नक्सली संगठन छोडने पर छत्तीसगढ़ मूल के नक्सलियों को दी जाती है मौत की सजा एवं संगठन में रहने पर भी करते हैं जानवरों जैसा व्यवहार
नक्सलियों के विस्तार जोन एमएमसी को तगड़ा झटका ।
पहाड़ सिंह उर्फ कुमारसाय उर्फ राममोहम्मद सिंह टोप्पो एसजेडसी सदस्य का पुलिस महानिरीक्षक, दुर्ग क्षेत्र, दुर्ग श्री जी.पी. सिंह के समक्ष आत्म समर्पण ।
जीआरबी डिवीजन का सचिव भी है पहाड़ सिंह ।
नक्सली लीडर पर छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र का था कुल 47 लाख का ईनाम घोषित ।
नक्सली नेताओं द्वारा आदिवासी के हित में करने वाले कथनी एवं करनी की बात का पर्दाफाश ।
नक्सल संगठन में शामिल लोकल कैडरों के साथ करते है दोयम दर्जे का व्यवहार
नक्सल संगठन छोडने पर छत्तीसगढ़ के लोकल कैडरों को दी जाती है मौत की सजा एवं संगठन में रहने पर करते है जानवरों जैसा व्यवहार
काकाखबरीलाल, सरायपाली: पुलिस महानिरीक्षक, दुर्ग रेंज, दुर्ग श्री जी0पी0 सिंह के निर्देशन एवं मार्गदर्शन में राजनांदगांव जिले में नक्सलियों के खिलाफ चलाये जा रहे एन्टी नक्सल अभियान में उस समय एक और बडी कामयाबी मिली जब लाल आतंक का पर्याय बन चुके एमएमसी जोन के एसजेडसी सदस्य एवं जीआरबी डिवीजनल कमेटी के सचिव पहाड़ सिंह उर्फ कुमारसाय उर्फ राममोहम्मद सिंह टोप्पो ने पुलिस दबाव एवं छत्तीसगढ़ शासन की आत्म समर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर आज पुलिस के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया।
जैसा कि विदित है, कि पहाड़ सिंह उर्फ कुमारसाय कतलाम जिला राजनांदगांव के थाना गैंदाटोला अन्तर्गत ग्राम फाफामार का निवासी है। वर्ष 1991 में अपने परिवार एवं गांव के लोगो के साथ ग्राम मसूली, बोन्डे एवं आसपास के जंगल में रूक कर तेन्दुपत्ता तोडई का काम करते थे। रूकने के लिये झोपडी का निर्माण जंगल में ही करते थे इस दौरान देवरी दलम के कमाण्डर दीपक मडावी एवं अन्य नक्सली करीबन 30-40 की संख्या में झोपड़ी में आते थे। ये नक्सली क्रांतिकारी विचारधारा के बारे में नाच गाना के माध्यम् से बताते थे। इसी तरह बीच बीच में तेन्दुपत्ता तोडने उक्त ग्रामों में जाता रहा। पाहड़ सिंह को ग्राम पंचायत फाफामार द्वारा स्कूल में शिक्षक की कमी को देखकर 500 रूपये महीने देकर बच्चो को पढ़ाने के लिये रखे थे। वर्ष 1999 में वह अपने रिस्तेदार जगत कुंजाम ग्राम खेडेपार से मिलने गया था, इस दौरान देवरी दलम के कमाण्डर देवचंद उर्फ चन्दु उर्फ नरेश निवासी भामरागढ़ क्षेत्र व गोंदिया बालाघाट डिवीजन के सचिव जगन से ग्राम मालडोंगरी जंगल में मुलाकात हुआ। जहाॅ पर इन नक्सली कमाण्डरों द्वारा बताया गया कि ‘‘तुम एक पढ़े लिखे आदिवासी बेरोजगार लडके हो, तुम्हे आदिवासी अस्मिता बचाने के लिये आदिवासी युवाओं को सामने लाना है इसके लिये भूमिगत होकर काम करना पडेगा तथा गांव गांव में जाकर जनता को संगठित कर संगठन बनाना है और युवक युवतियों को जनता की सेना पीजीए (पीपुल्स गुरिल्ला आर्मी) में भर्ती करना है। हमारी आदिवासी जनता की मुक्ति हथियारबंद जनसंघर्ष के बिना नही हो सकती। ये विचार युवक युवतियों में डालना और पीजीए (पीपुल्स गुरिल्ला आर्मी) के लिये भर्ती करना