-काकाखबरीलाल / गौरव दुनिया
बिलासपुर (काकाखबरीलाल/गौरवदुनिया)। सिविल सेवा क्षेत्र में सफल होने के बाद व्यक्ति की दुनिया बदल जाती है , वो लोगो का आदर्श और अघोषित सलाहकर बन जाता है , समाज मे उसका पैमाना बदल जाता है पर उसके सफल होने के पीछे कई रातों की उजड़ी नींद , बर्बाद दिन , टूटते रिश्ते , असफल प्रयासों की लंबी दास्तां होती है …….
फेसबुक की काल्पनिक अकाउंट से चली यह यात्रा अब नावेल का रूप ले चुकी है। इस नावेल का सफर कुछ यूं शुरू होता है।
एक काल्पनिक फेसबुक अकाउंट से कुछ रोमांटिक शायरी, करंट अफेयर से जुड़े मुद्दों पर व्यंग, घटनाओं पर अपना छोटा नजरिया लिखना या किसी मुद्दे को मसालेदार रूप दे दिया करना यह सिविल सेवा की तैयारी करने वाले प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालों द्वारा खूब भाया गया सराहा गया इन्हीं सुझावों से कई दोस्तों और बुद्धि जिओ की सलाह से घटनाओं को एक रूप में छोड़कर कहानी उपन्यास का रूप दिया गया यह इलेवन मंथ।
एक मध्यमवर्गीय युवक जिसकी रुचि सिविल सेवा की परीक्षाओ में है ,जो एक छोटे शहर का सामान्य युवक है ,वह अपने कैरियर की तलाश में बड़े शहर जाता है वहा वह एक कोचिंग में पढ़ाई करता है ,इस दौरान वह आर्थिक समस्याओं से जूझता है , दोस्तो के साथ रहकर अपनी अस्तित्व की लड़ाई लड़ता है ,दुनिया के दोहरे रवैये का भी सामना करता है ,मौज मस्ती करता है ,उबाऊ क्लास भी अटेंड करता है, कोचिंग के बाजारवाद को समझता है पर उसका हिस्सा बनकर विरोध नही कर पाता , उसका प्यार भी उससे बिछड़ जाता है ,कभी कभी अकेले कैरियर के दबाव को बुरी तरह से झेलता है और घण्टो पढाई करने के बाद भी कठिन मानसिक द्वद की स्तिथि में कई परीक्षाओ में असफल होता है , डिप्रेस की स्तिथि का भी सामना करता है और …?????
हर पाठक को ऐसा लगेगा जैसे यह उसकी अपनी ही कहानी है
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सम्भव है यह उपन्यास बेहतरीन हिंदी शब्दों से ओत प्रोत ना हो या यह भी संभव है कि आपके मानकों पर खरा ना उतरे…. पर यह उपन्यास रेल्वे स्टेशन , पढ़ाई के दौरान खाली समय , चाय की टपरियों में बैठकर , फुर्सत के दौरान अनियमित तरीके से केवल मोबाइल में लिखा गया है जो अब एक उपन्यास का रूप ले चुकी है , इस उपन्यास उन घटनाओं या उन चीजों का जिक्र है जो सिविल सेवा की तैयारी करने वाला हर युवक रूबरू होता है , वह हॉस्टल खोजता है ,टिफिन के बासी खाने को खाता है , कुंठाओ को दूर करने के लिए मूवी या किसी नजदीक के पर्यटक स्थानों की ओर जाता है , कोंचिंग के चक्कर लगाता है और कई बार इज्जत -बेइज्जती का मिला जुलाभाव पाकर खुद को व्यवहारिक बनाता है ।
लेखक के बारे में —-
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लेखक का नाम सूरज डड़सेना है जो ignou से bachlor of tourism के क्षेत्र में स्तानक तक तथा लोक प्रशासन के क्षेत्र में स्नाकोत्तर की पढ़ाई कर चुके है ,साथ ही वह सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी कर रहे है इसके अतिरिक्त वह निजी तौर पर टीचिंग देने का कार्य करते है , सोशल मीडिया में मजाक ,व्यग्य ,समसामयिक मुद्दों पर रुझान होने के कारण बेबाक विचार व्यक्त करने के लिए जाने जाते थे और यही से उनके लेखन कला की शुरुआत हुई ,
वर्तमान में वह राजनादगांव जिले, छत्तीसगढ़ के निवासी है , सोशल मीडिया में शौकिया तौर पर लिखने की कला ने उन्हें उपन्यास लिखने की ओर प्रेरित किया ,
इलेवन मंथ रिव्यू
1. एक शिक्षक और मार्गदर्शक होने के नाते मैंने सदैव यह महसूस किया है कि सिविल सेवा तैयारी से जुड़ा अभ्यर्थी प्रतियोगी परीक्षाओं के दौरान व्यक्तित्व विकास की निरंतर प्रक्रिया से गुजरता है।वह जूझता है , परेशानियों का हल ढूंढता है और इसी क्रम में अपने अंदर की छिपी प्रतिभा से अवगत होता है। यही सुखद घटना इस पुस्तक के लेखक से जुड़ी है। जिसने अपनी लेखनी से दिल को छुआ है। उनकी रचना ” 11 month , civil services infected ” उन सभी विद्यार्थियों की अनकही कहानी है,जो नित नए सपने गढ़ते है, रोज नई लड़ाई लड़ते है और अंततः जीतते है ….
