।।गाँव के ही अन्य व्यक्ति के खाते में जमा हो गई है राशि।।
सरायपाली. प्रधानमंत्री आवास निर्माण की स्वीकृति मिलते ही भुथिया के एक ग्रामीण ने अपने मिट्टी के पुराने मकान को तोड़कर नए मकान बनाने की तैयारी शुरू कर दी और सभी दस्तावेज भी आवास मित्र के माध्यम से जनपद पहुंचाया. लेकिन जिस व्यक्ति के नाम से राशि स्वीकृत हुआ था, उसी गांव के अन्य व्यक्ति के खाते में पीएम आवास की राशि जमा हो गई. जब मकान तोड़ने के बाद खाते में राशि नहीं आई तो उन्होंने जनपद में पता करवाया, तब इसकी जानकारी हुई. पहला किश्त को जनपद द्वारा दूसरे खाते से निकलवाकर उक्त हितग्राही को दिलवाया गया, उसके बाद से आज पर्यन्त तक अगली किश्त हितग्राही को नहीं मिली है. जिससे पूरा परिवार बेघर होकर परछी में गुजर बसर कर रहे हैं.
जानकारी अनुसार ग्राम भुथिया के मिलू नंद पिता टिकेलाल नंद को 2016-17 में प्रधानमंत्री आवास की स्वीकृति मिली थी. उन्होंने मकान बनाने का कार्य भी प्रारंभ कर दिया. लेकिन स्वीकृति उपरांत उनके खाते में राशि न जाकर गांव के ही मिलू सेठ की पत्नी के खाते में राशि जमा हो गई. जनपद के कर्मचारियों द्वारा गलती से अन्य के खाते में पीएमआवास की राशि जमा होने पर उन्होंने उक्त व्यक्ति को समझा बुझाकर पहला किश्त की जमा राशि को उनके खाते से निकलवाकर उक्त हितग्राही को दिलवाया. लेकिन खाता नंबर में त्रुटि होने के कारण हितग्राही के खाते में आज पर्यन्त तक दूसरी किश्त की राशि जमा नहीं हुई है. जबकि जनपद द्वारा पुनरू उक्त अपात्र व्यक्ति मिलू सेठ की धर्मपत्नी के नाम पर ही 48000 रूपए की दूसरी किश्त जारी कर दी गई. दूसरी बार जनपद के कर्मचारी उक्त राशि को निकलवाकर हितग्राही को दिलाने में नाकाम साबित हुए. राशि नहीं निकालने की स्थिति में उनके द्वारा मामले को अनुविभागीय अधिकारी के पास वसूली के लिए भेज दिया गया. जहां से वसूली के लिए उन्हें कई दफा बुलाया भी जा चुका है. लेकिन मिलू सेठ द्वारा उनके खाते में आई जमा राशि को नहीं दिया जा रहा है. इस तरह ऑपरेटर की गलती का खामियाजा हितग्राही भुगत रहे हैं और राशि के अभाव में चौखट लेबल से आगे मकान निर्माण करने में असक्षम होने के कारण विगत 3 वर्षों से अधूरा पड़ा है. भवन के अभाव में परछी के सहारे ही जीवन यापन करने के लिए मजबूर हैं.
अन्य व्यक्ति के खाते में राशि कैसे गई, जाँच का विषय
जनपद में यह पहला मामला नहीं है, इस तरह के और कई मामले भी सामने आ चुके हैं. यहाँ यह बड़ा सवाल है कि आखिर हितग्राही के खाते के जगह पर गाँव के अन्य नाम की महिला क ा खाता जनपद कैसे पहुँचा और उनके खाते में राशि कैसे जमा हुई. यह भी जाँच का विषय है. यदि उसी नाम के अन्य व्यक्ति के खाते में राशि जमा होती तो नाम में समानता के कारण यह गलती हुई है, ऐसा समझा जा सकता था. जनपद के पीएम आवास के अधिकारी भी अन्य नाम के खाते में राशि जमा होने की बात पूछने पर गोल मोल जवाब दे रहे हैं.