बिलासपुर

कोविडकाल में गई हजारों नौकरियां, मजबूरी में सब्जी बेचकर कर रहें गुजारा

बिलासपुर (काकाखबरीलाल). बेरोजगारी सबसे बड़ी समस्या बनकर सामने आ रही है। लोगों की रोज नौकरी छूट रही। न सरकार कुछ कर पा रही और न शासन चला रहे अफसर। अप्रैल से लेकर अब तक लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं और रोज हो रहे हैं। मनरेगा में भी 10 हजार 576 मजदूरों को ही काम मिल सका पर यहां भी उनकी किस्मत खराब थी और 12 जून को मानसून आने के साथ ही बारिश शुरू हो गई और काम कुछ दिनों में बंद हो गया। श्रम विभाग तो महज 62 को ही काम दिलवा सका। वह भी तीन ब्लॉक मुख्यालयों में रोजगार कैंप लगाने के बाद। कोरोना की वजह से एक तरफ जहां लोग लगातार बीमार पड़ रहे हैं वहीं दूसरी तरफ लोगों की मौतें भी हो रही हैं। मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता ही जा रहा है लेकिन सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी के रूप में उभर कर सामने आई है। बीच में काम छोड़कर आने वाले मजदूरों के साथ ही पहले से ही शिक्षित बेरोजगारों की जिले में भरमार है। वहीं जिन लोगों का जमा जमाया काम धंधा कोरोना की वजह से बंद हो गया, उनकी जमा पूंजी 6 माह में खत्म हो गई। वे अब परेशान होने लगे हैं। कई लोगों की नौकरियां छूट गई है और यह सिलसिला अप्रैल के बाद लगातार जारी है। महामारी की वजह से दूर राज्यों में फंसे हुए लोग किसी तरह वापस आए लेकिन यहां आकर उन्हें काम नहीं मिला। सरकार की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उन्हें काम दिलाने की होनी चाहिए थी लेकिन इस पर अधिकारियों ने उतनी गंभीरता नहीं दिखाई। यही कारण है कि हजारों मजदूर बेरोजगार हैं। कोरोना संक्रमण के बाद प्रदेश में बिलासपुर ही इकलौता जिला है जहां सबसे ज्यादा मजदूरों की घर वापसी हुई थी। पूरे राज्य में जहां साढ़े 4 लाख मजदूर लौटे,बिलासपुर जिले में 1 लाख 12 हजार की वापसी हुई। इन्हें तत्काल रोजगार की जरूरत थी। 14 दिन क्वारेंटाइन रहने के कई दिनों बाद 78 हजार 622 का मनरेगा में जॉब कार्ड तो बना लेकिन तब बरसात शुरू हो गई। हालांकि जिला पंचायत 10 हजार 576 मजदूरों को मनरेगा में काम दिलाने का दावा कर रहा है। पर जानकार बताते हैं कि जल्दी बारिश शुरू होने से काम पहले ही बंद हो गया देश के कई इलाकों में अभी भी बंद की स्थिति होने की वजह से फैक्ट्रियों में काम भी आधा ही हो रहा है। यानी उत्पादन आधा हो रहा है। ऐसे में मजदूर भी आधे रह गए हैं। वहां भी आधे मजदूर बेरोजगार हो गए हैं। जिले में 20 फीसदी बच्चे प्राइवेट स्कूल में पढ़ते हैं लेकिन सबसे ज्यादा बेरोजगारी की खबरें प्राइवेट स्कूलों से ही आ रही है। जहां 40 फीसदी तक शिक्षकों को नौकरी से या तो निकाल दिया गया है या फिर लीव विदाउट पे में भेज दिया गया है। यानी घर बिठा दिया गया है।
ड्राइवर,कंडक्टर हो या दुकानों में काम करने वाले,ये बेरोजगार होने के बाद इन दिनों सब्जियां बेच रहे हैं। यही वजह है कि अचानक सब्जी बेचने वालों की संख्या बढ़ गई है। सब्जी बेचना कोई स्थाई विकल्प नहीं माना जा रहा है।

मनरेगा में 10 हजार से ज्यादा को काम
हमने 10 हजार 576 मजदूरों को मनरेगा में काम दिया। और भी मजदूरों को काम मिलता पर बारिश शुरू हो गई। हमने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया।”

रिमन सिंह ठाकुर,परियोजना अधिकारी, जिला पंचायत

बेकारी से त्रस्त, महिलाएं कर्ज में डूबीं
बेरोजगारी की वजह से सभी त्रस्त हैं। न सरकार न शासन और न समाजसेवी संगठन ही कुछ कर पा रहे हैं। कोरोना बड़ी वजह है और आत्मनिर्भर हो रही महिलाएं तो कर्ज में डूब रही हैं। उनका काम चौपट हो गया है।”
हरीश केडिया, अध्यक्ष, छग लघु एवं सहायक उद्योग संघ

छत्तरसिंग पटेल

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