शिक्षिका ने कायम कि मिसाल ऑनलाइन क्लास से हुई दिक्कत तो बन गई पारा टीचर
अंबिकापुर( काकाखबरीलाल). कर्तव्य का बोध हो तो कोई भी समस्या बड़ी नहीं होती और रास्ते निकल ही आते है और फिर वह किसी मिसाल से कम नहीं होता। अपने स्कूल के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए कुछ ऐसा ही कर रही हैं असोला हाई स्कूल की संस्कृत की शिक्षिका दीपलता देशमुख। वे कोरोना संक्रमण के दौर में अपने स्कूल के 5 गांवों के 200 विद्यार्थियों के लिए अब पारा टीचर बन गईं हैं। मई और जून की तीखी गर्मी और जुलाई व अगस्त की तेज बारिश भी उन्हें रोक नहीं सकी। ये इसलिए मिसाल हैं, क्योंकि पढ़ाई तुंहर दुआर में सिर्फ प्राइमरी और मिडिल के बच्चों के लिए ही शिक्षा विभाग ने पारा व मोहल्ला क्लास शुरू की है
हाई व हायर सेकंडरी स्कूलों के लिए ऑनलाइन क्लास ही कराए जा रहे हैं। देशमुख के मन में पारा टीचर बनने का ख्याल इसलिए आया क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई में बच्चों को नेटवर्किंग के साथ संसाधन व अन्य तरह की दिक्कतें आ रही थी। उन्होंने अपने स्कूल के बच्चों को गांव में जाकर संस्कृत पढ़ाने का मन बना लिया। जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों से बात की फिर यह सिलसिला मई से शुरू हुआ तो अब तक चल ही रहा है। यहां पढ़ाई के साथ दूसरी एक्टिविटी कराई
जा रही हैं, ताकि बच्चों को स्कूल की कमी महसूस ना हो मोहल्ला पारा क्लास के लिए हर गांव में अलग-अलग जगह चयनित किए गए हैं। हर मोहल्ले के लिए अलग-अलग समय तय हैं। इसमें पढ़ाई ऑनलाइन क्लास का समय समाप्त होने के बाद शुरू होती है। हर क्लास में औसत 20 से 25 बच्चे शामिल होते हैं। इनमें ज्यादातर बालिकाओं इस संख्या रहती है। गांव की आंगनबाड़ी सहायिका जानकी पैकरा भी शिक्षिका का मदद करती हैं। क्लास शुरू होने से पहले स्कूल की तरह ही यहां पर वंदना कराई जाती है। इसके बाद देशमुख बच्चों को संस्कृत विषय की पढ़ाई करती हैं। नोटबुक तैयार कराया जाता है। होम वर्क दिया जाता है। इसकी जांच भी होती है। इसके अलावा दूसरी एक्टिविटी कराई जाती है। अभी हिंदी दिवस पर स्कूल की तरह ही उन्होंने कार्यक्रम कराया, ताकि बच्चों को स्कूल का एहसास हो। लिए ग्राम असोला, देवगढ़, रजपुरी, रनपुर और सोनपुर के मोहल्ला पारा में अलग-अलग 7 जगह जनता के सहयोग से पढ़ाई के लिए जगह चयनित किए गए हैं। इसमें सोशल डिस्टेंस का पालन किया जाता है, ताकि कोरोना के संक्रमण से बच सकें।