्ञासाओं को शांत किया गया।
भ्रमण से जो हम सीखते हैं, उसे पुस्तकों से सीखना कठिन होता है । क्योंकि सीखने में आँख की भूमिका अन्य ज्ञानेन्द्रियों की तुलना में सबसे अधिक होती है । पुस्तकीय ज्ञान को आज प्रत्यक्ष देखकर बच्चे बहुत ही उत्साहित नजर आए । शैक्षणिक भ्रमण वह प्रक्रिया है जहाँ पर छात्र खुले वातावरण में शिक्षा को अपने व्यक्तिगत अनुभवों से परिभाषित करते है शैक्षिक भ्रमण के माध्यम से छात्रों में एक अनुभूति जागृत होती है, जिससे वे भारत की विभिन्नताओं जैसे – इतिहास , विज्ञान शिष्टाचार और प्रकृति को व्यक्तिगत रूप से जान सकते है इसके अतिरिक्त छात्रों में समूह में रहने की प्रवृति , नायक बनने की क्षमता तथा आत्मविश्वास एवं भाई चारे की भावना प्रबल होती है। इस दौरान
विद्यालय स्टाफ से संकुल प्रभारी दामोदर महापात्र,प्रधानपाठक उच्च प्राथमिक हीरालाल साहू,प्रधानपाठक प्राथमिक धर्मेन्द्रनाथ राणा,विजय नायक,महेश कुमार साहू,कमलेश बारीक,सरपंच प्रतिनिधि संतलाल बारीक,एसएमसी अध्यक्ष अभिमन्यु नैरोजी और मदन भोई,महेंद्र नायक,बेलमती नायक,धरणीधर नायक,हिमाद्रि बारीक,हरिप्रिया बगर्ति,जयदेव एवं पिंटू सम्मिलित हुए एवं इस शैक्षणिक भ्रमण को सफल बनाने में सभी का महत्वपूर्ण योगदान रहा ।