“स्वास्थ्य सेवाओं की सुचिता पर ही होगा देश का विकास”- डॉ सतीश दीवान
शुकदेव वैष्णव,राजधानी ब्यूरो/काकाखबरीलाल: जनता के स्वास्थ्य का संबंध उस देश के विकास से होता है। जब जनता स्वस्थ्य होगी तो उत्पादकता बढ़ेगी, आर्थिक विकास दर बढ़ेगा और स्पष्टतः देश प्रगति करेगा। हमारा देश कुछ उन देशों में से एक है, जहाँ संक्रामक व असंक्रामक रोगों की भरमार है। इन सबके लिए स्वास्थ्य सेवाओं की पर्याप्त सुविधा का होना अत्यंत आवश्यक है।
इन्ही उद्देश्यों के लिए देश और समाजसेवा में तत्पर समाजसेवी संस्था “विप्र स्वास्थ्यसेवा संगठन” द्वारा शासकीय स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित जरूरमंद लोगों के हित में निःस्वार्थ रूप से स्वास्थ्य सेवाएं देने का सेवा कार्य किया जाता है। स्वास्थ्य शिविरों और नुक्कड़ नाटकों, सभाओं, स्कूल कॉलेजों, झुग्गी बस्तियों में संगठन कार्यकर्ता विभिन्न प्रयोजनों के माध्यम से लोगों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते हैं।
संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ सतीश दीवान के अनुसार हमें इस बात को समझना होगा कि बीमारी या रोग व्यक्तिगत नहीं होते। इसका निराकरण समग्र रूप से किया जा सकता है। हमारी स्वास्थ्य सेवाओं का आधार अब लोगों को स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की शिक्षा देने पर होना चाहिए। भारत को स्वस्थ बनाने का उत्तरदायित्व व्यक्तिगत एवं निजी क्षेत्र के प्रयासों से सरकार को सहयोग देना है।
भारत की बदलती स्वास्थ्य स्थिति की जरूरतों में अब प्रत्येक वर्ष डेंगू और चिकनगुनिया, स्वाइन फ्लू आदि के कारण स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च पर बहुत प्रभाव पड़ने लगा है। इसके लिए हमारी व्यवस्थाएं अपर्याप्त हैं।
हमें उत्तम स्वास्थ सेवाओं के लिए दवाएं, सूचना, सेवा, स्वास्थ्य कार्यदल, वित्त एवं प्रशासन जैसे मानदण्ड स्थापित करनी होगी।
सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, गुणवत्ता, तथा कीमत इन तीनों समस्याओं के समाधान ऐसे हों, जो सार्वजनिक रूप से स्वीकार्य हों।
हमारे देश के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों एवं शहरों की निचली बस्तियों में स्वास्थ्य सेवाओं की पहुँच ही नही के बराबर है। रोग के थोड़ा भी जटिल होने पर रोगी को किसी बड़े जिले के अस्पताल ले जाया जाना आम बात है। इसके समाधान के बारे में डॉ दीवान ने आगे कहा कि सभी स्तरों पर सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं का प्रसार किया जाना चाहिए और सार्वजनिक धन का निवेश, स्वास्थ्य कर्मचारियों की संख्या को बढ़ाना, सार्वजनिक उचित प्रबंधन आदि को व्यवहार में लाना होगा। जन कल्याण हेतु सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में कर्मचारियों या प्रतिभा की कमी को निजी क्षेत्र के लोगों की अनुबंध आधारित भर्ती के द्वारा सुलझाया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता, रोगी के लिए आवश्यक लैब परीक्षण एवं उपचार, रोगी एवं परिवारजनों की संतुष्टि तथा मानवीय एवं संस्थागत आधार पर रोगी की देखभाल करने वालों की उपलब्धता आवश्यक है।
— स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले भारी खर्च से समाज का एक वर्ग आर्थिक रूप से विपन्नता की स्थिति में ही जीवन जीने को मजबूर रहता है। गरीब एवं अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाली बड़ी संख्या के लोगों को स्वास्थ्य बीमे की सुविधा नहीं मिल पाती है। इसके समाधान के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं में सकल घरेलू उत्पाद के खर्च को 2025 तक बढ़ाकर 5 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है। इस लक्ष्य की सीमा को 2019 किया जाना चाहिए।
स्वास्थ्य सेवाओं की उपलब्धता, गुणवत्ता एवं कीमत पर एक एकीकृत प्रयास की आवश्यकता है। इसको सुनिश्चित करने के लिए यूनिवर्सल हैल्थ कवरेज को अपनाना आज हमारी आवश्यकता बन चुकी है।
वर्तमान परिप्रेक्ष्य में हमें बीमारियों की रोकथाम, निदान और उपचार के साथ-साथ बीमारी पर निगरानी, डाटा एकत्र करना, स्वास्थ्य क्षेत्र में आधुनिक शोध, स्वास्थ्य सेवा के लिए कार्यदलों का प्रशिक्षण, पर्याप्त स्टाफ, सभी लोगों के लिए पोषण, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, सुरक्षित एवं प्रभावशाली दवाओं की उपलब्धता तथा स्वास्थ्य एवं पोषण के लिए सार्वजनिक व निजी क्षेत्रों की भागीदारी जैसे मुद्दों पर काम करना होगा।
घर-घर में स्वास्थ्य एवं पर्याप्त पोषण की पहुंच के लिए मोहल्ला क्लीनिक की अवधारणा बहुत अच्छी है, लेकिन इसे गम्भीरता और व्यवस्थित ढंग से इसका कार्यान्वयन करना होगा। इन सारी कमियों और विसंगतियों के निराकरण के लिए सामाजिक क्षेत्र में जन-भागीदारी को बढ़ाकर हम अपने नागरिकों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान कर सकते है।