है। इसके बाद उसे थाना गैंदाटोला एवं थाना छुरिया के आसपास समस्त जंगल क्षेत्रों के ग्रामों में नक्सली विचारधारा को प्रचारित करने के लिये छः महीने के लिये काम सौपा गया। गरीबी, एवं बेरोजगारी के कारण उन्हे नक्सलियों की उक्त बाते उचित लगी और नक्सल विचारधारा से प्रभावित हो गया तथा छः माह तक सौपे गये काम को किया। उनके काम से संतुष्ट होकर देवरी दलम कमाण्डर देवचंद उर्फ चन्दु उर्फ नरेश द्वारा उसे वर्ष 2000 में देवरी दलम सदस्य के रूप में नक्सली संगठन में भर्ती किया गया एवं 8 एमएम बंदूक देकर देवरी दलम में पायलट का काम सौपा गया। वर्ष 2003 में देवरी एरिया कमेटी सदस्य बनाया गया। वर्ष 2006 में डिवीजन अधिवेशन (प्लीनम) में सर्वसम्मति से टाण्डा मलाजखण्ड सयुक्त एरिया कमेटी सचिव की जवाबदारी दिया गया। वर्ष 2008 में टिपागढ़ में उत्तर गढ़चिरौली गोंदिया डिवीजन के प्लीनम में डिवीजन सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया। वर्ष 2014 में केन्द्रीय कमेटी के निर्णय व नक्सलियों की विस्तार रणनीति के तहत नक्सलियों द्वारा महाराष्ट्र-मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ के ट्राई जंक्शन को केन्द्र मानकर एमएमसी जोन बनाने का निर्णय लिया गया। जिसमें विस्तार क्षेत्र कोे आगे बढाने व जनाधार को मजबुत करने के लिये फिर पहाड़ सिंह उर्फ कुमारसाय को एमएमसी जोन के अन्तर्गत जीआरबी डिवीजनल कमेटी का सचिव बनाया गया।
वर्ष 2014-15 में उत्तर गढ़चिरौली डिवीजन का प्लीनम (अधिवेशन) में डीकेएसजेडसी को पृथक कर नया एमएमसी जोन बनाकर जिला कबीरधाम, मण्डला, उमरिया एवं बालाघाट, मंगेली डिडोरी व अचानकमार जैसे क्षेत्रों में विस्तार रणनीति के तहत नक्सल आंदोलन को तेज गति प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गई, जब से आदिवासियों की अस्मिता व उनकी रक्षा के लिये नक्सल संगठन में शामिल हुआ तब से आज तक नक्सल संगठन के सारे कार्यो को यह सोच कर कि हम गरीब, आदिवासी वर्ग के उत्थान के लिये कार्य कर रहे है अपने जान की बाजी लगाकर करते रहे लेकिन इतने ऊपर स्तर के आदिवासी लीडर होने के बावजूद सेन्ट्रल कमेटी में पदस्थ आन्ध्र प्रदेश एवं महाराष्ट्र के बडे नक्सली लीडरों द्वारा हमेशा इसे शक की नजर से देखते थे तथा पुलिस मुखबीर होने की भी शंका करते थे। पहाड़ सिंह उर्फ कुमारसाय ने बताया कि ऊपरी सीसीएम नेताओं द्वारा क्षेत्रीय कैडरों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार व नौकरशाही, व्यक्तिवादी एवं अवसरवादी व्यवहार, संदेह की दृष्टि से देखना, समय समय पर मानसिक रूप से प्रताडित करना तथा डिवीजन के सचिव होने के नाते डिवीजन में नक्सलियों के विरूद्ध कोई भी घटना होने पर मुझे ही उसका सम्पूर्ण रूप से जवाबदार ठहराया जाता रहा जिससे मै मानसिक रूप से परेशान रहता था। माओवादी पार्टी के अन्दर मूल निवासी आदिवासी कैडरों के साथ पूर्व में भी इसी तरह का गैर जिम्मेदारा पूर्वक व्यवहार किया गया जिसके कारण कई क्षेत्रीय आदिवासी कैडरों ने अपनी जान गवादी या पार्टी छोड कर चले गये। नक्सल संगठन मे आन्ध्रप्रदेश व महाराष्ट्र के ही नक्सलियों की बात सुनी जाती है तथा उनका ही आदेश चलता है। छत्तीसगढ़ के