केटीयू में फर्जी शिक्षक भर्ती प्रक्रिया को लेकर सीबीआई जांच के आदेश

(रायपुर काका खबरीलाल) .
कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय में सीबीआई ने जांच के आदेश जारी किया है। प्रकरण के अनुसार एमपी बोर्ड परीक्षा में सीबीआई जांच के आदेश दिया गया था। फर्जी रूप रेखा तैयार कर कितनों ने सरकारी नौकरी पाकर बेधड़क शासन प्रशासन को चुना लगाया जा रहा है। उसी मामले को गंभीरता से लेते हुए कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता के शिक्षकों पर भी गाज गिरने की संभावना है।
मिली जानकारी के अनुसार जब शिक्षकों को नौकरी दी गई थी तब कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय भी बिना जांच के शिक्षकों की भर्ती कर दिया गया था।
शाहिद अली सीबीआई के निशाने पर
शाहिद अली पर फर्ज़ी डिग्री के सहारे नौकरी पाने का आरोप है। मिली जानकारी के अनुसार 2005 में कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता विश्वविद्यालय में शैक्षणिक पदों के साथ रीडर पद की संविदा नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। इसके लिए पत्रकारिता में स्नातकोत्तर उपाधि , पीएचडी या 8 वर्ष शैक्षणिक अध्यापन या पत्रकारिता के क्षेत्र में 10 वर्ष का अनुभव जरूरी था।
डॉ.शाहिद अली, अपनी पत्नी गोपा बागची के माध्यम से फर्जी अनुभव प्रमाण पत्र बनाकर रीडर के पद पर भर्ती हो गए और 2008 में रीडर के पद पर नियमित हो गए। जिसके बाद भिलाई के शैलेन्द्र खंडेलवाल ने आदालत में चुनौती दी थी। अदालत ने केन्द्रीय विश्वविद्यालय बिलासपुर से पूछा की क्या डॉ. अली को जारी किए गए प्रमाण पत्र सही हैं और यह प्रमाणपत्र विश्वविद्यालय प्रशासन ने ही जारी किया है, इस पर गुरु घासीदास विश्वविद्यालय प्रशासन ने लिखित में जानकारी देते हुए कहा कि डॉ .शाहिद अली ने कभी भी गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर में शिक्षक के पद पर अस्थायी या स्थायी तौर पर कार्य नहीं किया है।
अत: डॉ. शाहिद अली की पत्नी और गुरु घासीदास विश्वविद्यालय की जनसंचार विभाग की एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ .गोपा बागची द्वारा प्रदान की गयी अनुभव प्रमाण पत्र पूरी तरह से फर्जी है। जिसके आधार पर अदालत ने डॉ. शाहिद अली के प्रमाण पत्रों को फर्जी मानते हुए धोखाधड़ी का प्रकरण पंजीबद्ध कर दंडनीय अपराध का मामला दर्ज किया था।
सीबीआई कई पहलू को लेकर कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय के कुलसचिव और शिक्षकों से सवाल कर सकते हैं। कुलसचिव डॉक्टर आनंद शंकर बहादुर से सीबीआई जांच कर विषय में सवाल किया गया तब कुलसचिव जवाब देने से बचते रहे। विषय के बारे में जानकारी तक नही है कहते हुए अपना पल्ला साफ कर लिया है। अपना देखना यही होगा कि आखिर कुलसचिव फर्जी शिक्षकों को आखिर बचाना क्यों चाह रहे हैं।