छत्तीसगढ़रायपुर

परंपरागत फसलों की जगह अधिक लाभ देने वाली फसलों की खेती करें किसान-श्री गडकरी

राष्ट्रीय कृषि मेले में केन्द्रीय मंत्री ने किसानों को बताए लाभकारी खेती के मंत्र
छत्तीसगढ़ में धान के पैरे एवं भूसी पर आधारित अनुसंधान केन्द्र खोलने पर दिया जोर

काकाखबरीलाल रायपुर 27 जनवरी

रायपुर – केन्द्रीय जल संसाधन मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ के किसानो को परंपरागत फसलों की खेती को छोडकर अधिक आय देने वाली फसलों की खेती के लिए आगे आना होगा। इसके लिए किसानों को नये प्रयोगों और अनुसंधानों को अपनाना होगा। श्री गडकरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि मेले की शुरूआत कर एक अच्छी पहल की है। इससे किसानों को खेती किसानी से संबंधित नई तकनीकों और नये अनुसंधानों की जानकारी मिलेगी। श्री गडकरी ने कहा कि छत्तीसगढ़ में धान के भरपूर उत्पादन को देखते हुए यहां धान पैरा एवं धान भूसी पर आधारित अनुसंधान केन्द्र खोला जाना चाहिए।
श्री गडकरी कल राज्य शासन के कृषि विभाग द्वारा राजधानी रायपुर के नजदीक जोरा में आयोजित पांच दिवसीय राष्ट्रीय कृषि मेले के तीसरे दिन मेला परिसर में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। श्री गडकरी ने कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के ग्यारह जिलों के किसानों द्वारा उत्पादित जैविक उत्पादों का लोकार्पण किया। उन्होंने इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा विकसित ई-कृषि पंचाग मोबाईल एप का लोकार्पण तथा विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित कृषि दर्शिका का विमोचन भी किया। कार्यक्रम में कृषि, पशुपालन और मछली पालन विभाग की विभिन्न योजनाओं ंके तहत हितग्राहियों को अनुदान राशि की चेक एवं सामग्री प्रदान की गई। आत्मा योजना के तहत किसानों को जिला स्तरीय पुरस्कार भी प्रदान किए गए। श्री गडकरी ने कृषि मेले का अवलोकन भी किया।
श्री गडकरी ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आज भारत चावल, गेहू एवं अन्य अनाजों के उत्पादन में आत्मनिर्भर हो चुका है। इसलिए अब किसानों को अनाज के स्थान पर दलहन-तिलहन और अन्य ऐसी फसलों का उत्पादन करना होगा जिनका हम विदेशों से आयात करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षाें में प्रमुख फसलों के समर्थन मूल्य मंे बढ़ोतरी के बावजूद खेती की लागत में इजाफा होने के कारण किसानों को उनकी उपज की उचित कीमत नहीं मिल पा रही है। आज चावल, गेहूं, सोयाबीन और शक्कर की कीमत अन्तर्राष्ट्रीय बाजार द्वारा तय होती है। फसलों की कीमत मांग और आपूर्ति के सिद्धान्त पर निर्भर करती है। आज पूरा विश्व खुले बाजार के रूप में काम कर रहा है। अन्य देशों में फसलों की कीमत कम होने पर यहां भी उनकी कीमतों में गिरावट आना तय है। ऐसे में किसानों को ऐसी फसलों के उत्पादन के लिए आगे आना होगा जिनकी कीमतें अंतर्राष्ट्रीय बाजार में अच्छी है। इसके साथ ही उन्हें फसलों के मूल्य संवर्धन और समन्वित खेती के मॉडल को अपनाना होगा, जहां फसल उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन, डेयरी, मछलीपालन, शहद उत्पादन आदि को भी शामिल करना होगा। श्री गडकरी ने कहा कि धान के पैरे से सेकन्ड जनरेशन इथेनॉल का उत्पादन किया जा सकता है। एक टन पैरे से ढाई सौ लीटर इथेनॉल बनाया जा सकता है जिसकी लागत 22 रूपये प्रति लीटर पडती है। इस इथेनॉल से वाहनों को चलाने के सफल परीक्षण किये जा चुके हैं। भारत सरकार वाहनों में इथेनॉल के उपयोग के अनुमति देने का निर्णय लेे चुकी है। यदि यह प्रयोग सफल होता है तो छत्तीसगढ़ में ही इथेनॉल उत्पादन के 100 करखाने लग सकेंगे। इससे छत्तीसगढ़ के किसान लाभान्वित होंगे। छत्तीसगढ़ धान के कटोरा के बाद इथेनाल का कटोरा भी बन सकता है।