आदिवासी नक्सली सदस्यों को खाने, पीने तथा जनवरांे की तरह समान ढोने व नेताओं की सुरक्षा के लिये इस्तेमाल किया जाता है तथा उन्हे परिवारों से भी मिलने नही दिया जाता। नक्सली अपने आप को आदिवासी जनता का हितैषी कहते है लेकिन सच्चाई यह है कि संगठन के नेताओं के द्वारा आदिवासी जनता का आर्थिक, मानसिक एवं शारीरिक शोषण करते हैै। इससे पता चलता है कि नक्सलियों की कथनी और करनी में बहुत फर्क है। नक्सलियों द्वारा आदिवासी कैडर के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करते है तथा एक झुठी अलोकतांत्रिक रूप से लोकतंत्र की बाते करते है और नव जनवादी क्रांति के नाम पर ढ़िढोरा पिटा जाता है लेकिन नक्सली के बडे लीडरों द्वारा जनवादी केन्द्रीयता का पालन नही किया जाता है। आदिवासी जनता के विकास को अवरूद्ध करने के लिये सम्पुर्ण आदिवासी जनता को एक गलत राह दिखाते हुए हो रही जनविकास कार्य (स्कूल, सड़क, पुल-पुलिया एवं स्वास्थ्य केन्द्र एवं मानवीय संसाधनों) को नुकसान पहुचाकर जंगल क्षेत्रों मंे निवास करने वाले आदिवासी भाईयों को जानवर का जीवन जीने के लिये मजबूर करते है। नक्सली के बडे लीडरों द्वारा मीटिंग में पार्टी निर्णय लेते समय आदिवासी कैडरों को निर्णय से दूर रख कर आदेशों का पालन करने के लिये मजबूर किया जाता है। आदिवासी कैडरों को जंग के मैदान में हमेशा आगे रखा जाता है तथा पैसो की उगाही, हत्या, लूट एवं बडे वारदातों में दबाव पूर्वक इस्तेमाल किया जाता है तथा आंध्र प्रदेश व महाराष्ट्र के नक्सली नेता स्वयं को सुरक्षा घेरे में रखते है। आदिवासियों के हितो की आड़ में आन्ध्र प्रदेश व महारष्ट्र के बडे नेताओं द्वारा विभिन्न स्त्रोतों से पैसे वसूली कर उनके परिवार के लोग ऐशोआराम की जिंदगी जी रहे है जिससे विचलित होकर कई बार इसके द्वारा पार्टी के नेताओं के समक्ष मुद्दा उठाया गया लेकिन इसका कोई फर्क नक्सली नेताओं पर नही हुआ बल्कि पहाड़ सिंह पर और भी शंका किया जाने लगा। पार्टी में नौजवान युवक-युवतियों को शामिल करने हेतु आजादी के नायक भगत सिंह एवं आजाद जैसे नेताओं की कहानियाॅ सुनाई जाती है लेकिन पार्टी में शामिल होने के बाद माओवाद का रक्तरंजीत खतरनाक पाठ पढाकर आतंकवादी बना दिया जाता है। इन तमाम बातो से व्यथित होकर नक्सल आंदोलन छोडकर राष्ट्र की मुख्य धारा में जुडने का संकल्प लिया। यह बात सत्य है कि पहाड़ सिंह के नक्सली संगठन छोडने के बाद नक्सलियों को बहुत बडा झटका लगा है जिससे एमएमसी जोन के विस्तार क्षेत्रों में यह आंदोलन लगभग जनाधार विहीन हो गया है।
पुलिस महानिरीक्षक दुर्ग क्षेत्र दुर्ग श्री जी.पी.सिंह ने पुलिस अधीक्षक राजनाॅदगाॅव श्री कमलोचन कश्यप, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नक्सल आॅपरेशन श्री वाय.पी.सिंह एवं पुरी टीम को इस उत्कृष्ट कार्य एवं सफलता के लिये बधाई देते हुये प्रशंसा की है।
पुलिस महानिदेशक श्री ए0एन0 उपाध्याय व विशेष पुलिस महानिदेशक, नक्सल अभियान/विआशा श्री डी0एम0 अवस्थी ने पहाड़ सिंह उर्फ कुमारसाय को आत्म समर्पण करने पर स्वागत किया एवं इस कार्य में लगे अधिकारी एवं कर्मचारियों को एवं जिला पुलिस बल राजनांदगांव को सफलता के लिये बधाई दी है।