इस राज्य में पहली से 8वीं तक के स्कूल 31 मार्च तक बंद
मध्यप्रदेश (काकाखबरीलाल). मध्य प्रदेश की शिवराज सिंह सरकार ने तय किया है कि कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर नर्सरी से लेकर आठवीं तक की कक्षाएं 31 मार्च, 2021 तक बंद रहेंगी। इसका मतलब यह है कि मध्य प्रदेश में आठवीं तक के छात्रों का नया सत्र एक अप्रैल से ही शुरू हो पाएगा। हालांकि, स्कूल एक अप्रैल को भी खुल पाएंगे या नहीं, ये कोरोना संक्रमण की स्थिति पर निर्भर करेगा। इससे पहले दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी कह चुकी है कि जब तक कोरोना वायरस के कारण बिगड़े हालात ठीक नहीं हो जाते हैं, तब तक स्कूल नहीं खोले जाएंगे। हालांकि, स्कूल एक अप्रैल को भी खुद पाएंगे या नहीं, ये कोरोना संक्रमण की स्थिति पर निर्भर करेगा। इससे पहले दिल्ली की केजरीवाल सरकार भी कह चुकी है कि जब तक कोरोना वायरस के कारण बिगड़े हालात ठीक नहीं हो जाते हैं, तब तक स्कूल नहीं खोले जाएंगे।
कोरोना वायरस संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। इसके परिणाम नजर भी आ रहे हैं, लेकिन जब तक इस जानलेवा वायरस का स्थाई समाधान यानि वैक्सीन नहीं आ जाती है, तब तक खतरा बना रहेगा। बुजुर्गों और बच्चे इस वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं, इसलिए ज्यादातर राज्यों ने स्कूलों को बंद रखने का फैसला लिया है।
इससे पहले, मुख्यमंत्री चौहान ने स्कूल शिक्षा विभाग की समीक्षा बैठक ली। उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश में स्कूल शिक्षा के क्षेत्र में “रैडिकल” परिवर्तन लाना है, जिससे यहां की शिक्षा सर्वोत्तम हो सके। प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में मार्गदर्शन के लिए शिक्षाविदों की समिति बनाई जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में ऐसी शिक्षा पद्धति लागू करनी है, जिसके माध्यम से विद्यार्थियों को ज्ञान और कौशल प्रदान करने के साथ ही उन्हें संस्कारवान नागरिक बनाया जा सके। नैतिक शिक्षा पर विशेष बल दिया जाना है।प्रदेश में स्कूली विद्यार्थियों को दिए जाने वाले गणवेश स्व-सहायता समूह तैयार करेंगे। अगले 3 वर्षों में प्रदेश में खोले जाने वाले 10 हजार उच्च गुणवत्तायुक्त स्कूलों को लेकर हर साल के हिसाब से प्लान बनाए जाएं। मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि शिक्षकों के स्थानांतरण की नीति बनाई जाए ताकि कोई स्कूल ऐसा न हो जहां शिक्षक न रहे। जो शिक्षक लंबे समय से ग्रामीण क्षेत्रों में हैं, उन्हें बड़े स्थानों पर और प्रारंभ में सभी की पदस्थापना कुछ वर्षों के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में की जाए।