सरायपाली

घोड़ाधार प्रपात शिशुपाल पर्वत का मनोरम दृश्य देखने पहुंच रहे पर्यटक

सरायपाली(काकाख़बरीलाल)। कोरोना काल में लॉकडाउन से उकता चुके पर्यटक अब सरायपाली अंचल के प्रमुख पर्वत शिशुपाल पर्वत में स्थित घोड़ाधार जल प्रपात का मनोरम दृश्य देखने के लिए प्रतिदिन पहुंच रहे हैं। बताते हैं कि वर्ष 2015 में कोलकाता से भू वैज्ञानिक विभाग की टीम आई थी। जिन्होंने पर्वत का क्षेत्रफल 10 किमी बताया था। सबसे ऊंची चोटी को क्षेमाखुटी कहते हैं। पर्वत के बीचोंबीच एक मंदिर है। पर्वत के पूर्व में घोड़ाधार नाम का ऐतिहासिक झरना भी है। वहीं पुजारीपाली और अमलीपदर की तरफ दुर्गा मंदिर है। जहां नवरात्र और मकर संक्रांति में मेला लगता है। पश्चिम में बस्तीपाली है। यहां पर पूर्व राजाओं का निवास था। इसके खंडहर और मंदिर आज भी अवशेष के रूप में है। उत्तर में बागद्वारी गांव है और दक्षिण में कालीदरहा बांध स्थित है। जहां पर पिकनिक के लिए दूर-दूर से पर्यटक पहुंचते हैं। शिशुपाल पर्वत के ऊपर में एक बड़ा मैदान है। इसी में एक तरफ बड़े-बड़े पत्थरों से गढ़ बना हुआ है, जिसके अवशेष आज भी है। यहां जो गुफा है, बारिश के पानी में मिट्टी बह कर भर गया है। यहीं पर जामचुवां नामक कुआं है, जिसमें भी बारों महीने पानी भरा रहता है। जामचुंवा प्राकृतिक ढंग से बना हुआ है। पहाड़ के तीन तरफ छोटे-छोटे झरने हैं। पुजारीपाली की तरफ पाटझरना जिसका पानी वन विभाग की नर्सरी में उपयोग में लाया जाता है। बस्तीपाली तरफ के झरना का पानी बहकर सिंचाई के लिए काम आता है। तीसरा अंतरझोला गांव के पास झरना है। इसका नाम झरिया है, यहां भी पिकनिक के लिए लोग पहुंचते हैं। यहां भी पौधरोपण का कार्य होता है। पर्वत के उपर जो मंदिर है, वह जीर्ण-शीर्ण हो गया था। जिसे 26 दिसंबर 1990 को पुजारीपाली के शंकर बरिहा, स्व अनादि गा़ंडा एवं उनकी पत्नि प्रभा और संतोषिनी ने मंदिर का जीर्णोद्धार करने का संकल्प लिया। बानीपाली के लीलाधर गौंटिया द्वारा मंदिर की मरम्मत 1997-98 तक पूर्ण हुई। उसके बाद प्रति वर्ष मकर संक्रांति में यहां मेला लगता है। जहां पहाड़ के ऊपर बड़ी संख्या में श्रद्धालु और पर्यटक पहुंचते हैं। 1986 में कालीदरहा बांध के फटने पर आयुक्त का दौरा हुआ था। तब उन्होंने इसे पर्यटन स्थल पर विकसित करने की बात कही थी। इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने ग्रामीणों ने अनेक बार ज्ञापन सौंपा था। बाद में जनप्रतिनिधियों ने इसे पर्यटन के रूप में विकसित करने की मांग की थी। लेकिन अब तब इस दिशा में कोई भी पहल होती नहीं दिखी।

कैसे पहुंचे

महासमुंद जिले के सरायपाली ब्लॉक के अंतिम छोर ओड़िशा बॉर्डर पर यह शिशुपाल पर्वत स्थित है। यहां जाने के लिए सरायपाली से नेशनल हाइवे 53 सड़क से राफेल गांव के विपरीत दायीं ओर और छुईपाली जाने वाले मार्ग से होकर सीधा 08-10 किलोमीटर कि दूरी तय करने के बाद आप शिशुपाल पर्वत स्थित घोड़ाधार पहुंच सकते हैं।

Ramkumar Nayak

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