छत्तीसगढ़

बसना: महिला मेट की जिम्मेदारी निभा रही पूनम दास

बसना विकासखंड मुख्यालय से 25 किमी दूर ग्राम पंचायत खोगसा की महिला मेट की जिम्मेदारी निभा रही पूनम दास मानिकपुरी का जीवन संघर्ष पूर्ण रहा है। मजदूर परिवार से होने के कारण परिवार के सदस्यों के साथ मनरेगा कार्य में मजदूरी करने जाया करती थी। जिससे उनके परिवार का भरण.पोषण होता था।

पूनम मानिकपुरी की पढ़ाई 12वीं के बाद ही छूट गई थी। मनरेगा कार्यों में जाने के कारण योजना के संबंध में थोड़ी बहुत जानकारी उन्हें पहले से ही थी। पढ़ाई छूटने के बाद एक वर्ष से अपने माता-पिता एवं भाई के साथ मनरेगा में मजदूरी कार्य में जाती थी। इस दौरान उन्हें ग्राम रोजगार सहायक नंदकुमार चौहान से महिला मेट के संबंध में जानकारी प्राप्त हुई। जानकारी प्राप्त होने पर मानिकपुरी के भीतर उम्मीद की किरण जगी और उन्होंने अपना पंजीयन महिला मेट के रूप में कराने के बाद जनपद पंचायत स्तर पर आयोजित तीन दिवसीय प्रशिक्षण प्राप्त किया।

इसके पश्चात कोरोना की दस्तक के साथ रोजगार कार्यों पर असर पड़ा। ऐसे में पूनम दास मानिकपुरी ने हिम्मत दिखाते हुए कोरोना काल में फ्रंटलाइन वारियर बन कर ग्राम पंचायत में चल रहे तालाब गहरीकरण कार्य एवं डबरी निर्माण कार्य में महिला मेट के रूप में कार्य कर ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराया। पूनम बताती हैं कि महात्मा गांधी नरेगा योजना में मेट के रूप में कार्य करने से उसे ग्राम पंचायत स्तर में बहुत से जानकारियां जैसे कार्ययोजना तैयार करना, ग्राम पंचायत पंजी एवं मेट पंजी का संधारण, जाब कार्ड का अद्यतन एवं कार्यस्थल पर  श्रमिकों का काम आदि की जानकारी प्राप्त हुई। जिसके साथ उन्होंने रोजगार दिलाने में अपनी सहभागिता दी। वर्तमान में महिला मेट के रूप में प्रशिक्षण प्राप्त होने से बेहतर कार्य करने का प्रोत्साहन मिला है।

छत्तरसिंग पटेल

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