तपती टिन शेड के नीचे जिंदगी कट रही
भीषण गर्मी में पानी की कमी और बिजली का अभाव। पसीने से चिपचिपा शर्ट, चेहरे पर पसीने की बहती बूंद और रोते बच्चे। अक्सर ऐसा नजारा प्रदेश के सुदूर ग्रामीण इलाकों में देखने को मिलता है, लेकिन राजधानी में भी यह देखा जा सकता है। पंडरी मंडी गेट (Pandri Mandi Gate) के चंद्रशेख्रर नगर (Chandrashekhar Nagar) निवासी 12 परिवार के बच्चों और महिलाओं को तीन दिन में एक बार टैंकर से पानी मिल रहा है। बिजली भी गुल है। ऊपर से तेज गर्मी ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। बिजली बंद रहने से पंखा भी नहीं चला पा रहे हैं। यहां रहना इन परिवारों के लिए त्रासदी साबित हो रही है। परिवारों का कहना है कि हमें कचरा का ढेर समझकर छोड़ दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि रेलवे लाइन दोहरीकरण (railway line doubling) के चलते 17 फरवरी को इनके घर तोड़ दिए गए थे। स्थानीय नेताओं के हस्तक्षेप के बाद सभी परिवारों को अस्थायी रूप से मंडी परिसर के शेड के नीचे रहने दिया गया था। शुरुआत में पानी, बिजली की व्यवस्था की गई थी। पानी नियमित रूप से आता था। बिजली की भी व्यवस्था थी। लेकिन नेताओं ने ध्यान देना बंद कर दिया। इससे बिजली, पानी सहित कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा हैं।शैलेश प्रसाद केंवट ने बताया कि शुरुआत में पानी का टैंकर लाकर रख देते है। नवरात्रि के बाद दो-तीन दिन में एक बार ही पानी आता हैं। पानी के लिए दूर जाना पड़ता है। शनिवार रात गोडाउन में शरारती युवकों ने आग लगा दी थी। इससे बिजली सप्लाई बंद (power supply off) हो गई, तब से यहां लाइट बंद है। न पंखे चला पा रहे हैं और न मोबाइल चार्ज कर पाते हैं। संतोषी निषाद ने बताया कि घर तोड़ने के बाद विस्थापन नहीं हुआ है। महापौर, विधायक के पास जाते हैं, तो बैंक से लोन लेने कहते हैं। पिछले छह वर्षो से रेलवे लाइन के किनारे घर बनाकर रह रहे थे। अचानक हमारा मकान तोड़ दिया गया। सुबह से शाम तक गर्मी से परेशान रहते हैं। रात में मच्छरों का भी सामना करना पड़ता है।
रात में घूमते हैं नशेड़ी,
यहां रह रहे परिवारों में ज्यादातर मजदूरी करते हैं। तोड़फोड़ होने से बेघर हो चुकी केजा मानिकपुरी का कहना है कि हमें कचरे के ढेर समझकर स्थानीय नेताओं ने यहां लाकर छोड़ दिया है। गर्मी व पानी की कमी तो हम लोग किसी तरह बर्दाश्त कर लेते हैं। लेकिन अपराधियों का डर हमेशा बना रहता हैं। रात होते ही नशेड़ी आसपास नशा करते रहते हैं। नशा करके उत्पात मचाते हैं। दैनिक जरूरतों के लिए भी काफी दूर जाना पड़ता है।प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत इन परिवारों को मकान देने का फैसला लिया गया है। इसके लिए 90 हजार की जगह पीडि़तों को पहली किस्त के रूप में 35 हजार रुपए देकर मकान बुक करवाना पड़ेगा। बाकी राशि लोन लेकर किस्तों में देना है। लेकिन इन गरीबों के पास पहली किस्त के लिए भी पैसा नहीं है। और लोन की प्रक्रिया भी शुरू नहीं हो पाई है।