सरायपाली

स्वयं किडनी दान कर, अंग दान के लिए प्रेरित करने भारत भ्रमण पर निकले हैं प्रमोद

100 दिन में 18 राज्यों की बाईक से कर रहे हैं भ्रमण

काकाखबरीलाल,सरायपाली। लोगों को अंग दान देने हेतु प्रेरित करने के लिए भारत भ्रमण पर निकले एक व्यक्ति का आज नगर आगमन हुआ. विगत 21 अक्टूबर से भारत के 16 बड़े शहरों से गुजरने वाले प्रमोद लक्ष्मण 18 प्रदेशों के भ्रमण का लक्ष्य लेकर चल रहे हैं. अभी वे 11 प्रदेशों की दूरी तय कर लिए हैं. स्वयं किडनी दान देकर लोगों को भी अपने शरीर के अंगों की दान करने हेतु लगातार प्रेरित कर रहे हैं. विगत 42 दिनों से मोटर साइकिल में निकलने के बाद वे प्रतिदिन 175 से 200 किमी तक का सफर करते हैं. उनके आगमन पर संतोषी मंदिर के समीप यहां के सामाजिक संस्थाओं के लोगों ने शॉल श्रीफल से उनका स्वागत किया.

पेशे से किसान प्रमोद लक्ष्मण महाजन डबली, ताल्लुकावाल जिला संगली महाराष्ट्र के रहने वाले हैं. 67 वर्षीय प्रमोद आज से 18 वर्ष पहले सन 2000 में अपने गांव के ही 42 वर्षीय सेना के एक जवान को अपनी एक किडनी दान कर चुके हैं. इसी से प्रेरणा लेकर वे लोगों को भी अंगदान करने हेतु लगातार प्रेरित कर रहे हैं. कुल 10 हजार किमी की दूरी तय कर वे 25 जनवरी को पुणे में अपने भ्रमण को विराम देंगे. पत्रकारों से चर्चा में प्रमोद ने बताया कि वे वर्ष 2009 में भी एड्स जागरूकता के लिए 750 किमी की यात्रा कर 4 राज्यों केरल, कर्नाटक , आंध्रप्रदेश, गोवा तक जा चुके हैं. अभी वे गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली, पंजाब, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओड़िसा संबलपुर के बाद सरायपाली पहुंचे हैं. इसके बाद वे रायपुर के लिए रवाना होंगे. वे अपने साथ प्राथमिक उपचार की सामग्री के अलावा जीपीएस एवं अन्य जरूरी सामान भी लेकर चल रहे हैं. बाईक सवारी के लिए वे अपने शरीर को कई तरह के सुरक्षा कवच लगाकर चल रहे हैं. जिससे दुर्घटना होने पर चोट ज्यादा न आ सके. इतने उम्र दराज होने के वावजूद भी वे प्रतिदिन 200 किमी तक की यात्रा कर रहे हैं।

सामाजिक संस्थाओं से मुलाकात कर करते हैं प्रेरित

प्रमोद जहां भी पहुंचते हैं उस शहरों के सामाजिक संस्थाओं से मुलाकात करते हुए उन्हें भी अंग दान करने हेतु प्रेरित करने का आग्रह करते हैं. इसके लिए वे बड़े शहरों में एक दिन रूकते भी हैं. उन्होने कहा कि वे स्वयं एक किडनी दान कर चुके हैं. आदमी की मौत के बाद उसका अंग नष्ट हो जाता है लेकिन अगर समय रहते अंगों को दान करें तो यह किसी की जिंदगी के काम आ सकता है और मरकर भी व्यक्ति दूसरे के शरीर में जिंदा रहता है. लोगों को इस बारे में गंभीरता से सोचने की आवश्यकता है. इस दौरान उन्होंने अपने यात्रा के दौरान उत्पन्न होने वाली कई बातों को भी बताया.

काका खबरीलाल

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