छत्तीसगढ़

महांसमुद: एक नींबू 20 रुपए फिर भी किसानों को नहीं मिल रहा सही दाम

यह कछारडीह में हो रही नींबू की खेती का तस्वीर है। हर साल महासमुंद जिले के 5 हजार से अधिक किसान 1100 हेक्टेयर में नींबू की खेती करते हैं। अभी बाजार में एक नींबू की कीमत 20 रुपए हैं, लेकिन नींबू की खेती करने वाले किसान कहते हैं कि उन्हें अपनी उपज का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है।

किसानों का कहना है कि व्यापारी आंध्रप्रदेश से आने वाली नींबू को खरीदते हैं और स्थानीय नींबू को बाजार तक पहुंचाने के बाद भी खरीदना पसंद नहीं करते। लिहाजा जिले के किसानों को उनकी फसल का वाजिब दाम नहीं मिल रहा है। व्यापारी अपने क्षेत्र के नींबू फसल को डंप कर रहे हैं।

मालूम हो कि नींबू की कीमत में एकाएक बढ़ोत्तरी नवरात्रि के समय से है। इन दिनों गर्मी भी बहुत तेज है। ऐसे में लोग अपनी सेहत के लिए नींबू पानी खूब पसंद कर रहे हैं। इसके चलते एक नींबू के दाम 20 रुपए हैं। वैसे छोटे, हरे और अधपके नीबू 10 रुपए प्रति नग के हिसाब से अभी बाजार में उपलब्ध है। मंहगे होते देख छोटे सब्जी दुकानदारों ने नींबू रखना बंद कर दिया है। बड़े दुकानों में ही नीबू बिक रहा है। नवरात्रि के समय में नींबू की किल्लत से भी लोग परेशान हुए। अभी रमजान में भी इसकी किल्लत महसूस की जा रही है।

नींबू के बारे में दुकानदारों का कहना है कि इस बार लोकल नींबू की आवक तो है, लेकिन बाहरी नीबू को महत्व देने के कारण नीबू की कामत बढ़ी है। क्योंकि इसमें डीजल की कीमत मिलाकर ट्रांसपोर्टिंग चार्ज बढ़ गया। आंध्रप्रदेश से आने वाली नींबू की सप्लाई भी अभी प्रभावित है। जानकारी अनुसार लोकल किसानों के नीबू को आकार और रस में कमी बताकर डंप कर दिया जा रहा है। यही कारण है कि किसानों व आम लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

विभागीय जानकारी के अनुसार महासमुंद जिले में 5649 हजार किसान हैं, जो नीबू की खेती करते हैं। इन किसानों ने 1116 हेक्टेयर में नीबू की फसल ली है। किसानों का कहना है कि नीबूू का उत्पादन बेहतर है, लेकिन व्यापारियों ने लोकल नीबू को डंप कर दिया है। इसक ी वजह से बाजार में किल्लत है और कीमतें बढ़ गई हैं। व्यापारी आंध्रप्रदेश से आने वाले नीबू को महत्व दे रहे हैं। अभी वहां से नीबू की सप्लाई बंद है फिर भी व्यापारी लोकल नीबू की सप्लाई करने में रुचि नहीं रख रहे हैं। इससे किसानों को बड़ा नुकसान हो रहा है।
किसान रमेश चंद्रा ने बताया कि आंधप्रदेश की नींबू को व्यापारी महत्व दे रहे हैं और छग के फसल को डंप कर रहे हैं। इसकी वजह से सप्लाई सही ढंग से नहीं हो पा रही है। लोकल मार्केट में सप्लाई करना किसानों की मजबूरी है। इस बार तो उत्पादन का खर्च भी नहीं निकल पा रहा है। सरकार है कि 8 प्रतिशत टैक्स ले रही है। मालूम हो कि श्री चंद्रा पिछले 10 सालों से 32 एकड़ में नीबू की फसल ले रहे हैं। लोकल सहित अन्य शहरों में नीबू सप्लाई करते हैं।

ग्राम बेलर के अमित गौतम ने भी इस साल तीन एकड़ में नीबू की फसल ली है। अभी इनके खेत में लगे नीबू में फूल लग रहे हैं। उन्हें उम्मीद है कि उत्पादन बेहतर होगा। लोकल मार्केट के अलावा रायपुर, राजनांदगांव सहित अन्य शहरों में भी ये नीबू सप्लाई करते हैं।

छत्तरसिंग पटेल

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