देश-दुनिया

जान जोखिम में डालकर स्कूल जाने को मजबूर है बच्चे,सड़क नही होने कारण टूट चुके है कई विवाह के रिश्ते।

अंतिम छोर में बसे ग्रामीणों को आज भी पुलिया व चमचमाती सड़क की बांट जोह रहा।

ग्रामीणों ने कई बार अधिकारी व मंत्रियों का दरवाजा खटखटाया लेकिन समस्या जस की तस।

प्रकाश सिन्हा।महासमुंद/बसना- छत्तीसगढ़ राज्य के अंतिम छोर में बसे ग्रामीण आज भी विकास की राह देख रहा है। आजादी के 70 साल बाद भी यंहा के लोगों को मूलभूत सुविधाओं के मोहताज है। लेकिन इनकी सुध लेने वाला कोई नही। चुनावी मौसम देख नेता गाँव पहुंचे है और ग्रामीणों को विकास करने का वादा देकर भूल जाते है।
विकास का सपना दिखाने वाले नेता चुनाव के बाद दर्शन दुर्लभ हो जाते है। पझरापाली पंचायत समेत दर्जन भर ऐसे गांव जिला मुख्यालय के अपने अनुभाग जाने व स्कूल-कॉलेज जाने के साथ-साथ दैनिक जीवन के वस्तुओं के तलाश में लोग पगडंडी मार्ग से होकर बसना-सरायपाली जाते है।
काका खबरीलाल ने जब पड़ताल की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। प्रदेश की रमन सरकार अपने विकास यात्रा में गांव की विकास करने वाली सरकार कहते हुए गांव-शहर में जनसम्पर्क अभियान जोरशोर से चलाया गया। आजादी के 70 साल बाद भी ग्रामीण इलाकों में लोग विकास की राह तलाश रहे है. वही केंद्र व राज्य सरकारे ग्रामीण क्षेत्रो को डिजिटल इंडिया व स्वछता अभियान की रूपरेखा स्थापित करने के प्रति सजग दिखती है लेकिन प्रसासनिक उदासीनता की वजह से ग्राम प्रधान सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रो के लोगो को मिलने बाली मूलभूत सुविधाओं को भी डकारने मे पीछे नहीं है। दिलचस्प बात यह है कि सरकार ने शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाने का बीड़ा उठया है कहीं न कही नौकरशाहों कि उदासीनता के कारण नही पहुंच पा रहा। आपको बतादे की सरायपाली-बसना विधानसभा में विकास की गाथा गढ़ने छत्तीसगढ़ शासन ने श्रीमती रुपुकमारी चौधरी संसदीय सचिव छ.ग. शासन, सरायपाली विधायक रामलाल चौहान , पुरन्दर मिश्रा को क्रेडा अध्यक्ष छ.ग. शासन व चंद्रशेखर पाड़े को माटी कला बोर्ड के अध्यक्ष बनाने के बावजूद गांव में विकास की गंगा बहने की बजाए डूबती नजर आ रही है।
ठीक इसके विपरीत सरायपाली-बसना विधानसभा के पझरपाली पंचायत में देखा जा सकता है। ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाओं समेत विकास कार्यो की पोल खुलते नजर आएंगे। ग्रामीणों को आज भी सड़क, आवास, बिजली शौचालय व पानी के लिए नलों जैसी मूलभूत सरकारी सुविधाओं के लिए बाट जोहनी पड़ रही है। जिले के दो ऐसे विधानसभा है जंहा पर आजादी के 70 साल बाद भी लोग विकास के लिए तरस रहे है। बतादे की छत्तीसगढ़ के अंतिम छोर में बसे ग्रामीणों को आज भी पुलिया व चमचमाती सड़क की बांट जोह रहे है।
हम बात कर रहे विकास खण्ड बसना के ग्राम पंचायत पलसापली (अ) और सरायपाली के ग्राम पंचायत पझरापाली तक सड़क और पुल के कारण लगभग तीन हजार की आबादी वाले ग्रामीण अपने विकास का रास्ता खोजने का प्रयास कर रहा है।
बतादे की उक्त मार्ग से होकर सरायपाली अनुभाग विकासखण्ड के पलसापाली (अ), परगला, अकोरी, बिरसिंगपाली आदि है। वही सरायपाली क्षेत्र के पझरापाली, बेल्डीह, भालुकोना समेत 4 गांव शामिल है।
ग्रामीणों ने बताया कि उक्त मार्ग व पुल के लिए कई बार अधिकारी व मंत्रियों का दरवाजा खटखटाया लेकिन किसी ने अब तक गुहार नही सुनी।

