जिले का यह हाईवे सड़क नहीं वोह हाय रे सड़क : हफ्ते में दूसरी बार बदहाल सड़कें देखने पहुंचे अफसर
नेशनल हाईवे की खराब सड़कों को हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया है। जिन सड़कों को चिह्नांकित किया है, उन में जांजगीर-चांपा जिला की जांजगीर और चांपा के बीच, बाराद्वार सहित अन्य खराब सड़कें शामिल है। सप्ताह भर पहले ही चांपा की सड़कों में डस्ट डाला था पर बारिश से वह फिर गड्ढों का हाय-वे बन गया है। नेशनल हाईवे की सड़कों की दुर्दशा को लेकर भले ही जनप्रतिनिधि चुप हों, लेकिन न्यायपालिका ने संज्ञान ले लिया है चांपा तीन अध्यक्ष बदल गए।
दो अध्यक्षों ने अपना कार्यकाल पूरा कर लिया, सबने सड़कों के कायाकल्प की बात कही, पर आज भी नगर के सड़कों की हालत जस की तस है। रेलवे स्टेशन के सामने की सड़क पर चलना दूभर हो गया है। सड़क के निर्माण के लिए जब आवाज उठी, तब सड़क को रेलवे परिक्षेत्र का हवाला देकर जिम्मेदार बचने की कोशिश की।
बिर्रा फाटक को रेल प्रशासन ने बंद किया तब नगर के लोग आंदोलन किए तब रेल प्रशासन में रेलवे परिक्षेत्र में प्रशासन को नाली सहित अन्य निर्माण के लिए एनओसी दी परं निर्माण नहीं हुआ। इस वार्ड 23 के पार्षद गणेश श्रीवास हैं, जो भाजपा नगर मंडल के अध्यक्ष भी है। इनकी भी नगरपालिका में पूर्व में 15 साल सत्ता थी पर रोड की हालत नहीं सुधरी।
तस्वीर तो बदलनी ही चाहिए में नेशनल हाईवे और स्टेट हाईवे की सड़कों की दुर्दशा को उजागर किया है। इसी का परिणाम था कि विभागीय अधिकारियों को सड़क की दुर्दशा देखने के लिए जिले में आना पड़ा 22 सितंबर को एनएच की ईई ममता पटेल ने सड़कों का निरीक्षण किया और माना कि मरम्मत औपचारिक की जा रही है। इसके बाद 30 सितंबर को एनएच के सीई केके पीपरी भी जिले की सड़कों की विभिन्न जगहों पर स्थिति देखने के लिए पहुंचे।
इन जिम्मेदारों से एक ही सवाल: शहर की सड़क के लिए आपने क्या किया
चौड़ीकरण का प्रस्ताव भेजा पर निर्माण नहीं
मेरे कार्यकाल में लछनपुर चौक से घठोली चौक तक नवीनीकरण का प्रस्ताव भेजा गया था, अभी तक पेंडिंग है। रोड डिवाइडर व चौड़ीकरण का प्रस्ताव भी किया गया था। फिर भी एनएच, पीडब्ल्यूडी और रेलवे के साथ मिलकर रिपेयरिंग कराई जाती थी।” -प्रदीप नामदेव पूर्व अध्यक्ष
डिवाइडर बनाने रेलवे से नहीं मिल पाई अनुमति
मेरे कार्यकाल में रेलवे तक डिवाइडर बनाने का प्रस्ताव था, पर रेलवे तक अनुमति नहीं मिल पाई। अनुमति नहीं मिलने से रेलवे तक उसका पूरा निर्माण नहीं हो पाया। करीब एक करोड़ रुपए से सड़क को सुधारने का प्रस्ताव भी दिया गया था, मंजूरी नहीं मिली।’’ -राजेश अग्रवाल पूर्व अध्यक्ष
कोरोना में बीत गया डेढ़ साल, अब प्रस्ताव भेजा है
मेरे कार्यकाल का डेढ़साल ताे कोरोना में बीत गए। सड़क बनाने के लिए रेलवे से एनओसी मिल गई है। रेलवे रोड को सीसी सीसी रोड बनाने के लिए 1 करोड़ 30 लाख का प्रस्ताव सरकार को भेजा है। वहां पानी निकासी की व्यवस्थानहीं है इसलिए रोड और नाली दोनों बनाएंगे।’’ -जय थवाईत, अध्यक्ष