———-सौरभ चतुर्वेदी , डॉयरेक्टर दिल्ली आई ए एस कोचिंग , बिलासपुर एवं सबंधित संस्थान दृष्टि आई ए एस , नई दिल्ली
2 . यह पुस्तक उन लाखों संघर्षरत युवाओ की वास्तविक कहानी है ,जो जज़्बा के साथ बेइंतहा मेहनत करता है,लेकिन समाज उसके असफ़लता पर उसे छात्र भी मानने से इनकार कर देता है। 15-17 साल स्कूल कॉलेज की पढ़ाई में जितने सपने देखे होते है, अब अपने अस्तित्व की लड़ाई में सब भूल कर एक ही सिद्धान्त पर टिक जाता है,, जो जीता वही वंडर बाकि सब बवंडर।। यह व्यंग्यात्मक लेख सबको जीवन की सच्चाई के साथ उन छोटे बड़े पलों के यादों से गुदगुदाने का काम करेगी।
———– भागवत जायसवाल , SDM रायगढ़ ———
3. : प्रत्येक प्रतियोगी कही न कही स्वयं को,अपने आस -पास के वातावरण ,अपनी स्मृतियों को इस पुस्तक के पात्रो में ढूंढ लेगा।प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने वालो की एक अलग ही दुनिया होती हैं जहाँ सफलता, असफलता ,मेहनत, लगन,आशा,निराशा,तनाव, उत्साह, भय, जैसे मिश्रितभावों का सामना होता है।यहाँ असफलता पे प्रतियोगी को तानो के व्यंग्यात्मक बाणों पर भीष्म सा सोना पड़ता है, तो सफलता एक ही दिन में आपको महामानव सा एहसास करा देती है। एक सामान्य प्रतियोगी के संघर्ष से सफलता तक के सफ़र को,उसके जीवन मे आने वाले उतार- चढ़ाव का अत्यंत सूक्ष्म अवलोकन एवम गहन विश्लेषण इस पुस्तक में मैंने पाया। यद्धपि सूरज भाई की प्रथम पुस्तक है, तथापि इनकी लेखनी मे एक सिद्धस्त लेखक सी परिपक्वता देखने को मिलती है।पुस्तक में हल्के -फुल्के व्यंग्यात्मक अंदाज में गहन दार्शनिक बातों का समावेश मिलता हैं।
सूरज भाई को बहुत -बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं ।
———-: गुरुदत्त , नायब तहसीलदार कोरबा ——-
4. ये पुस्तक cgpsc की तैयारी के दौरान आने वाले कठिन परिस्थितियों का भाव विभोर पूर्ण वर्णन करती है.. इस पुस्तक को पढ़ने वाला इससे जुड़कर कही अपने कटु अनुभवो को याद कर हँसेगा तो कही अपने संघर्ष को याद करते हुए स्वयम को कभी अकेला नही पायेगा । यह पुस्तक आपको हँसने का मौका तो देगी ही साथ ही जीवन की सच्चाई से भी रूबरू करवाएगी ।
———पौरस वेंताल , नायब तहसीलदार
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