बरतियाभांठा,बसना(काकाखबरीलाल)। किसानों को आय दोगुनी करने का सब्जबाग दिखाकर उद्यानिकी विभाग ने भंवरपूर कलस्टर के अंतर्गत शेडनेट के नाम पर लाखों करोड़ों रुपए खर्च करने के बाद भी ना तो किसानों की आय दोगुनी हुई और ना ही किसानों की आर्थिक स्थिति सुधरी। उल्टा किसानों ने जिन खेतों में शेडनेट का निर्माण कराया उसमें न तो साग सब्जी उगा पाए और न ही धान की खेती कर पाए। शेडनेट निर्माण में बरती गई लापरवाही एवं भ्रष्टाचार के चलते दर्जन भर से अधिक किसान मुश्किल में फंस गए हैं। 15 गांव के 16 किसानों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री से लेकर प्रधानमंत्री, केंद्रीय कृषि मंत्री तक कर चुके हैं मगर जांच के नाम पर सिर्फ लीपापोती कर मामले का पटाक्षेप कर दिया गया। इस मामले की शिकायत बरतिया भांठा निवासी कुबेर चरण नायक ने भी साल भर पहले 22-01-2019 को सहायक संचालक उद्यानिकी विभाग महासमुंद से की है। मगर उनकी शिकायत पर अभी तक कार्यवाही नहीं हुई है। भाजपा शासन काल में प्रारंभ की गई रूर्बन मिशन से भंवरपुर क्लस्टर के गांवों में बड़े बदलाव होने का सपना संजोए किसानों के साथ बड़ा धोखा हुआ है। यह योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। सरकार बदलने से उम्मीद की गई थी कि भ्रष्टाचार की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी मगर भ्रष्टाचार के खेल में लिप्त तत्कालीन उप संचालक आज कांग्रेस सरकार एक मंत्री के करीबी बनकर भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने की कोशिश में लगा है। अधिकारी तो इस स्कीम से मालामाल हो गए मगर किसान कर्ज के दलदल में फंस चुके हैं। रुर्बन मिशन एवं कृषि विकास योजना अंतर्गत भंवरपुर क्लस्टर के अंतर्गत 16 ग्रामों के किसानों ने शेडनेट निर्माण में भारी अनियमितता का आरोप लगा या गया है ।
प्राप्त जानकारी के अनुसार रुर्बन मिशन क्लस्टर भंवरपुर के अंतर्गत 16 ग्रामों के तकरीबन दर्जनभर से अधिक किसानों को शेड नेट हाउस निर्माण के लिए स्वीकृति दी गई थी जिसके निर्माण में भारी अनियमितता एवं भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप लगाते हुए किसानों ने जांच की मांग की है । निर्माण एजेंसी द्वारा कराया गये आधे अधूरे निर्माण कार्य से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। किसानों का कहना है कि 4 हजार स्क्वायर मीटर जमीन में निर्माण किया जाना था कुछ किसानों का 4 हजार स्क्वायर मीटर में किया गया बाकी किसानों का ढाई से 3 हजार स्क्वायर मीटर में बनाया गया है और पूरी बिल शासन से 28 लाख 40 हजार दर्शाया गया है । जबकि विभाग द्वारा किसानों को पूर्व में 14 लाख 40 हजार बताया गया था। अब निर्माण हो जाने के बाद ठेकेदार अवनी ट्रेडर्स द्वारा सभी किसानों का एक समान बिल 28 लाख 40 हजार में हस्ताक्षर करा लिया गया है। किसानों द्वारा ऑनलाइन नेट हाउस का अवलोकन 4000 स्क्वायर मीटर का कास्ट रेट 8 लाख 40 हजार बताया गया है और दो लाख निर्माण कार्य में लगेगा इस प्रकार कुल 10 लाख 40 हजार वास्तविक लागत राशि है। निर्माण कार्य और प्रशिक्षण तथा बीज के अभाव में किसान फसल नहीं ले पाए जिससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान हुआ है। विभागीय उदासीनता के के चलते हुए आर्थिक नुकसान के लिए किसानों द्वारा मुआवजा की भी मांग की गई है । किसानों ने नेट हाउस निर्माण एवं जांच के उपरांत ठेकेदारों का बिल भुगतान किए जाने की मांग की है ।
न साग सब्जी ले पाए,न धान बेच पाए
गौरतलब है कि किसानों द्वारा जिस भूमि में निर्माण किया गया है उसमें उद्यानिकी फसल लेकर के किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने की योजना थी मगर निर्माण कार्य मापदंड के अनुरूप नहीं होने, प्रशिक्षण व उन्नत बीज के अभाव में फसल ही नहीं ले पाए। विभागीय लापरवाही के चलते योजना पूरी तरह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई । किसानों ने न तो उद्यानिकी फसल नहीं ले पाए और न ही उसमें धान बेच पाए क्योंकि वर्तमान सरकार के निर्देशन में पटवारियों द्वारा गिरदावरी जांच के नाम पर उक्त भूमि को उत्पादित धान के रकबा को घटा दिया गया। किसान इस स्कीम में फंस कर दोहरी मार झेल रहे हैं।
तत्कालीन सहायक संचालक की भूमिका संदिग्ध
दरअसल पूर्ववर्ती भाजपा सरकार में एक कद्दावर मंत्री के करीबी रहे विभाग के सहायक संचालक की मिलीभगत से इस तरह का व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है और वही अधिकारी मौजूदा सरकार में भी अपनी पहुंच एवं धनबल के दम पर मौजूदा कांग्रेस सरकार में भी एक मंत्री के खासम खास हो गए हैं जिससे किसानों द्वारा किए गए शिकायत की किसी भी तरह की जांच नहीं हो पा रही है ।
पैक हाउस का निर्माण नहीं
शेडनेट निर्माण कार्य में उद्यानिकी विभाग एवं कार्य एजेंसी की लापरवाही का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ रहा है। किसानों ने बताया कि किसानों को जो प्रिजर्वेशन यूनिट प्रदान किया गया है वह भी स्तर हीन है। इसका अवलोकन करने पर यह पता चलता है कि उक्त सामग्री स्वीकृत राशि से कम का है। किसानों के खेतों में पैकहाउस का भी निर्माण किया जाना था मगर अब तक उद्यानिकी विभाग द्वारा पैकहाउस का निर्माण नहीं किया गया है। ट्रिप एवं हैंगर भी निर्धारित मापदंड के अनुरूप नहीं होने से किसानों के काम नहीं आ रहा है। घटिया निर्माण को लेकर के किसानों ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री, कृषि मंत्री एवं जिला कलेक्टर महासमुंद से की गई है।