पहले जांच में मामले को दबाने का हुआ था प्रयास अंततः पिरदा सोसायटी के घोटाले का पर्दाफाश
रामकुमार नायक,महासमुंद(काकाखबरीलाल)। जिले के पिथौरा के पिरदा सोसायटी में धान खरीदी में हुई बेतहासा अनियमितताओं को लेकर बुधवार को दोबारा जांच की गई. कलेक्टर सुनील जैन के निर्देश पर एसडीएम बी एस मरकाम की उपस्थिति में तहसीलदार टी आर देवागन और पांच अन्य अधिकारियों की टीम द्वारा दोबारा जांच करने पर 5 हजार क्विंटल से अधिक धान की कमी पाई गई. आश्चर्य की बात तो यह है कि हप्ते भर पहले इसी सोसायटी को जाँच अफसरों ने धान खरीदी मसले पर क्लीन चिट दे दिया था. पिरदा सोसायटी में धान खरीदी के लिए शासन से निर्धारित अन्य मापदण्डों का भी खुल्लम खुल्ला उल्लंघन किया गया. करीब सवा करोड़ से अधिक की घोटाले पर पर्दा डालने की कोशिश अधिकारियों द्वारा की गई.
पिथौरा से अफसरों की टीम ने इस चर्चित धान सोसायटी का जाँच करते वक्त यह भी देखा कि खरीदी के अन्य मानदण्डों का भी पालन नहीं किया गया है. पानी निकासी की उचित व्यवस्था (ड्रेनेज सिस्टम) का सर्वथा आभाव पाया गया. फीको का अनुपालन नहीं किया गया था. अमानक धान की खरीदी की गई है. दिलचस्प की बात यह है की प्रथम जाँच और द्वितीय जाँच की दरम्यानी अवधि में सोसायटी के कार्यकताओं ने साढ़े 13 हजार बारदानों की व्यवस्था कर उच्चधिकारियों के सहयोग से मामले को दबाने का भरसक प्रयास किया
शिकायतकर्ता जिला पंचायत अध्यक्ष उषा पटेल और कई निरीक्षणकर्ताओं ने इसकी शिकायत खाद्य मंत्री अमर जीत भगत से की थी. जिसके बाद इसे प्रशासन के संज्ञान में लाया गया. उनको बारदानों की भरती पर संदेह हुआ. उन्होंने जाँच अधिकारियों से बारदानों का तौल कराने की मांग की. उनकी मांग पर जब तौल कराया गया, तो सभी बोरों में धान कम पाया गया और करोड़ों रुपए का घोटाला सामने आ सका. बारदानो में 20-25 किलो की भर्ती कर गिनती पूरी करने का प्रयास किया गया था. यह भी उल्लेखनीय है कि मामले पर पर्दा डालने की हर संभव कोशिश की गई. इस कोशिश में खरीदी किये गये क्वालिटीयुक्त धान के बोरों में खुले में पड़े सड़े-गले और अमानक धान को मिला कर बारदानों में पेकिंग की गई थी. जिससे चार करोड़ से अधिक की छति पहुँचाई गई है.
बता दें कि जिला पंचायत अध्यक्ष ने कार्यकर्ताओं की मांग पर पिरदा धान खरीदी सोसायटी में हुई अनिमितताओं के जाँच की मांग की थी. जिसकी जांच में गए तहसीलदार पिथौरा और उनकी टीम ने अपनी जाँच रिपोर्ट में क्लीन चिट दे दिया था. कलेक्टर ने दोबारा जाँच के आदेश दिए जिसके बाद करोड़ों का घोटाला उजागर हुआ.