टेकनोलॉजी

मार्क जकरबर्ग को छोड़ना पड़ सकता है चेयरमैन का पद, उन्हें हटाने वाले प्रस्ताव पर मई 2019 में होगी वोटिंग

काकाखबरीलाल. फेसबुक में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, फेसबुक के चेयरमैन और सीईओ मार्क जकरबर्ग को चेयरमैन के पद से हटाने की तैयारी चल रही है। दरअसल, डेटा लीक और यूजर्स की प्राइवेसी को ध्यान में रखते हुए फेसबुक इंक के इन्वेस्टर ट्रिलियम असेट मैनेजमेंट ने मार्क जकरबर्ग को चेयरमैन पद से हटाने का एक प्रस्ताव दायर किया है।

इस प्रस्ताव के फेसबुक के चार और शेयर होल्डर्स – न्यूयॉर्क सिटी कंप्ट्रोलर स्कॉट स्ट्रिंजर, पेनिसिल्वेनिया स्टेट ट्रेजरर जोए टोर्सेला, इलिनियोस स्टेट ट्रेजरर माइकल फ्रेरिच, रोड आइसलैंड स्टेट ट्रेजरर सेठ मैगजिनर ने भी समर्थन दिया है। इस प्रस्ताव पर मई 2019 में होने वाली फेसबुक के शेयर होल्डर्स की सालाना मीटिंग में वोटिंग की जाएगी।

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    शेयरहोल्डर्स की मांग: एक स्वतंत्र चेयरमैन हो

    • स्कॉट स्ट्रिंजर ने जकरबर्ग को हटाने के संबंध में एक बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने बताया है कि ‘फेसबुक समाजिक और आर्थिक अर्थव्यवस्था में अहम भूमिका निभाता है और ये हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसे पारदर्शी बनाएं। इसलिए हमारी मांग है कि फेसबुक में स्वतंत्र चेयरमैन होना चाहिए।’
    • उन्होंने कहा कि ‘एक स्वतंत्र चेयरमैन होने से बोर्ड अपने शेयरहोल्डर्स की तरफ से कंपनी के मैनेजमेंट की निगरानी करने में मदद मिलती है। एक सीईओ जो चेयरमैन के रूप में भी काम करता है, वह अपने एजेंडे को बोर्ड के ऊपर डाल सकता है, जिससे बोर्ड के मैनेजमेंट की निगरानी पर असर पड़ता है।’
    • उन्होंने कहा कि ‘ फेसबुक सीईओ मार्क जकरबर्ग 2012 से चेयरमैन के पद पर हैं और उनके पास 60% वोटिंग शेयर है। हमें लगता है कि इसी वजह से फेसबुक मैनेजमेंट और गवर्नेंस कमजोर हो रहा है। इसलिए एक स्वतंत्र चेयरमैन हो ताकि कंपनी के मैनेजमेंट पर फोकस किया जा सके।’
    • उन्होंने ये भी कहा कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एपल, ओरेकल और ट्विटर जैसी कंपनियों में भी सीईओ और चेयरमैन अलग-अलग हैं।
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    मार्क जकरबर्ग को क्यों हटाना चाहते हैं शेयरहोल्डर्स?

    • स्वतंत्र चेयरमैन नहीं होने से 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में रूस का दखल हुआ और फेसबुक इसपर सही तरीके से काम नहीं कर पाया।
    • कैंब्रिज एनालिटिका ने 8.7 करोड़ यूजर्स का डेटा लीक किया, लेकिन फेसबुक ने इसपर भी सही से काम नहीं किया।
    • स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों से फेसबुक ने यूजर्स का डेटा शेयर किया जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है।
    • फेक न्यूज रोकने के लिए फेसबुक ने कोई कदम नहीं उठाया। भारत, म्यांमार और दक्षिणी सुडान में हिंसा भी फेसबुक के जरिए ही फैलाई जाती है, उसे रोकने में भी फेसबुक नाकाम रहा।
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    पिछले साल भी आया था ऐसा ही प्रस्ताव, लेकिन गिर गया था

    • साल 2017 में भी मार्क जकरबर्ग को फेसबुक के बोर्ड मेंबर्स से हटाने का प्रस्ताव लाया गया था। उस वक्त 51% वोट इस प्रस्ताव के समर्थन में पड़े थे, लेकिन मार्क जकरबर्ग के पास मेजोरिटी शेयर थे, जिस वजह से ये प्रस्ताव गिर गया था।
    • दरअसल, फेसबुक में ड्युअल क्लास शेयर स्ट्रक्चर काम करता है, जिसमें क्लास-ए और क्लास-बी के शेयर होते हैं। इनमें से क्लास-बी शेयर होल्डर्स के पास क्लास-ए शेयरहोल्डर्स के मुकाबले 10 गुना ज्यादा वोटिंग पॉवर होती है।
    • मार्क जकरबर्ग के पास सबसे ज्यादा क्लास-बी के शेयर्स हैं और इसी वजह से पिछले साल लाया गया प्रस्ताव गिर गया था। लिहाजा अगले साल आने वाला प्रस्ताव भी गिर सकता है।

काका खबरीलाल

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