दिल्ली

अब सिर्फ तीन डॉक्यूमेंट पर बनेगा किसान क्रेडिट कार्ड

दिल्ली (काकाखबरीलाल).  किसान कर्जमुक्ति की मांग कर रहे हैं और राजनीतिक पार्टियां कर्ज माफी का चुनावी एलान कर रही हैं. इन दोनों बातों के बीच सच्चाई ये है कि खेती कर्ज के बिना नहीं हो सकती. अब यह आपको तय करना है कि साहूकार या सरकार किससे लोन लेना अच्छा रहेगा. मोदी सरकार ने मार्च 2021 तक देश में 15 लाख करोड़ रुपये का कृषि लोन बांटने का टारगेट रखा है. जबकि, इस समय देश के 58 फीसदी किसान कर्जदार हैं. कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों की सहूलियत के लिए किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) स्कीम को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (PM Kisan Samman Nidhi Scheme) से लिंक कर दिया गया है. इसकी वजह से अब खेती-किसानी के लिए लोन लेना काफी आसान हो गया है. अगर आप समय से पैसा जमा कर सकते हैं तो सरकार से कर्ज लीजिए. क्योंकि इसके तहत 3 लाख रुपये तक का कर्ज सिर्फ 7 फीसदी ब्याज पर मिलता है. समय पर पैसा लौटा देते हैं तो 3 फीसदी की छूट मिलती है. इस तरह ईमानदार किसानों को 4 परसेंट ब्याज पर ही पैसा मिल रहा है. जो साहूकारों के चंगुल में फंसने से कहीं अच्छा है. पीएम किसान स्कीम के तहत देश के 11 करोड़ किसानों की जमीन का रिकॉर्ड और उनका बायोमिट्रिक केंद्र सरकार के पास है. ऐसे में दोनों स्कीमों को लिंक कर दिया गया है. जिसकी वजह से अब आवेदक को लोन देने में बैंक अधिकारी पहले की तरह आनाकानी नहीं कर पाएंगे. इस समय देश में करीब 8 करोड़ किसान क्रेडिट कार्ड धारक हैं. सरकार का लक्ष्य है कि पीएम किसान स्कीम के सभी लाभार्थियों के पास यह कार्ड भी हो
लोकसभा में पेश एक रिपोर्ट के मुताबिक देश के हर किसान पर औसतन 47,000 रुपये का कर्ज है. जिसमें साहूकारों से इतना कर्ज लिया गया है कि यह प्रति किसान 12,130 रुपये औसत आता है. हमने ऐसी व्यवस्था बनाई है जिसमें करीब 58 फीसदी अन्नदाता कर्जदार हैं. एनएसएसओ (NSSO) के मुताबिक साहूकारों से सबसे ज्यादा 61,032 रुपये प्रति किसान औसत कर्ज आंध्र प्रदेश में है. दूसरे नंबर पर 56,362 रुपये औसत के साथ तेलंगाना है और तीसरे नंबर पर 30,921 रुपये के साथ राजस्थान है.
साहूकारों से कर्ज लेकर वे ऐसे दुष्चक्र में फंस जाते हैं कि सबकुछ बिक जाता है और वे पैसा न लौटा पाने की स्थिति में आत्महत्या के लिए मजबूर होते हैं. जबकि केसीसी (KCC) उनकी जिंदगी आसान कर सकता है. कर्ज लेना आसान बनाने के लिए सरकार ने साल 1998 में किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम शुरू की थी. केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के मुताबिक पहले केसीसी के तहत लोन पाने की प्रक्रिया कठिन थी. इसीलिए पीएम किसान स्कीम से केसीसी को जोड़ दिया गया है. पीएम किसान स्कीम की वेबसाइट पर ही केसीसी का फार्म उपलब्ध करवा दिया गया है. इसलिए बैंकों से कहा गया है कि वे सिर्फ तीन डॉक्यूमेंट लें और उसी के आधार पर लोन (Loan) जारी कर दें. आवेदक किसान है या नहीं. इसके लिए उसका राजस्व रिकॉर्ड देखा जाएगा. उसकी पहचान के लिए आधार, पैन, फोटो ली जाएगी और तीसरा उसका एफीडेविड लिया जाएगा कि किसी बैंक में आवेदक का कर्ज तो बकाया नहीं है. सरकार ने बैंकिंग एसोसिएशन से केसीसी बनाने के काम में तेजी लाने को कहा है. सरकार की सलाह पर ही बैंकों ने इसकी प्रोसेसिंग फीस खत्म कर दी है. जबकि पहले केसीसी बनवाने के लिए 2 से 5 हजार रुपये तक का खर्च आता था.

छत्तरसिंग पटेल

हर खबर पर काकाखबरीलाल की पैनी नजर.. जिले के न. 01 न्यूज़ पॉर्टल में विज्ञापन के लिए आज ही संपर्क करें.. +91 76978 91753

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!