नगरी दुबराज धान के किस्म को मिला जीआई टैग….पूरी दुनिया में बिखेरेगी खुशबू
छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और यहां के किसान अलग-अलग किस्म की फसलें उगाते हैं। धमतरी जिले में नगरी के किसानों को उनकी अपनी नगरी दुबराज धान के किस्म को ब्रांड नेम मिल गया है। यह छत्तीसगढ़ की दूसरी फसल है, जिसे ज्योग्राफिकल इंडिकेशन रजिस्ट्री टैग यानी जीआई टैग दिया गया है। इसके पहले जीरा फूल धान की किस्म के लिए प्रदेश को जीआई टैग मिल चुका है।नगरी दुबराज की खासियत यह है कि यह चावल बहुत ही सुगंधित होता है और इसके दाने छोटे होते हैं। यह पकने के बाद बेहद नरम बनता है। एक एकड़ में अधिकतम छह क्विंटल तक उपज मिलती है। धान की ऊंचाई कम और 125 दिन में पकने की अवधि है, वहीं इसकी खेती करने वाले किसान किरण कुमार साहू ने बताया कि दुबराज धान को बहुत कम किसान लगाते हैं, क्योकि दुबराज फसल में दूसरे धान की अपेक्षा उपज कम होती है और बाजार में नगरी दुबराज का सही मूल्य नही मिल रहा, लेकिन अब जीआई टैग मिल गया है। कृषि अधिकारी ने बताया कि दुबराज की खेती धमतरी जिले के नगरी विकासखंड में करीब 3 हजार हेक्टेयर में जैविक पद्धति से किया जाता है। जीआई टैग मिलने से अब किसानों की आय में ज्यादा वृद्धि होगी। जीआई टैग लगने से किसानों में काफी उत्साह है। अब छत्तीसगढ़ ही नहीं, विदेशों में भी नगरी दुबराज की पहचान बनेगी। किसानों को अच्छा मार्केट मिलता है तो आने वाले समय में नगरी दुबराज अधिक हेक्टेयर में लगाया जायेगा।
आत्मा योजना के संचालक ने बताया कि धमतरी जिला नगरी दुबराज के नाम से जाना जाता था। विगत वर्षो से दुबराज की खेती कम हो गई थी, जिसको कृषि विभाग द्वारा संचालित आत्मा योजना और जैविक खेती मिशन के तहत से प्रोत्साहन मिला, जिसका सार्थक परिणाम इस साल मिला है। अब जीआई टैग मिलने के बाद नगरी दुबराज की ब्रांड वैल्यू में वृद्धि होगी। किसानों की आय में वृद्धि होगी। जियोग्राफिकल इंडिकेशन टैग एक प्रकार का लेबल होता है, जिसमें किसी खास फसल या प्राकृतिक या कृत्रिम उत्पाद को विशेष भौगोलिक पहचान दी जाती है। नगरी दुबराज धान की किस्म को केवल नगरी के किसान ही उगा सकेंगे। कोई दूसरा इस टैग का इस्तेमाल नही कर सकेगा। इधर धमतरी के लोगों ने नगरी दुबराज को जीआई टैग मान्यता मिलने से धमतरी के लिए गौरव बताया है, क्योंकि अब नगरी दुबराज की खुशबू पुरे विश्व में फैलेगी।