काका ख़बरीलाल भंवरपुर की बड़ी खबर-
।।अधिकारियों की लापवाही के चलते राष्ट्रीय रूर्बन मिशन का क्रियान्वयन भी गड़बड़ाया।।
।।मजदूरी अप्राप्त होने से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन हुआ बन्द।।
भँवरपुर – भारत सरकार के महत्वाकांक्षी स्वच्छ भारत अभियान के तहत गाँवों को फर्जी तरीके से ओडीएफ घोषित करवाकर राज्य सरकार से अपनी पीठ थप थपवाने के अधिकारियों के कृत्य का शोर अभी थमा भी नहीं था कि सरकार की एक और महत्वाकांक्षी योजना श्यामा प्रसाद मुखर्जी राष्ट्रीय रूर्बन मिशन की भी पोल खुलने लगी है, ऐसा लगता है कि विभागीय अधिकारियों की भारी लापरवाही के चलते केंद्र सरकार की यह योजना भी केवल कागजों तक ही सीमित होकर रह जायेगी,
प्राप्त जानकारी के अनुसार राष्ट्रीय रूर्बन मिशन के तहत जिले के विकासखंड बसना के ग्राम भंवरपुर कलस्टर के 14 ग्राम पंचायतों के 32 गांवों का चयन रूर्बन विकास के लिए मिशन के दूसरे चरण में जनवरी 2017 में हुआ था, जिसका उद्देश्य कलस्टर के तहत आने वाले गांवों को शहरी सुविधाओं से युक्त बनाते हुए रूर्बन गांव के रूप में विकसित करना था इसी के तहत उक्त ग्रामों में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन का कार्य भी प्रारम्भ किया गया था जो अपने प्रारम्भ होने के महज डेढ़ माह की संक्षिप्त अवधि में ही विभागीय अधिकारियों की लापरवाही पूर्ण कार्य शैली के चलते बंद भी ही गया, योजना के शुरू होने के इतने दिनों के बाद भी डीपीआर को मंजूरी नही मिल पाई जिस कारण योजना में लगे सफाई कर्मियों को मजदूरी का भुगतान नही हो पाया नतीजा उन्होंने डोर टू डोर कचरा कलेक्शन बंद कर दिया,
बताया गया है कि रूर्बन क्लस्टर भँवरपुर में आज दिनांक 7 फरवरी 2018 दिन बुधवार से डोर टू डोर कचरा कलेक्शन बंद हो गया, कचरा कलेक्शन की मजदूरी भुगतान पर अड़ी महिला स्व सहायता समूह की सफाई कर्मी महिलाओं ने पहले पूर्व माह की मजदूरी भुगतान होने के पश्चात ही डोर टू डोर कचरा कलेक्शन को जारी रखने की बात पर अड़ते हुये मजदूरी भुगतान होने तक कचरा कलेक्शन बंद रखने का बड़ा फैसला लिया तथा कचरा कलेक्शन के लिए मिले रिक्शे को पंचायत में जमा करते हुए घर घर से कचरा इकठ्ठा करना बंद कर दिया है,
उल्लेखनीय है कि बीते वर्ष 2017 के दिसम्बर माह की 23 तारीख को ग्राम पंचायत भँवरपुर में डोर टू डोर कचरा कलेक्शन प्रारम्भ किया गया था जिसके लिए ग्राम के 900 सौ घरों में 1800 सौ कचरा डिब्बे तथा 150 दुकानों में 150 कचरा डिब्बों का वितरण किया गया था, उक्त योजना के क्रियान्वन हेतु 9 रिक्शाओं में महिला स्व सहायता समूह की 18 महिलाओं को शामिल किया गया था, जिन्हें 172/- ₹ प्रतिदिन के दर पर मजदूरी भुगतान पंचायत से किया जाना था मगर योजना शुरू होने के 45 दिनों के बाद भी महिलाओं को उक्त मजदूरी का भुगतान नहीं किया गया, उन्हें केवल घरों से मिलने वाले 20/- ₹ प्रति घर तथा दुकानों से मिलने वाले 50/- ₹ प्रति दुकान ही प्राप्त हुए हैं,
सफाई कर्मी क्या कहते है – हमें घर घर से कचरा इकठ्ठा करने का कार्य प्रारंभ करने के समय बाहर से आये अधिकारी के द्वारा कहा गया था कि आप लोगों को उक्त कार्य को करते हुए महीना पूरा होते ही 172/- ₹ प्रति महिला/प्रतिदिन की दर पर मजदूरी का भुगतान कर दिया जाएगा मगर आज डेढ़ माह बीत जाने पर भी हमें मजदूरी का भुगतान अप्राप्त है, अतः हम सभी ने ये फैसला किया है कि जब तक हमें हमारी मजदूरी का भुगतान नही कर दिया जाएगा हम कचरा इकठ्ठा करने का काम नहीं करेंगे“`,
तुलसी बाई सागर
सफाई कर्मी महिला
सरपंच क्या कहते है – राष्ट्रीय रूर्बन मिशन के तहत जिले के विकासखंड बसना के भंवरपुर कलस्टर के 14 ग्राम पंचायतों के 32 गांवों का चयन रूर्बन विकास के लिए रूर्बन मिशन के दूसरे चरण में जनवरी 2017 में हुआ था जिसके अंतर्गत कार्यों को जल्द ही प्रारम्भ करने के भारी ऊपरी दबाव के चलते विभागीय अधिकारियों के द्वारा आनन फानन में बिना किसी पूर्व तैयारी के कार्यो को प्रारम्भ करवा दिया गया, मगर अब भुगतान हेतु फंड की स्वीकृति नहीं मिली है कहकर मजदूरी भुगतान के बिल को रोक दिया गया जिस कारण यह स्थिति निर्मित हो गई, योजना का भुगतान एस बी एम के तहत होना था मगर अधिकारियों के द्वारा अभी भुगतान हेतु फंड के लिए जिले से स्वीकृति नहीं मिली है कहकर भुगतान बिल को रोक दिया गया है, योजना लगभग 8 माह पूर्व की है मगर अभी तक डीपीआर अपूर्ण है, हमारे पंचायत में इतना फंड नहीं है कि हम इनका मजदूरी भुगतान कर सकें, पहले ही पंचायत के लाखों रुपये इस योजना पर लग चुके हैं, जिसमें रिक्शा खरीदी से लेकर कचरा पेटी तथा सफाई कर्मियों की ड्रेस तक शामिल हैं
– कृष्ण कुमार पटेल सरपंच ग्राम पंचायत भँवरपुर
पूर्व सीईओ का बयान – डीपीआर को स्वीकृति नहीं मिली है, स्वीकृति मिलते ही भुगतान हो जाएगा
एन सी साव, पूर्व सीईओ जनपद पंचायत बसना
जिला पंचायत सीईओ का बयान – यह विभागीय कार्यवाही है जो विभाग देख लेगा,
– ऋतुराज रघुवंशी, जिला पंचायत सीईओ महासमुंद
वजह जो भी हो मगर सच्चाई यही है कि विभागीय लापरवाही के चलते केंद्र सरकार की एक और महत्वाकांक्षी योजना का बुरा हाल होने वाला है।