सब्जी उत्पादक सुरेश बने ग्रामीण युवाओं के आइकॉन
रायपुर (काकाखबरीलाल).सफल होना किसका सपना नहीं होता? आज के युग में हर इंसान कामयाब होना चाहता है, लेकिन सफलता आसानी से नहीं मिलती उसके लिए बहुत मेहनत के साथ ही एक सही योजना का होना जरूरी है और साथ ही यह भी जरूरी है सफलता के लिए प्रेरित होना। प्रेरणा से ही व्यक्ति सफलता की ओर अग्रसर होता है। छत्तीसगढ़ शासन के उद्यानिकी विभाग की प्रेरणा एवं मार्गदर्शन ने श्री सुरेश निर्मलकर को आज एक सफल सब्जी उत्पादक कृषक बनाने में अहम रोल अदा किया है।
बेरोजगारी से संघर्ष कर आजादी पाने वाले कोरबा जिले के पतरापाली के युवा श्री सुरेश कुमार निर्मलकर जिले और प्रदेश के युवाओं के बीच आइकॉन बन गए हैं। सब्जी उत्पादक कृषक के रूप में श्री सुरेश ने सब्जी व्यापारियों के बीच अपनी विशेष पहचान बना ली है। साल में लगभग 15-16 लाख रूपए का सब्जी उत्पादन करने वाले श्री सुरेश कुमार के पतरापाली के 10 एकड़ खेत में आज 10 से 15 लोग लगातार काम कर रहे हैं। श्री सुरेश ने कोरबा के डिग्री कॉलेज से आर्ट्स संकाय में स्नातक की डिग्री प्राप्त की है। खुद सुरेश बताते हैं कि डिग्री लेने के बाद रोजगार के लिए तीन साल ऑफिस-ऑफिस चक्कर लगाए। व्यवसाय के लिए लोन प्राप्त करने बैंको में गए, परंतु कामयाबी नहीं मिली।
उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों के सम्पर्क में आने के बाद उन्हें एक नयी प्रेरणा और दिशा मिली। अधिकारियों के सलाह और मार्गदर्शन पर श्री सुरेश निर्मलकर ने सब्जियों की खेती शुरू की। उद्यानिकी विभाग से उन्हें बीज-खाद, दवाई और अन्य जरूरी सामान भी सब्जी की खेती के लिए मिले। शुरूआत मंे श्री सुरेश कुमार निर्मलकर ने कोरबा विकासखण्ड के पतरापाली मंे लीज पर जमीन लेकर लगभग तीन एकड़ रकबे में खीरा, करेला और बरबट्टी की फसल लगाई थी। सब्जियों को कोरबा, कटघोरा, पाली सहित उपनगरीय क्षेत्र दीपका में भी बेचकर सुरेश को पूरे सीजन में इन तीनों फसलों से लगभग आठ लाख रूपए मिले थे। सुरेश बताते हैं कि पहली बार मेहनत का फल मिला, मन खुश हो गया।
सब्जी उगाने से फायदे को देखते हुए सुरेश निर्मलकर ने इस काम को व्यवसाय के रूप में विकसित करने का फैसला किया और बेंदरकोना गांव में 10 एकड़ जमीन लीज पर लेकर सब्जियों का व्यवसायिक उत्पादन शुरू किया। बीज-खाद, दवाई के साथ-साथ जमीन पर ट्यूबवेल खुदवाकर उद्यानिकी विभाग के सहयोग से ड्रिप सिस्टम लगाया और बड़े पैमाने पर सब्जियों की खेती शुरू कर दी। इस काम में हाथ बंटाने के लिए सुरेश ने 10-15 स्थानीय लोगों को भी काम पर रख लिया। करेला, बरबट्टी, डोंड़का, लौकी जैसी बेलदार सब्जियों के लिए उद्यानिकी विभाग के मार्गदर्शन में नई-नई तकनीकों का प्रयोग भी श्री सुरेश कुमार अपने खेत में कर रहे हैं। उन्होने अधिक फसल उत्पादन, सिंचाई की समन्वित तकनीक और खरपतवारों से फसल को बचाने के लिए मल्चिंग पद्धति भी सब्जी उत्पादन के लिए अपना ली है। आज श्री सुरेश कुमार के खेत में लगभग 10 एकड़ रकबे में सब्जियां लगी है। समय-समय पर सब्जियों की तोड़ाई कर उन्हें कोरबा सहित कटघोरा और दीपका की मंडियों में बेचकर श्री सुरेश कुमार हर साल 10 से 15 लाख रूपए का कारोबार कर रहे है। स्थानीय लोगाों को रोजगार देने के साथ-साथ सुरेश कुमार पूरे जिले में सब्जी उत्पादन के लिए दूसरे लोगो को भी प्रेरित कर रहे हैं। सुरेश कुमार अपने इस व्यवसाय को निरंतर आगे बढ़ाने के प्रयास में लगे रहते हैं। वे अब कोरबा विकासखण्ड के ही गौड़ी गांव में ही तीन एकड़ जमीन और बुंदेली गांव में पांच एकड़ जमीन लीज पर लेकर बड़े पैमाने पर अलग-अलग सीजन में अलग-अलग सब्जियां उगाने की तैयारी कर रहे हैं।
श्री सुरेश कुमार के सब्जी उत्पादन के बारे में वरिष्ठ उद्यान विकास अधिकारी श्री दिनकर ने बताया कि सुरेश कुमार ने सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में कोरबा जिले में बड़े इन्टरप्रेन्योर के रूप में अपनी पहचान बना ली है। सब्जियां उगाने के साथ-साथ उसकी मार्केटिंग और भण्डारण आदि के बारे में भी उनकी जानकारी अच्छी है। लोगों को ताजी सब्जियां उपलब्ध कराने के साथ-साथ स्थानीय लोगों को रोजगार से जोड़ने की सुरेश की यह पहल निश्चित ही दूसरे लोगों के लिए प्रेरणादायी है। श्री सुरेश निर्मलकर का कहना है कि मत घबराना जिन्दगी में परेशानियों के पतझड़ से, मेहनत की बसंत खुशियों की बहार लायेगी। खून पसीने से सींचना अपनी कोशिशों को, कोशिशों के बल पर कामयाबी आयेगी।