
।।जनपद सीईओ की रंगदारी खुद के कार्यालय में नही शौचालय।।
।।लगभग 6 माह से बंद है शौचालय, खुले में शौच करने में मजबूर।।
प्रकाश सिन्हा, बसना। दिया तले अंधेरे की इस कहावत को चरितार्थ कर रहा शहर का जनपद कार्यालय जहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वच्छता अभियान को ग्रामीण क्षेत्र में क्रियान्वित करने की जिम्मेदारी जनपद पंचायत को दी गई है । वही खुद जनपद पंचायत कार्यालय में शौचालय नही होने से महिला एवं पुरुष कर्मचारियों, सरपंच सचिव समेत ग्रामीणों को असुविधा होती है। जबकि जनपद पंचायत अन्तर्गत 101 ग्राम पंचायत में लगभग 55 महिला सरपंचो का कब्जा है। उसके बाबजूद जनपद में शौचालय नही होना ओडीएफ जिले की हकीकत को दर्शाता है।
जनपद कार्यालय बसना में शौचालय आम जनता के उपयोग के लिये बनाया गया था जिसे रिपेयरिंग के नाम पर लगभग 2 लाख खर्च कर जनपद निधि से मरम्मत कराया गया। ठेकेदार को भुगतना नही होने के कारण ठेकेदार ने लगभग 6 माह से शौचालय पर ताला जड़ दिया है। जिससे जनपद कार्यालय पहुंचे सरपंच-सचिव समेत ग्रामीणों को बाहर खुले में शौच करने में मजबूत होना पड़ रहा है।
गांव-गांव शौचालय बनाने के लिए ग्राम पंचायत सचिव सरपंच पर दबाव बनाने वाले अफसर अपने ही कार्यालय में शौचालय की बदइंतजामी को लेकर बेफिक्र है । लेकिन जनपद पंचायत कार्यालय के शौचालय पर मरम्मत के नाम पर मोटी रकम खर्च कर दी गई । ग्रामीण इलाकों से आने वाले हितग्राही भी शौच के लिए इधर-उधर भटकते है। वही पंचायतों में शौचालय निर्माण पूरा नही होने पर अधिकारियों द्वारा पंचायतों एवं हितग्राहियों विभिन्न प्रकार के कार्रवाई की जाती है मगर जनपद कार्यालय अधिकारी अपने कार्यालय के शौचालय का उपयोग ही नही कर पा रहे। देखने मे आता है कि ग्रामीण क्षेत्र में शौचालय बनाने में आनाकानी करने वाले पर और भी तरीके से शौचालय निर्माण करने दबाव बनाया जाता है । लेकिन उनके के ही ऑफिस में कामकाज के लिए आने वाले लोगो के लिए शौचालय तक कि व्यवस्था नही है। खासतौर महिलाओं को काफी असुविधा होती है।
अधिकारी-नेता के कमरे में शौचालय
जनपद पंचायत बसना में आमजनता के लिये सार्वजनिक शौचालय नही है। एक था वह भी ठेकेदार की ताला बन्दी का शिकार हो गया। जनपद पंचायत में सीईओ कक्ष, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष समेत समाज कल्याण विभाग कक्ष समेत में 4 प्राइवेट प्रसाधन है। लेकिन सरपंच-सचिव समेत ग्रामीणों के लिए प्रसाधन नही है। आए दिन बैठक के दौरान इधर-उधर शौच के लिए लोगों को भटकना पड़ता है।
मॉडल शौचालय का बुरा-हाल
ओडीएफ महासमुंद जिले के मॉडल शौचालय का हाल देखिए। अधिकारियों के उदासीनता की वजह से मॉडल शौचालय खस्ताहाल की भेंट चढ़ गया। ज्ञात हो खुले में शौच मुक्त अभियान जब प्रारम्भ हुआ तब बसना जनपद पंचायत में आने-जाने वाले लोगो के लिए मॉडल शौचालय बनाने का का कार्य शुरू हुआ था जो अब तक पूरा नही हो सका। जबकि कलेक्टर समेत जिला अधिकारियों का आना-जाना लगा जनपद में लगा रहता है भगत अधूरे मॉडल शौचालय की और अधिकारियों की नजर नही गई।अधिकारी के गोलमोल जवाब
शौचालय में ताला लगने की जानकारी नही है। इस संबंध में एसडीओ से बात करो। पुराने सीईओ बगर्ति से बात कर जानकारी लीजिए या मैं जानकारी ले कर बता पाऊंगा।
राजेन्द्र वर्मा
सीईओ, जनपद पंचायत बसना
जनपद निधि से शौचालय बना है, भुगतान नही होने के कारण बन्द है। आप जनपद के बाबू से बात करिये मेरे पास जानकारी नही है।
एमएल खपर्डे
एसडीओ, आरईएस बसना