पत्नी ने अपनी किडनी देकर शिक्षक पति को दी नई जिंदगी
यूं ही पत्नी को अद्र्धांगिनी नहीं कहा जाता, वह पति के सुख-दुख में पूरा सहयोग करती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है एक शिक्षक की पत्नी ने। दोनों किडनी फेल होने के बाद शिक्षक जिंदगी और मौत के बीच 4 वर्ष से झूल रहे थे। ऐसे में पत्नी ने अपनी किडनी पति के लिए दान की। लोगों दुआ, दवा व लोगों के जन सहयोग से आखिरकार जीत जिंदगी की हुई। हम बात कर रहे हैं बलरामपुर जिले के भंवरमाल निवासी शिक्षक प्रमोद कुमार पाठक की। उनकी एक साथ दोनों किडनी फेल (Kidney failed) होने के बाद 200 से अधिक बार डायलिसिस हुआ। चारों तरफ जब अंधकार के बादल छा गए, उस समय प्रमोद के हौसले-हिम्मत ने जिंदगी की डोर को थामे रखी। आखिरकार पत्नी द्वारा किडनी दान देने के बाद आज प्रमोद स्वस्थ जिंदगी जी रहे हैं एवं नियमित ड्यूटी भी कर रहे हैं। आज प्रमोद पाठक की पहचान आदर्श शिक्षक के रूप में भी है।बलरामपुर जिले के रामानुजगंज से लगे ग्राम पंचायत भंवरमाल में रहने वाले प्रमोद पाठक का वर्ष 2013 में अपेंडिक्स का ऑपरेशन हुआ था इस दौरान अधिक डोज में एनिस्थिसिया देने से 3 दिनों तक लगातार बेहोश रहे व दोनों किडनी फेल हो गई। उन्हें 200 बार से अधिक डायलिसिस से गुजरना पड़ा।धीरे-धीरे उनकी स्थिति बिगड़ते जा रही थी व आर्थिक रूप से भी पूरा परिवार टूटते जा रहा था। इस बीच लखनऊ पीजीआई में भर्ती हुए, जहां इन्हें किडनी प्रत्यारोपण के लिए सलाह दी गई। उचित जांच के पश्चात पत्नी सरोजिनी पाठक द्वारा किडनी दान देने का निर्णय लिया गया।किडनी ट्रांसप्लांट होने के बाद भी प्रमोद पाठक की जिंदगी एवं मौत से जंग जारी रही कई बार किडनी फेलियर की स्थिति बनी रही। परिवार के लोगों का बार-बार हौसला टूट रहा था परंतु प्रमोद कभी अपना हौसला टूटने नहीं दिए। हमेशा सकारात्मक विचार से अपना इलाज कराते रहे एवं अंतत: का दवा एवं दुआ दोनों काम आए और किडनी ट्रांसप्लांट सफल हुआ।प्रमोद पाठक की 36 वर्षीय पत्नी सरोजिनी पाठक द्वारा तत्काल अपने पति को किडनी दान देने का फैसला लिया व किडनी दान किया। इसके बाद वह भी पूर्णत: आज स्वस्थ हंै। सरोजिनी पाठक ने बताया कि किडनी दान देने के बाद उन्हें आज तक कोई दिक्कत नहीं हुई।प्रमोद पाठक के इलाज के दौरान बहुत पैसा खर्च हुआ। किडनी ट्रांसप्लांट के समय तो ऐसी स्थिति हो गई कि परिवार एक-एक रुपए के लिए मोहताज हो गया। ऐसी स्थिति में विभिन्न जनप्रतिनिधियों सहित पढ़ाए हुए विद्यार्थियों व अन्य लोगों द्वारा आर्थिक मदद प्रदान की गई जो प्रमोद पाठक के लिए संजीवनी का काम की।
8 जनवरी 2019 को किडनी ट्रांसप्लांट हुआ और आज वे स्वस्थ जिंदगी जी रहे हैं। प्रमोद पाठक ग्राम पंचायत भंवरमाल प्राथमिक शाला में पदस्थ है जहां उनकी पहचान एक आदर्श शिक्षक के रूप में है जिंदगी एवं मौत से 4 साल तक जंग लडऩे के बाद जब वे दोबारा स्वस्थ होकर आए तो पुन: अपने शिक्षकीय दायित्व कार्य में पूरी तन्मयता से लगे हैं। इस कारण उनकी क्षेत्र में अलग पहचान है।जब प्रमोद पाठक लखनऊ पीजीआई में आईसीयू में भर्ती थे, इस दौरान उनकी सेवा कर रहीं नर्स भारती निगम की पुत्री की जन्म कुंडली बनाई थी। इससे भारती निगम इतनी प्रभावित हुई थी कि दवाइयां उसके द्वारा मुफ्त दी गईं। प्रमोद पाठक की एस्ट्रोलॉजी एवं हिंदू कर्मकांड में अच्छी पकड़ है।