सरायपाली

सरायपाली :पक्षकारों और अधिवक्ताओं में आक्रोश पूर्व तहसीलदार पर बिना सुनवाई मामले खारिज करने का आरोप

स्थानीय तहसील कार्यालय में पूर्व पदस्थ तहसीलदार ममता सिंह ठाकुर के विरूद्ध पक्षकारों एवं वकीलों ने उनके कार्यकाल में कई मामले खारिज करने, कई फाइलें गायब करने तथा प्रक्रियाओं का पालन किए बिना विधि विरूद्ध कार्यवाही करने, अदम पैरवी में प्रकरण खारिज कर देने का आरोप लगाया है। पक्षकारों के पेशी तिथि पर भी पेशी नहीं है कहकर कई प्रकरणों को खारिज कर दिया गया है। वहीं कई पक्षकारगणों को पेशी के दिन प्रकरण नहीं निकला है कहकर वापस भेज दिया जाता था।

अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष नित्यानंद साहू, सिनियर अधिवक्ता एसके पटेल, विजय प्रधान ने चर्चा

में बताया कि फैसला के बाद  आदेश पत्र में अधिवक्ताओं हस्ताक्षर होता है, परंतु ममता सिंह   ठाकुर के कार्यकाल में कई प्रकरणों

में ऐसा नहीं होता था। कई प्रकरणों में सुनवाई के बिना प्रक्रिया का पालन किए बगैर केस खारिज कर दिया गया है।

वहीं तहसीलदार की पैरवरी में वकीलों को नहीं बुलाया जाता था। वहीं हाईकोर्ट, सिविल कोर्ट के आदेश के कई मामले हैं, जिसमें उनके विपरित फैसला सुनाया गया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उनके द्वारा सुनवाई के बिना प्रकरणों को खारिज कर दिया गया है। जबकि, अदम पैरवी खारिज करने का प्रावधान नहीं है। अंतिम रूप से निर्णय करने का प्रावधान होता है। इससे पक्षकारों एवं अधिवक्ताओं में आक्रोश देखा जा रहा है। उक्त तहसीलदार के खिलाफ न्यायिक जांच एवं कार्यवाही की मांग की गई है।

2000 से अधिक केस बिना निर्णय के खारिज

नायब तहसीलदार रामटेके के जाने के पहले उनके लगभग 1600 पेंडिंग प्रकरण को ममता सिंह ठाकुर के अधीन हो गए थे। लेकिन उनके भी 1500 केस को सुश्री ठाकुर द्वारा सुनवाई किए बिना खारिज कर दिया गया। यही नहीं उनके स्वयं के भी 400 से 500 केस है, जिनमें कई प्रकरणों के फाईल गायब है तथा लोगों को न्याय देने के बजाय सालों साल पेशी बुलाया गया और बिना निर्णय के खारिज कर दिया गया। अधिवक्ता, पक्षकारों को भी उनके केस के बारे में जानकारी नहीं है।

कार्यालय से फाइलें गायब

तहसील कार्यालय से फाइलें एवं किसानों के आवेदन-पत्र गायब होने की शिकायतें लगातार मिल रही थी। सूत्रों से यह भी पता चला है कि कई फाइल गायब है। कुछ प्रकरण तो ऐसे है जो पक्षकार अपने प्रकरण खोज रहे हैं। प्रकरण में क्या हुआ कुछ जानकारी नहीं दिया गया है। वहां उपस्थित बाबू को भी पूरी जानकारी नहीं है। लोगों को न्याय देने के बजाय सालों साल पेशी बुलाकर और बिना निर्णय के खारिज कर दिया गया।

काका खबरीलाल

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