नही पहुंच पाती सुविधा

बसना व सरायपाली विकासखण्ड के के अंतिम छोर में बसे 10-12 गांव के ग्रामीणों मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. गांवों के लोगों की माने तो इनके गांवों में महतारी एक्सप्रेस वाहन और शासन की 108 संजीविनी वाहन जैसी सुविधाएं भी पहुंच नहीं पाती। यहां तक की मोबाइल का कवरेज भी नहीं मिल पाता है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि गंभीर बीमारी या दुर्घटना होने पर हालात कितने बिगड़ जाते होंगे। यहीं नहीं बारिश के दिनों में यहां के ग्रामीणों का जीवन नरकीय जिंदगी से कम नहीं।

उपचार के अभाव में बढ़ रही मौत

बारिश में बेबस जिंदगी जीने को मजबूर ग्रामीणों ने बताया की सुविधाओं से पूरी तरह से मोहताज होने के कारण किसी व्यक्ति के बीमार होने या प्रसव पीड़ा के दौरान पीड़ितो को सिवाएं तिलमिलाहट के कुछ और हासिल नहीं हो पाता है। कई बार तो उपचार व साधन के अभाव में मौत होने के मामले भी इन गांवों में बढ़ रहे हैं। बतादे की बरसात के समय खाट पर उठाकर ही नाला पार करते बनता है. वही अत्यधिक पानी का बहाव होने से नाला पार नही कर पाते। वर्ष 2012-13 में डायरिया से 97 लोग पीड़ित थे जिसमें 2 की मौत हो गई। आननफानन अफसर शिविर लगाकर उपचार किया गया तब ग्रामीणों ने राहत की सांस ली।

नाला पार कर जाते है स्कूल

देश के भविष्य कहे जाने वाले छोटे-छोटे स्कूली बच्चे पढ़ाई करने के लिए नाला पार करके स्कूल जाते है। वहीं बरसात के समय एक दो घण्टे की बारिश में ही 4-5 फिट पानी भर जाता है। फिर भी बच्चे अपनी जान जोखिम में डाल कर तैरते हुए स्कूल जाना नही छोड़ते। आपको बता दे कि बसना शहर आने का एक मात्र मार्ग है। 10-12 गांव के छात्र-छात्राओं गढ़फूलझर स्कूल व बसना कॉलेज आने के लिए इसी मार्ग से आवगमन करते हैं। कॉलेज के एक छात्र ने होने वाले समस्या को विभगीय मंत्री व अधिकारियों को आवगत कराया था। उसके बाबजूद आज पर्यन्त दिन तक कार्य प्रारंभ नही हो पाया जो दुर्भाग्य का विषय है।

सड़क नही होने कारण टूट चुके है कई रिश्ते

गांव के विकास के साथ-साथ सबसे बड़ी बात यह है कि इस गांव में सड़क नही होने से लगभग 35-40 रिस्ते टूट चुके है। गांव के बुजुर्ग कहते है सड़क और पुलिया नही होने के कारण युवक-युवती की शादियों पर ग्रहण लग गया है। छत्तीसगढ़ का अंतिम गांव होने के कारण सरकार ध्यान नही दे रही है। जिससे गांव का विकास रुक गया। आज के आधुनिक युग मे विवाह वही कर रहे जंहा सुविधाएं हो। मगर पझरापाली पंचायत समेत दर्जन भर गांवों में रिश्ते नही होने से ग्रामीण की चिंता बढ़ गई है।

क्या कहते है सरायपाली विधायक:-

पलसापली-बेलडीह मार्ग और नाले के लिए प्रशासनिक स्वीकृति हो गया है। आने वाले समय मे कार्य प्रारंभ हो जाएगा। कब प्रारम्भ होगा यह नही बता सकता लेकिन कार्य जरूर होगा।

रामलाल चौहान
विधायक, सरायपाली

Ramkumar Nayak

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