सरायपाली: देवी मंदिरों में आरती के लिए उमड़ रही भक्तो की भीड़
देवी मंदिरों में चैत्र नवरात्र के अवसर पर भक्तों की भीड़ लगने लगी है। माता के जयकारों के गीत मंदिरों में चल रहे हैं। पूरे तिथि के अनुसार विशेष पूजा अर्चना भी माता के समक्ष की जा रही है। शहर की महिलाएं, बच्चे शाम के वक्त खाली पैर घण्टेश्वरी मंदिर तक दर्शन हेतु पहुंच रहे हैं। शहर के मध्य में स्थित दुर्गा मंदिर में ठीक आरती के वक्त सबसे अधिक भक्तों की भीड़ जुट रही है। प्रतिदिन सुबह शाम भक्तों की भीड़ माता की आरती के लिए उमड़ रही है। भक्त गण देवी मंदिरों में मनोकामना ज्योति कलश जलाकर माता की उपासना में लगे हुए हैं।
सिंघोड़ा मंदिर में घी के 500 तथा तेल के लगभग 1100 मनोकामना ज्योतिकलश जल रहे हैं। घंटेश्वरी मंदिर में भी तेल के 501 दीपक जलाए जा रहे हैं। घण्टेश्वरी मंदिर में प्रतिदिन जसगीत एवं भजन का आयोजन हो रहा है। रूद्रेश्वरी मंदिर सिंघोड़ा में प्रतिदिन भजन, प्रवचन के साथ घण्ट बाजे से माता की आरती हो रही है। घंटेश्वरी मंदिर समिति में शनिवार को हवन पूजन के साथ नवकन्या भोज होगा तथा विसर्जन के बाद भण्डारा रखा गया है। इसी तरह दुर्गा मंदिर में 11 अपै्रल को भण्डारा का आयोजन रखा गया है।
नवरात्रि के पहले दिन छत्तीसगढ़ ओडिसा सिमा सरायपाली सिंघोड़ा के पहाडिय़ों में स्थित शक्ति पीठ माँ रुदेश्वरी देवी के मन्दिर में मंत्र उच्चारण विधि विधान के साथ मां की आराधना की गई, जहाँ छत्तीसगढ़-ओडिसा सहित अन्य राज्यों से सैकड़ों संख्या में श्रद्धालु अपनी मनोकामना लेकर माता के दर्शन के लिए पहुंचते थे, वर्षों से मंदिर की यह मान्यता है, की जो भी भक्त सच्चे मन से माता रानी को श्रीफल, श्रृंगार व चुनरी चढ़ाकर मनोकामना मांगता है, उन भक्तों की सारी मनोकामना पूर्ण होती है।
लोगों के अनुसार सन 1975 में स्वामी शिवानंद जी महाराज इसी मंदिर मार्ग से होते हुए कोलकाता में स्थित माँ काली मंदिर जा रहे थे, तभी माँ रुदेश्वरी किसी रूप में उनको दर्शन दिए और स्वामी जी को आदेशित किये कि इस स्थान पर मेरी मंदिर का निर्माण हो और पुर्जा पाठ की जाए। तभी स्वामी जी माता के आदेश का पालन करते हुए उसी स्थान पर मंदिर निर्माण में जुट गए और सन 1995 से मंदिर निर्माण पूर्ण करते हुए मंदिर प्राण प्रतिष्ठा बहुत ही भव्यता से किया गया।