जनाब खान नवभारत सरायपाली. –
पूरे प्रदेश में समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी विगत 15 नवम्बर से शुरू की गई है. जिसमें ब्लॉक के 13 सोसायटियों के अंतर्गत 24 खरीदी केंद्रो में धान की खरीदी की जा रही है. 2017-18 में खरीदी के लिए शासन द्वारा 15 नियम जारी किए गए हैं, जिसके तहत खरीदी की जानी है. लेकिन कुछ खरीदी केंद्रो में नियमों को अनदेखी कर खरीदी की जा रही है. ऐसा ही मामला आज केना सोसायटी में देखा गया जहां पर धान पर अचरी-करगा(धान में कचरा) होने के बावजूद भी कई किसानों का धान खरीदी किया गया. वहीं कुछ किसानों के धान में धूल भी काफी मात्रा में देखने को मिली, जबकि फड़ प्रभारी की देख रेख में खरीदी की जा रही है. जब अमानक धान की खरीदी होते देख प्रतिनिधि द्वारा फोटो खींचा गया तो फड़ प्रभारी दौड़कर पहुंचे और लीपापोती करते हुए किसान को साफ करने के लिए कहने लगा.
प्रतिनिधि द्वारा फड़ में धान की भराई कर रहे दो-तीन किसानों के धान को जब देखा गया तो उसमें अचरी-करगा, बदरा काफी मात्रा में दिखा. शिकायत पर तहसीलदार भी निरीक्षण में गई हुई थीं. उनके द्वारा जब जांच किया गया तो उन्होने शिकायत सही पाया और खराब धान को उनके द्वारा अलग करवाया गया. उस समय फड़ प्रभारी नदारद रहे. उनको उच्चाधिकारियों की भनक हो गई थी इसलिए निरीक्षण के लिए आ रहे अधिकारियों के आने के पहले ही वह रफु चक्कर हो गए. तहसीलदार द्वारा उपस्थिति पंजी देखा गया तो वे अनुपस्थित मिले.
सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार फड़ प्रभारी हमेशा की तरह आज भी हमालों, आॅपरेटरों के भरोसे खरीदी केंद्र को छोड़कर गायब रहे और जब निरीक्षण में आए अधिकारियों की जानकारी मिलने के बाद अनुपस्थित पाए जाने की बात सामने आई तो वे बाद में सफाई देने तहसील कार्यालय पहुंच गए. यह भी जानकारी मिली कि फड़ प्रभारी द्वारा अपने करीबी लोगों का पैसा लेनदेन करके खराब धान की भी खरीदी धड़ल्ले से की जाती है और रात में भी ओड़िशा का धान खपाया जाता है.
तौलने के लिए संदेहास्पद मानक का उपयोग
धान खरीदी के शुरूवाती दौर पर भी इस खरीदी केंद्र से धान अधिक तौले जाने की भी शिकायत सामने आई थी. वहां एक किसान द्वारा 200 पैकेट धान का दोबारा तौल करवाया गया था. जिसमें अधिक तौल होने की पुष्टि हुई थी. इसी प्रकार आज भी खरीदी केंद्र में बहुत सारी खामियां देखने को मिली. खरीदी केंद्र में तौल हेतु उपयोग किए जा रहे बाट को जब देखा गया तो उनमे से कुछ बाट में ही सत्यापन का चिन्ह अंकित था और कुछ में केवल पोताई ही दिखाई दे रहा था. जिसके निरीक्षण में अधिकारी भी गए हुए थे.