श्री गडकरी ने कहा कि राष्ट्रीय कृषि मेले की थीम प्रति बूंद अधिक फसल को साकार करने के लिए प्रदेश में वाटर मेनेजमेन्ट बहुत जरूरी है। पानी का न्यायसंगत उपयोग किया जाना आवश्यक है। इसके लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी माइक्रो इरिगेशन पद्धतियों को बढ़ावा देना होगा। अब सिंचाई के लिए नहर बनाने के बजाय पाईप लाईन बिछाकर सिंचाई सुविधा विकसित की जानी चाहिए। श्री गडकरी ने किसानों को उन्नत बनाने के लिए प्रशिक्षण और प्रबोधन पर जोर दिया।
कृषि मंत्री श्री बृजमोहन अग्रवाल ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि केन्द्रीय मंत्री श्री गडकरी महाराष्ट्र में पिछले कई वर्षाें से एग्रोविजन के नाम से कृषि मेले का आयोजन कर रहे हैं। उन्हीं से प्रेरणा लेकर छत्तीसगढ़ में कृषि समृद्धि राष्ट्रीय कृषि मेले की शुरूआत दो वर्ष पूर्व हुई है। इस वर्ष कृषि मेले का तीसरा साल है। श्री अग्रवाल ने किसानों को गणतंत्र दिवस की बधाई एवं शुभकामना दी। श्री अग्रवाल ने कहा कि कृषि मेला छत्तीसगढ़ के किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है। मेले में किसानों को खेती किसानी की नई तकनीकों को जीवंत प्रदर्शनी के माध्यम से देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश सरकार ने छत्तीसगढ़ के पांच जिलों को पूर्ण जैविक जिला बनाने की योजना बनाई है। शेष 22 जिलों के एक-एक विकास खण्ड का चयन कर जैविक विकास खण्ड बनाने की दिशा में कार्य शुरू हो गया है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष श्री धरमलाल कौशिक ने समारोह को संबोधित करते हुए राष्ट्रीय कृषि मेले को किसानों के लिए बहुउपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि किसान खेती किसानी से संबंधित नई-नई चीजों को देखकर प्रेरणा लेते हैं।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री श्रीमती रमशीला साहू, विधायक श्री देवजी भाई पटेल, श्री श्रीचंद सुंदरानी, डॉ. विमल चोपडा, कृषि एवं बीज विकास निगम के अध्यक्ष श्री श्याम बैस, पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष श्री देवजी भाई पटेल, वनौषधि बोर्ड के अध्यक्ष श्री रामप्रताप सिंह, अपेक्ष बैक के अध्यक्ष श्री अशोक बजाज, छत्तीसगढ़ औद्योगिकी विकास निगम के अध्यक्ष श्री छगन मूंदडा, रायपुर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष श्री संजय श्रीवास्तव, छत्तीसगढ़ भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार मण्डल के अध्यक्ष श्री मोहन एंटी, कृषक कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष श्री विशाल चन्द्राकर, छत्तीसगढ़ श्रम कल्याण मण्डल के उपाध्यक्ष श्री सुभाष तिवारी, रायपुर नगर निगम के पूर्व महापौर श्री सुनील सोनी सहित श्री सौदान सिंह, श्री पवन साय, श्री राजीव अग्रवाल, कृषि उत्पादन आयुक्त श्री सुनील कुजूर, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एस.के पाटील सहित कृषि एवं संबंधित विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा बडी संख्या में किसान उपस्थित थे।

काका खबरीलाल

हर खबर पर काकाखबरीलाल की पैनी नजर.. जिले के न. 01 न्यूज़ पॉर्टल में विज्ञापन के लिए आज ही संपर्क करें.. kakakhabarilaal@gmail.com

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!