मेरी ताकत है कलम.. कवि डिजेंद्र कुर्रे की कलम से.
कलम से लिखना सीखा हूं ।
लिखकर पढ़ना सीखा हूं ।
मेरी ताकत है कलम ।
लिख कर पढ़ना पढ़ कर लिखना ।
और याद करना सीखा हूं ।
मेरी ताकत है कलम ।
कलम की सहायता से ही ,
परीक्षा में प्रथम आना सिखा हूं।
मेरी ताकत है कलम ।
12वीं ,बीएससी ,एम,ए ,कंप्यूटर डीएड।
ITI की पढ़ाई करना सीखा हूं ।
मेरी ताकत है कलम ।
इसी डिग्री की सहायता से ,
नौकरी पाना सिखा हूं।
मेरी ताकत है कलम ।
बच्चों को शिक्षा देना ,
कविता की रचना करना सिखा हूं।
मेरी ताकत है कलम ।
लोगों के बीच में पहचान बना ।
मेरी जीवन में खुशियां लाना सिखा हू।
मेरी ताकत है कलम ।
आज जो कुछ भी हूं ,
कलम की वजह से हूं ।
मेरी ताकत है कलम ।
मेरा पहला स्कूल
मैं छोटा सा नन्हा ,प्यारा सा गुड्डा था।
खिलौने के लिए, मां को तंग करता था।
पापा मनाने मे,हर जिद पूरा करता था।
मेरा पहला स्कूल , मां पापा ही था।
जिसने 1,2,3, अ,आ, इ सिखाया था।
फिर स्कूल में,गुरुजी से मिलाया था।
गुरुजी ने ” ईश विनय” पढाया था।
घर आने पर, मां खूब प्यार करता था।
दूध पिलाती, बालों को सहलाती ।
लोरी गाकर, मुझको मां सुलाती थी।
मेरी मां फूल है ,पापा श्री गणेश।
सबसे प्यारा अच्छा,मेरा भारत देश।
-कवि डिजेंद्र कुर्रे ( भंवरपुर बसना)