जिले के शिक्षक अपने खर्च पर गांव के बच्चों को दे रहा आधुनिक शिक्षा का ज्ञान घर को बनाया पाठशाला
छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में एक शिक्षक मिसाल पेश कर रहे हैं। ईश्वरी कुमार ग्रामीण क्षेत्र में अशिक्षा के अंधकार को मिटाने के लिए महत्वपूर्ण काम कर रहे हैं। 12 सालों से लगातार प्राथमिक स्कूल में शिक्षा देते आ रहे ईश्वरी ने गरीब बच्चों को आधुनिक तरीके से शिक्षित करने का प्रयास शुरू किया है। उन्होंने बच्चों में शिक्षा की अलख जगाने के लिए सब कुछ समर्पित कर दिया है। कोरोनाकाल में पिछले डेढ़ साल से उन्होंने अपने घर को ही पाठशाला बना डाला है और वहां बच्चों को निशुल्क शिक्षा देते हैं।कोरोना कम होने के बाद जब स्कूल नहीं खुले तो उन्होंने खुद ही एक निःशुल्क बनाने की योजना बनाई। इसके लिए इमारत नहीं मिल रही थी। उनका घर बड़ा था। कमरों के साइज बड़े थे, लिहाजा उन्होंने अपने घर के सभी कमरों को क्लास रूम बना दिया। किचन को लाइब्रेरी और बरामदे को ओपन क्लास में बदल दिया। घर को स्कूल बनाकर वे खुद किराए के मकान में रहने लगे। यहां वे अपने लैपटॉप, मोबाइल से टेक्नोलॉजी की शिक्षा देने लगे। बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ ही साथ खेल-खेल में मनोरंजन, गणित, बॉडी लैंग्वेज, जिंदगी जीने की कला, बातचीत करने का लहजा, कम्प्यूटर टेक्नोलॉजी, और संस्कार के अलावा नैतिक शिक्षा का भी ज्ञान देते रहे हैं। उन्होंने प्रोजेक्टर, बिग स्क्रीन भी लगवा रखी है। इसके जरिए वे नेट, यूट्यूब और विभिन्न साइट्स से जानकारी लेकर बच्चों को लाइव दिखाते हैं।
ईश्वरी, जिला से लेकर प्रदेश और राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित भी हो चुके हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत देश प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं। शिक्षक का जज्बा और जुनून देख बच्चे भी अपने आपको इनके घर की पाठशाला में जाने से रोक नहीं पाते हैं।
शिक्षक ईश्वरी कुमार सिन्हा ने बताया, वो 12 साल से बच्चों को पढ़ा रहे हैं। उनका मानना है कि संपन्न घर के बच्चे प्राइवेट व बड़े स्कूलों में जाकर अच्छी शिक्षा ग्रहण कर लेते हैं। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चे गरीबी व संसाधनों की कमी के कारण सरकारी स्कूलों में ही पढ़ाई करते हैं। उनका भी बचपना गरीबी से ही गुजरा है। इसको ध्यान में रखकर अपने वेतन का करीब सात लाख रुपए ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में अच्छी शिक्षा मिले इसमें लगा दिया है।
बालोद जिला कलेक्टर जनमेजय महोबे ने बताया, प्राथमिक शाला के शिक्षक ईश्वरी कुमार सिंह व्यक्तिगत रुप से रुचि लेकर बच्चों को पढ़ाते हैं। उनको तकनीकी शिक्षा का ज्ञान होने के कारण वो बच्चों को भी सिखा पा रहे हैं। तकनीकी शिक्षा पाकर बच्चों का मानसिक विकास बढ़ेगा।