PM आवास के तहत स्वीकृति आवासों को 45 दिन में पूर्ण करने का प्रावधान तो क्यो मिलती है 90 दिन की मजदूरी भुगतान
पिथौरा/महासमुंद – प्रधानमंत्री आवास योजना जो कि सभी गांवों मोहलल्लो में यह आवास निर्माण कराया जा रहा है। परंतु इस आवास योजना में हितग्राहियों को जो राशि मिलती है वह सरासर गलत तरीका है शासकीय राशि का जमकर दुरूपयोग किया जा रहा है । ऐसा हम इसलिए कह रहे है क्योंकि हमारे पास इस संबंध में सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेज इस बात की पुख्ता करता है । आपको बता दे हर गांव में बन रहे प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत कुल 120000 रुपये की राशि हितग्राहियों को दी जाती है इसके अलावा मनरेगा से 90 दिवस की मजदूरी राशि कुल 15000 हितग्राहियो को मिलती है।
जो कि यह मनरेगा की राशि का 90 दिनों का मजदूरी भुगतान की राशि 15000 देने गलत है।
सूचना का अधिकार के तहत प्राप्त दस्तावेजो के अनुसार
आपको बता दे कि क्षेत्र के आरटीआई कार्यकर्ता श्री मोती लाल जांगड़े निवाशी ग्राम ठाकुरदिया खुर्द के द्वारा इस संबंध में सूचना के अधिकार के तहत जिला पंचायत महासमुंद से जानकारी चाही गई थी । जहाँ उनको मिली दस्तावेज अनुसार प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत आवासों को 45 दिवस के भीतर पूर्ण कराने का प्रावधान है। इसके लिए बाकायदा आवास मित्रो की नियुक्ति भी की गई है । तो अब सवाल यह उठता है कि अगर इन आवासों को 45 दिन में पूर्ण करने का प्रावधान है तो शासन हितग्राहियो को 90 दिवस की मजदूर भुगतान क्यो दिया जाता है। यह एक गंभीर सवाल है वही प्रधानमंत्री आवास योजना को 45 दिवस में पूर्ण करने के लक्ष्य से अनेको पदाधिकारियो की नियुक्ति की गई है जिन पर वेतन के नाम से हर महीने करोड़ो रूपये की राशि खर्च की जाती है। परंतु यह आवास 45 दिनों में पूर्ण नही हो पाता । वही एम आई एस रिपोर्ट को खंगाले तो वर्ष 2016-17 में स्वीकृत आवासों को अब तक पूर्ण नही कराया गया है । तो सूचना से प्राप्त दस्तावेज पूर्ण रूप से गलत साबित होता है । अनेको हितग्राहियो के अब तक आवास पूर्ण अब तक नही किया गया है।
वर्ज़न
1) मुझे जिला पंचायत महासमुंद से आरटीआई के तहत मिली दस्तावेजो में 45 दिवस के भीतर आवास पूर्ण करने का प्रावधान बताया गया है परंतु हितग्राहियो को 90 दिवस का मनरेगा के तहत मजदूरी भुगतान किया जाता है यह कौन सा नियम है।
-मोतीलाल जांगड़े
आवेदक
2)या तो आरटीआई से मिली जानकारी भ्रमक है या 90 दिवस की मनरेगा के तहत मजदूरी भुगतान गलत है। ऐसे अधिकारियों के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही किया जाना चाहिये।
-ललित मुखर्जी
(आरटीआई कार्यकर्ता पिथौरा)