जंगलों में जवानों के साथ गश्त पर निकलता है एक हिरण
बस्तर की हसीन और सुरम्य वादियां लगभग चार दशकों से नक्सलियों के बम, बारूद और गोलियों की तड़तड़ाहीट से अशांत है। इन सबके बीच भी बस्तर के घने जंगलों में आज भी कई प्रकार के जंगली जानवर स्वच्छंद विचरण (deer roaming)करते हैं। ऐसा ही एक जानवर है हिरण, जो कि दंतेवाड़ा और सुकमा के जिले के जंगलों में बहुतायत देखा जा सकता है। पिछले दो दशकों से बस्तर में नक्सलियों को खदेड़ने की जुगत में सुरक्षा बलों की बड़ी संख्या यहां के गा्रमीण इलाकों और जंगलों में तैनात है। यं सुरक्षाबल(soldiers) बस्तर के जगलों में लगातार सर्च आपरेशन चलाते रहते हैं। सुकमा जिले के किस्टाराम इलाके में भी सुरक्षाबलों की एक टुकड़ी है। ये टुकड़ी एक बार जब गश्त(patrol in forests) पर निकली थी तो जवानों ने देखा कि हिरण का एक नन्हा सा बच्चा अकेल हैरान-परेशान सा भटक रहा है। उसकी हालत देख्कर जवानों को उस पर दया आई। जवानों ने उसे वहीं पर खाना- पानी दिया और आगे बढ़ चले। कुछ देर बाद जवानों ने देखा कि हिरण का वह बच्चा उनके पीछे-पीछे ही चला आ रहा है। जवान भी सजगता के चलते उसकी ओर ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रहे थे। लेकिन जब वे अपने कैंप में वापस लौअे तो पाया कि हिरण का वह बच्चा उनके पीछे-पीछे कैंप तक चला आया है।
बस वो दिन था और आज तक, हिरण का वह बच्चा इन जवानों को ही अपना परिवार मान बैठा है।(attachment with soldiers) हिरण का वह नन्हा सा बच्चा(childhood) अब जवान हो चला है। पर कैंप और जवानों का साथ छोड़कर कहीं नहीं जाता। यहां तक कि जवान जब गश्त में निकलते हैं तो वह भी पूरी समय साथ-साथ चलता है,(deer roaming) जवान जहां रुकते हैं वहीं हिरण भी रुकता है। जवान भी अब उसका पूरा ख्याल रखते हैं। जवान बताते हैं उन्होंने कई बार उसे जंगल में छोड़ा भी, लेकिन वह फिर लौटकर कैंप में ही आ जाता है। अब वह हिरण किस्टाराम कैंप वहां के जवानों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुका है। हाल ही में कुछ जवानों ने गश्त के दौरान हिरण के साथ चलने का वीडियो सोशल मीडिया पर डाल दिया, जो कि अब तेजी से वायरल हो रहा है।