छत्तीसगढ़

महासमुंद : बारिश से खेत लबालब हुए, किसानों को रोपाई में हो रही है आसानी

शनिवार-रविवार को हुई तेज बारिश से भले ही जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है, लेकिन किसानों लिए यह लाभदायक है। इस बारिश से खेत लबालब हो गए है। इनसे डीजल व पानी का खर्चा की चिंता अब दूर हो गई है। खेतों में भरे लबालब पानी से रोपाई काम में तेजी आ गई है। 2300 हेक्टेयर में रोपाई हो गई है। आने वाले समय में रोपाई का काम जल्द ही पूरा करेंगे।इधर, बोनी पद्वति से फसल ले रहे किसानों के लिए भी पानी फायदे मंद है, क्योंकि खेतों में भरा हुआ है और धान के छोटे-छोटे पौधे निकल आए हैं। कुछ ही किसानों को नुकसान है, लेकिन उतना नहीं। बोनी का काम भी 1 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है।

इस साल जिले में 2 लाख 37 हजार हेक्टेयर में धान का रकबा है। बोनी का काम किसानों ने लगभग पूरा कर लिया है, हालांकि कृषि विभाग की रिपोर्ट में अंकित नहीं है। वहीं रोपा का काम भी तेजी से आगे बढ़ रहा है, क्योंकि किसान बारिश का इंतजार कर रहे थे। बोनी कर चुके किसान इस पानी के बाद से बियासी का काम भी शुरू कर दिया है, ताकि खरपतावर निकल न आए।

50 हजार 662 मिट्रिक टन खाद का हुआ वितरण : कृषि विभाग द्वारा अब तक 68 हजार 16 कृषकों को खेती किसानी के लिए 299 करोड़ 92 लाख रुपए का ऋण वितरण किया गया है। वर्ष 2021-22 खरीफ वर्ष में 54 हजार 082 कृषकों को खेती-किसानी के लिए 220.93 करोड़ का ऋण वितरण किया गया था। इसके अलावा जिले के किसानों को 41 हजार 555 क्विंटल बीज वितरण किया जा चुका है।

इसमें स्थानीय बीज विक्रेता भी शामिल है, वहीं अब तक 50 हजार 662 मीट्रिक टन खाद का वितरण किया गया है। जिसका लक्ष्य 1 लाख 21 हजार 750 मीट्रिक टन है। प्राथमिक कृषि सहकारी साख समितियों में मांग के अनुसार किसानों को खाद और बीज उपलब्ध कराने की कार्रवाई की चल रही है।

अगस्त तक चलेगा रोपा का काम

जिले में रोपा पद्घति से 57 हजार हेक्टेयर में धान की फसल किसान ले रहे हैं। इसके अलावा थरहा पद्घति से फसल ली जाती है। रोपा पद्वति से फसल लेने वाले किसान खेतों में बारिश का इंतजार कर रहे थे। किसानों का इंतजार अब समाप्त हो गया है। शनिवार-रविवार को हुई बारिश से पूरा खेत लबालब हो गया है। किसान खेतों में इन दिनों रोपा लगाने में व्यस्त है। 2300 हेक्टेयर में रोपा लगाने का काम पूरा हो गया है। कृषि विभाग की मानें तो अगस्त के अंतिम सप्ताह तक रोपाई का काम चलता है। इसके बाद किसान राहत की सांस लेते हैं।

काका खबरीलाल

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