कवियित्री बन महिला चिकित्सक ने लिखी कोरोना नियंत्रण पर अपीलीय कविता
( महासमुंद काकाखबरीलाल).
ओ भारत तुझमें जो नमन करने की रीत बसी… जैसे देशभक्ति से ओत-प्रोत भावार्थ उकेर कर, एक मंझी हुई कवियित्री के अंदाज में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन महासमुंद के चिरायु दल की आयुर्वेदक्ष डॉ परमेश्वरी धीवर ने चंद पंक्तियों में कह दी पूरी बात। उन्होंने न केवल कोरोना वायरस और इसके संक्रमण के खतरे से आगाह किया है, बल्कि सृष्टि के आरंभ से लेकर आज पर्यंत समूचे विश्व में अपनी सभ्यता, संस्कृति और एक-जुटता का लोहा मनवाने वाले भारतवर्ष व और इसके गणमान्य नागरिकों के संग संकट से उबरने का कविता रूपेण शंखनाद किया है। जिसमें चिकित्सकीय सलाह (शारीरिक) और आध्यात्मिक चिंतन (मानसिक) दोनों अभ्यासों को अमल में लाने की राय निहित है। कविता की दूसरी चौपाई में लिखा है… खांसी आए या फिर छींक, कपड़ा मुंह पर रखना है, साबुन से हांथ धुला कर सबके, स्वयं भी इससे बचना है। यानी संक्रमण से बचने के लिए शोसल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए मुंह पर कपड़ा या मास्क पहनने के अभ्यास के साथ बार-बार साबुन से हाथ धोते रहने की अनिवार्य अपील की गई है।
इन दिनों डॉ धीवर को कोरोना वायरस संक्रमण नियंत्रण एवं रोकथाम के लिए बनाए गए क्वारंटीन केंद्र में पदस्थ किया गया है, जहां, वे विदेश एवं अन्य प्रांतों की यात्रा कर वापस लौटे व्यक्तित्वों को होम आइसोलेट करने की प्रकिया में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही हैं। मौके पर संक्रमण का खतरा अधिक होने के बावजूद वे संदिग्ध मरीजों का पूरा ध्यान रखती हैं। लेकिन, इस बार उन्होंने जागरूता बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया के जरिए कलम उठा कर अगला कदम बढ़ाया है, ताकि सभी सर्तक हों और कोविड 19 जैसी बीमारी किसी को छू न सकें।