मंगल ग्रह पर कैसे बनेगी कंक्रीट, जहां पर बसेगा इंसान इंसान
एलन मस्क समेत कइयों का सपना मंगल पर इंसानों को बसाने का है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि मंगल पर इंसान कहां रहेंगे और उन घरों को कैसे बनाया जाएगा। लाल ग्रह पर घरों का निर्माण अब आसान हो सकता है क्योंकि वैज्ञानिकों ने एक अद्भुत तकनीक की मदद से कंक्रीट जैसी सामग्री तैयार कर ली है जो अंतरिक्ष की चरम परिस्थितियों को भी झेल सकती है। यह खोज खासतौर पर अंतरिक्ष यात्रियों के लिए खुशखबरी है जिन्होंने अंतरिक्ष पर जीवन की खोज और रिसर्च में कई साल खर्च कर दिए क्योंकि इस कंक्रीट का निर्माण उनके ‘खून-पसीने’ से ही किया जा सकता है।
मंगल पर निर्माण के लिए एक ईंट भी ले जाना बहुत महंगा साबित हो सकता है। इसमें करीब 2 मिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च आने का अनुमान है। लिहाजा आने वाले समय में मंगल पर बसने वाले लोग भवन निर्माण सामग्री दूसरे ग्रह पर नहीं ले जा सकते। इसके लिए हमें ऐसे संसाधनों का इस्तेमाल करना होगा जिनसे निर्माण की साइट को प्राप्त किया जा सके। मैनचेस्टर विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों का दावा है कि ब्लड प्लाज्मा के एक कॉमन प्रोटीन (human serum albumin) खास तरह की धूल को मिलाने में सहायता कर सकता है जिससे चंद्रमा या मंगल पर इस्तेमाल होने वाली कंक्रीट का उत्पादन किया जा सके।
मैटेरियल्स टुडे बायो पत्रिका में प्रकाशित लेख के अनुसार इस नई सामग्री को AstroCrete के नाम से जाना जा रहा है। इसकी कम्प्रेसिव शक्ति (compressive strength) 25 एमपीए (मेगापास्कल) है। यही क्षमता साधारण कंक्रीट में लगभग 20-32 एमपीए की देखी जाती है। हालांकि वैज्ञानिकों ने पाया कि यूरिया को शामिल करने से इसकी कम्प्रेसिव शक्ति को 300 फीसदी से अधिक तक बढ़ाया जा सकता है। यूरिया एक जैविक अपशिष्ट (Biological Waste), जो मूत्र, पसीने और आंसू में पाया जाता है।
प्रोजेक्ट पर काम करने वाले विश्वविद्यालय के डॉ एलेड रॉबर्ट्स ने कहा कि नई तकनीक चंद्रमा और मंगल ग्रह पर कई अन्य प्रस्तावित निर्माण तकनीकों के लिए रास्ता खोल सकती है। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक मंगल की सतह पर कंक्रीट का उत्पादन करने के लिए तकनीक की खोज कर रहे हैं लेकिन इसका जवाब हमारे अंदर मौजूद हैं। टीम का अनुमान है कि छह अंतरिक्ष यात्रियों के दल द्वारा मंगल की सतह पर दो साल के मिशन के दौरान 500 किग्रा से अधिक कंक्रीट का उत्पादन किया जा सकता है।